मगही, अंगिका और भोजपुरी के खिलाफ आदिवासी संगठनों का प्रदर्शन

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रांची भारत वार्ता संवाददाता:
झारखंड में 1932 का खतियान लागू करने की मांग को लेकर कई आदिवासी सामाजिक संगठनों ने राजधानी रांची के अल्बर्ट एक्का चौक के समक्ष प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित सभी कैबिनेट मंत्रियों का पुतला दहन किया। प्रदर्शन में झारखंड प्रदेश दलित संघर्ष समिति, आदिवासी जन परिषद, आदिवासी लोहरा समाज, वेदिया विकास समिति सहित कई अन्य संगठन के सैकड़ों लोग शामिल हुए।
पुतला दहन के बाद पत्रकारों से बात करते हुए आदिवासी जन परिषद के नेता प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि आज सभी कैबिनेट मंत्रियों का पुतला दहन किया गया क्योंकि राज्य सरकार राज्य में बाहरी भाषा को मान्यता दे रहे है। जिसमे भोजपुरी, मगही, अंगिका आदि शामिल है। जबकि बिहार में इन भाषाओं को कोई मान्यता नहीं मिली है।
उन्होंने मांग किया कि सरकार कैबिनेट की बैठक कर बाहरी भाषाओं को रद्द करें और जनजातियों की सभी भाषाओं को शामिल करें। क्योंकि झारखंड की अस्मिता यहां की भाषा है।
उन्होंने कहा कि हमें किसी दूसरे भाषा से कोई विरोध नहीं है लेकिन जो हमारी विरासत और हमारी परंपरा को राज्य में लागू करेगा हमारा संगठन उसे भी समर्थन देगी।
वहीं उन्होंने बताया कि 28 फरवरी को पूरे झारखंड में मानव श्रृंखला कर अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रखेंगे।

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