
पटना: बिहार की राजनीति में पार्टियों द्वारा भूमिहार-ब्राम्हण समाज की उपेक्षा के खिलाफ समाज के प्रतिनिधि व प्रबुद्ध जन एकजुट हो रहे हैं और अपनी एकजुटता को एक बड़े अभियान का रूप देने में लगे हैं। एकजुटता की साझा जिम्मेदारी पूर्व मंत्री प्रोफेसर रामजतन सिन्हा और पूर्व सांसद डॉ. अरुण कुमार सहित समाज कई दिग्गज नेताओं ने उठाया है। 14 फरवरी को पूर्व मंत्री प्रोफेसर रामजतन सिन्हा की अध्यक्षता में भूमिहार-ब्राम्हण समाज की उपेक्षा के खिलाफ प्रतिनिधि बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में समाज के कई बड़े नेता एकसाथ पहली बार मंच पर दिखे। इन नेताओं के एकमंच पर आना बिहारी की राजनीति के लिए एक बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है। इस एकजुटता के बाद राजनीतिक गलियारों से लेकर गांव-गांव तक यह चर्चा है कि अगर यह एकजुटता और अधिक सुदृढ़ हुई तो भविष्य में भूमिहार-ब्राम्हण समाज का राजनीति में प्रभाव एकबार फिर से बढ़ना तय है। सबसे बड़ी बात यह है कि इन नेताओं के द्वारा सवर्ण समाज के सभी जातियों को भी एक साथ लाने का प्रयास किया जा रहा।
रविवार को आगे कि रणनीति तय करने हेतु पश्चिमी चंपारण जिले के चिरैया विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक अवनीश सिंह के आवास पर अभियान से जुड़े सभी नेता जुटे। बैठक में पूर्व मंत्री प्रोफेसर रामजतन सिन्हा, पूर्व सांसद डॉ अरुण कुमार, पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा, पूर्व विधायक ई. अजित कुमार, बिक्रम के पूर्व विधायक अनिल कुमार, डॉ. उषा विद्यार्थी, सुधीर शर्मा, अजय सिंह टुन्नू सहित कई नेता मौजूद रहे। बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा हुई।
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