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776 करोड़ के घोटाले के आरोप में पूर्व आईपीएस गिरफ्तार

Bharat varta desk:

छत्तीसगढ़ के अरबों रुपये के शराब घोटाला मामले में बिहार के गोपालगंज से पूर्व एमडी को गिरफ्तारकिया गया है। पुलिस ने पूर्व एमडीको गिरफ्तारी के बाद ईडी को सौंप दिया है। गिरफ्तार किए गए अधिकारी का नाम अरुणपति त्रिपाठी है। वह गोपालगंज के भोरे थानाक्षेत्र के सिसई गांव का रहने वाले हैं। जिनकी गिरफ्तारी भी उनके पैतृक गांव सिसई से ही हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अरुणपति त्रिपाठी वर्तमान में भिलाई में सेक्टर 9 में रहते थे। जिन्हें 10 और 11 अप्रैल की रात को एसीबी ने सिसई से गिरफ्तार कर ईडी को सौंप दिया था। इनके ऊपर ईडी का केस दर्ज है। जिस मामले में पूर्व में 9 माह जेल में बंद था। लेकिन ये मोबाइल बंद कर जनवरी माह से ही फरार थे। लेकिन इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।

दरअसल, छत्तीसगढ़ में 700 करोड़ से अधिक रुपए का शराब घोटाला हुआ है। जिसमें ईडी ने केस दर्ज कर पूरे मामले की छानबीन शुरू कर दी है। इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई करते हुए शराब मामले में मनी लांड्रिंग की कार्रवाई को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि एजेंसी के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आगे बढ़ने के लिए कोई अनुसूचित अपराध स्थापित नहीं हुआ है। इसके बाद ईडी द्वारा शराब घोटाला मामले में नया ईसीआइआर दर्ज किया गया है।

शराब घोटाले में 70 से अधिक लोगों का नाम

दरअसल, राज्य में नई सरकार के गठन होने के बाद एसीबी और ईओडब्ल्यू ने शराब घोटाले को लेकर एफआइआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू की है। इसी एफआइआर में तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा, आबकारी विभाग के पूर्व विशेष सचिव और छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के एमडी अरुण पति त्रिपाठी, पूर्व नौकरशाह विवेक ढांढ, कांग्रेस नेता अनवर ढेबर सहित 70 लोगों के नाम शामिल हैं।

अरुणपति त्रिपाठी ने बताया कि वे पूर्व में छत्तीसगढ़ शासन में विशेष सचिव और छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के एमडी के पद पर कार्यरत थे। लेकिन छत्तीसगढ़ शासन में बीजेपी की सरकार बनते ही उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया था। जिसके बाद उन्होंने दिल्ली में दूरसंचार विभाग में अपनी सेवा दी है। वे यहां पर निदेशक के पद पर तैनात हैं। अरुणपति त्रिपाठी ने बताया कि शराब मामले में केस हुआ है। इसी मामले में ईडी के द्वारा केस दर्ज किया गया है। जिसमे कमीशनखोरी को लेकर जांच चल रही है। इनके ऊपर भी जांच की जा रही है।

Ravindra Nath Tiwari

तीन दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय। 17 साल हिंदुस्तान अखबार के साथ पत्रकारिता के बाद अब 'भारत वार्ता' में प्रधान संपादक।

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