9 जनवरी को महात्मा गांधी अफ्रीका से भारत लौटे थे, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल…..

0

गौरव दुबे की रिपोर्ट

9 जनवरी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास का बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है. आज के ही दिन महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत आए और आजादी के आंदोलन को नेतृत्व दिया. उनके नेतृत्व में शुरू हुई आजादी की निर्णायक लड़ाई अंग्रेजों के भारत छोड़ने के बाद ही खत्म हुई.

प्रवासी भारतीय दिवस मनाते हैं: इसलिए इस दिन को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. गांधी जी से उस समय भारतीयों को काफी उम्मीद थी क्योंकि उन्होंने एक प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में प्रवासी भारतीयों के अधिकारों के लिए काफी संघर्ष किया था.

मुंबई बंदरगाह पर भव्य स्वागत: इसलिए 9 जनवरी 1915 को मुंबई के अपोलो बंदरगाह पर उनका स्वागत करने के लिए हजारों लोग जमा थे. सुबह-सुबह जब अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ वे बंदरगाह पर उतरे तो लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया. करोड़ों भारतीयों की निगाहें उन पर टिकी हुई थी. गांधी जब 1983 में दक्षिण अफ्रीका गए थे तो उनकी उम्र 24 साल की थी. जब वे लौटे तो वे 45 साल के प्रख्यात वकील बन चुके थे. भारत के लोगों को यह भरोसा हो चुका था कि गांधी अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करा सकता है.

संकट के दौर में था देश: उस समय भारत संकट के दौर में था. 1905 में बंगाल के दो टुकड़े कर दिए गए. 1911 में ही हिंदुस्तान की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली कर दी गई. आजादी की प्रबल लड़ाई अभी तक शुरू नहीं हो पाई थी. देश अंग्रेजों से कैसे मुक्त होगा इसकी उस समय के नेताओं के पास कोई प्रभावकारी योजना नहीं थी. ऐसी परिस्थितियों में देश के लोगों के लिए रोशनी बने गांधी ने आजादी की लड़ाई का बीड़ा उठाया. सबसे पहले उन्होंने तय किया कि साल भर तक पूरे देश में घूम कर स्थितियों का जायजा लेंगे.

साबरमती आश्रम की स्थापना: देश यात्रा की अभियान पर निकले गांधी ने मई 1915 को अहमदाबाद से सटे साबरमती नदी के तट पर एक आश्रम की स्थापना की जो इतिहास में साबरमती आश्रम के रूप में विख्यात हुआ. यह आश्रम बाद में आजादी के लिए आंदोलनकारी गतिविधियों का केंद्र बना. वर्ष 1930 में गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी यात्रा निकाली जिसका भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. अफ्रीका से लौटने के दो साल बाद गांधीजी ने अंग्रेजो के खिलाफ बिहार के चंपारण से सत्याग्रह शुरू किया किया था. उसके बाद एक-एक कर आंदोलन के जरिए महात्मा ने अंग्रेजों को भारत से भागने पर मजबूर किया.

About Post Author

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x