पॉलिटिक्स

विधान परिषद की समिति का अध्यक्ष पद ठुकराने वाले डॉ संजय पासवान से प्रेरणा लें भारत के राजनेता, वरिष्ठ पत्रकार डॉ रवीन्द्र नाथ तिवारी के विचार

डॉ रवीन्द्र नाथ तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार
भाजपा के विधान पार्षद डॉ संजय पासवान ने विधान परिषद की समिति से इस्तीफा दे दिया है। पिछले दिनों बिहार विधान परिषद की समितियों के पुनर्गठन में डॉ संजय पासवान को अनुसूचित जाति जनजाति समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। लेकिन उन्होंने नाराज होकर समिति से इस्तीफा दे दिया। आपको जानकर हैरानी होगी कि संजय पासवान ने ऐसा क्यों किया? इसके पीछे बहुत बड़ा राजनीतिक और सामाजिक संदेश छिपा हुआ है। जिस पर व्यापक विमर्श होनी चाहिए लेकिन यह बात मीडिया की एक बहुत सामान्य सी खबर बन कर रह गई।

जाति के आधार पर समिति का अध्यक्ष बनाए जाने पर एतराज

डॉ संजय पासवान को पिछले दिनों बिहार विधान परिषद की अनुसूचित जाति जनजाति समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उनकी नाराजगी इस बात को लेकर है कि अनुसूचित जाति से होने के कारण ही उन्हें परिषद के अनुसूचित जाति जनजाति समिति का अध्यक्ष बनाया गया।

पूछे सवाल क्या यह सही है

डॉ संजय पासवान ने कहा है कि क्या यह सही है? क्या ऐसा होना चाहिए? उन्होंने यह सवाल उठाया है कि क्या जाति के कारण किसी को समिति में रखना या मंत्री बनाना उचित है? क्या महिला समिति में पुरुष नहीं हो सकते? क्या अल्पसंख्यक विभाग का मंत्री कोई गैर-अल्पसंख्यक नही हो सकता? उन्होंने कहा कि हम शुरू से ही इसके खिलाफ रहे हैं कि किसी की क्षमता का आकलन जात के आधार पर हो?

सुरक्षित क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ने का किया था फैसला

डॉ संजय पासवान ने कहा कि उन्होंने एक दशक पहले ही यह फैसला किया था कि वह लोकसभा या विधानसभा का चुनाव अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित क्षेत्र से नहीं लड़ेंगे। लेकिन उन्हें फिर जाति के आधार पर विधान परिषद की समिति का सभापति बना दिया गया। वे गुरुवार को विधान परिषद में होने वाली समिति की पहली बैठक में आए और विरोध स्वरूप उठ कर चले गए। उन्होंने अपना इस्तीफा परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह को सौंप दिया है।

बहुत दूर तक जाना चाहिए यह संदेश

विधान परिषद की समितियों के सभापति को राज्य मंत्री के तर्ज पर दर्जा प्राप्त होता है. संजय पासवान ने समिति से इस्तीफा देकर मंत्री की सुविधाओं का परित्याग किया है. उससे भी महत्वपूर्ण यह है कि उन्होंने जिस सोच के साथ यह फैसला किया है वह भारतीय राजनीति की एक महत्वपूर्ण घटना है. जाति पर आधारित राजनीति और नेताओं की जातीय मानसिकता ने न केवल देश की राजनीतिक माहौल को महा दूषित बना दिया है बल्कि राज्यों के विकास का भी बंटाधार किया है। अक्सर यह देखा जाता है कि जाति के रंग में रंगे राजनेता सांसद, विधायक और मंत्री तो बन जाते हैं मगर अपने क्षेत्र में दूसरी जाति के लोगों के बीच घृणा का पात्र बने रहते हैं और वे खुद भी अपने ही क्षेत्र के दूसरी जाति के लोगों से नफरत करते हैं। जातीय सोच ने जनप्रतिनिधियों के मन से विकास की अवधारणा को खत्म कर दिया है। ऐसे में डॉ संजय पासवान जैसे राजनेता की सोच से जातिवाद के लिए खास तौर से बदनाम बिहार के नेताओं को प्रेरणा लेनी चाहिए ही, इसके साथ देश के राजनीतिज्ञों के लिए भी डॉ संजय पासवान की सोच अनुकरणीय है।

रिटायर होने के पहले छोड़ी नौकरी

संजय पासवान की गिनती बिहार के सर्वाधिक प्रबुद्ध नेताओं में होती है। पटना विश्वविद्यालय में श्रम और समाज कल्याण विभाग (एल.एस.डब्ल्यू) के प्राध्यापक रह चुके डॉक्टर संजय पासवान ने सेवानिवृत्ति के पहले ही नौकरी छोड़ दी। उनके साथ काम करने वाले लोग बताते हैं कि आमतौर पर उनका व्यवहार और स्वभाव जातीय निरपेक्ष रहा है।

कबीरपंथी संजय केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री भी रहे

डॉ संजय पासवान अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में डॉ मुरली मनोहर जोशी के साथ मानव संसाधन राज्य मंत्री (शिक्षा राज्य मंत्री) रह चुके हैं। वे नवादा से सांसद निर्वाचित हुए थे। लेकिन करीब डेढ़ दशक तक भाजपा ने उन्हें हाशिए पर रखा। पहली बार वे एमएलसी बने हैं। उनके बेटे गुरु प्रोफेसर प्रकाश भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। वे प्रखर वक्ता हैं। संजय पासवान आध्यात्मिक संस्कार संपन्न व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं। वे कबीरपंथी हैं और संत कबीर दास के आदर्शों और सिद्धांतों में विश्वास करते हैं।

गृह सचिव आमिर सुबहानी को हटाने के लिए सीएम को पत्र लिखा था

डॉ संजय पासवान सार्वजनिक जीवन में अपनी बेबाक राय देने के लिए भी मशहूर रहे हैं। हाल के दिनों में उन्होंने नीतीश सरकार में करीब डेढ़ दशक से जमे गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अमीर सुबहानी को हटाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। उन्होंने कहा था कि किसी एक अधिकारी का इतने दिनों तक एक पद पर बना रहना सही नहीं है। उसके कुछ दिनों के बाद ही आमिर सुबहानी गृह विभाग से हटा कर दूसरे विभाग में भेज दिया गया था।

Ravindra Nath Tiwari

तीन दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय। 17 साल हिंदुस्तान अखबार के साथ पत्रकारिता के बाद अब 'भारत वार्ता' में प्रधान संपादक।

Recent Posts

पुरी में जगन्नाथ यात्रा शुरू, अहमदाबाद में अमितशाह ने की मंगला आरती

Bharat varta Desk पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू हो गई है। सबसे… Read More

16 hours ago

बेहोश हुए उपराष्ट्रपति

Bharat varta Desk उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ नैनीताल में तीन दिन के दौरे पर हैं। कुमाऊं… Read More

3 days ago

अब लीडर नहीं,डीलर के हाथो में देश : ललन कुमार

Bharat varta Desk प्सुल्तानगंज महेशी महा दलित टोला में कांग्रेस के सामाजिक न्याय जन चौपाल… Read More

6 days ago

बिहार के कई जिला जज बदले

Bharat varta Desk पटना हाईकोर्ट ने कई प्रिंसिपल जजों को बदल दिया है। कई जज… Read More

7 days ago

प्रधानमंत्री बोले -बिहार समृद्ध होगा तो भारत महाशक्ति बनेगा

Bharat varta Desk बिहार चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज एक बार फिर राज्य… Read More

1 week ago

झारखंड शराब घोटाले में पूर्व आईएएस अधिकारी गिरफ्तार

Bharat varta Desk शराब घोटाला मामले में एसीबी ने अब उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग… Read More

1 week ago