17 नवंबर को यमुनानगर में की अपने बेटे कपिल कुमार की शादी
बागपत,संवाददाता: महिला थाने में तैनात नेत्रपाल ने कहा कि कुप्रथा है दहेज लेना, समाज में कोढ़ की तरह है दहेज प्रथा।
महिला थाने के एसएसआई नेत्रपाल ने समाज सुधार की दिशा में बड़ी पहल की है। शिक्षक बेटे की शादी में मिले 51 लाख रुपये के दहेज को उन्होंने वापस लौटा दिया। फिजूलखर्ची रोकने के लिए बारातियों की संख्या भी सीमित रखी। नेत्रपाल की पहल को समाज की सराहना मिल रही है।
सहारनपुर के वैशाली विहार के रहने वाले नेत्रपाल सिंह 14 फरवरी 1988 को यूपी पुलिस में भर्ती हुए थे। इन दिनों वह महिला थाने में एसएसआई हैं। उन्होंने बताया कि उनका बेटा कपिल कुमार मध्य प्रदेश के सतना स्थित केंद्रीय विद्यालय में उप प्रधानाचार्य है।
17 नवंबर को उन्होंने बेटे की शादी हरियाणा के यमुनानगर क्षेत्र के गांव खानपुर की रहने वाली शीतल से की है। शीतल संपन्न किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके परिवार ने अपनी बेटी को दहेज में 51 लाख रुपये दिए, लेकिन नेत्रपाल ने विवाह मंडप में ही रुपये लौटा दिए। एसएसआई का कहना था कि दहेज लेना गलत है। घरातियों के जिद करने पर उन्होंने दस रुपये की मिलाई ली है। विवाह मंडप में मौजूद बारातियों और घरातियों ने उनके प्रयास की सराहना की।
समाज को मिलकर मिटानी होगी दहेज जैसी कुप्रथा
एसएसआई नेत्रपाल का कहना है कि दहेज जैसी कुप्रथा का मिलकर खात्मा करना होगा। शिक्षा का उजियारा करना होगा। युवा इस मुहिम को आगे बढ़ाएं और खुद ही दहेज प्रथा का विरोध शुरू करें।
लड़के की शादी में नहीं होना चाहिए रिशेप्शन
एसएसआई नेत्रपाल का कहना है कि कुछ लोग अब लड़कों की शादी में रिशेप्शन कर रहे हैं। जबकि बेटों की शादी में मंढा होता था। प्राचीन परंपरा का पालन किया जाना चाहिए।
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