पॉलिटिक्स

भारत समेत विश्व के 26 देशों में न्याय और शांति के लिए पदयात्रा, हिंसा को खत्म करना है लक्ष्य

प्रसून लतांत
नई दिल्ली । एकता परिषद के संस्थापक और विश्वविख्यात गांधीवादी नेता राजगोपाल की अपील पर देश और विदेश में न्याय और शांति के लिए पर यात्राएं शुरू हो गई हैं। विश्व शांति दिवस पर राजगोपाल पीवी ने बिहार की राजधानी पटना के नौबतपुर से पदयात्रा शुरू करके देश विदेश में पदयात्राओं का विधिवत उद्घाटन कर दिया है।
देश के गांव गांव से गुजरने वाली न्याय और शांति के लिए पद यात्राएं निकालने का मकसद यह है कि देश और दुनिया में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष हिंसा जड़ मूल से खत्म हो। राजगोपाल चाहते हैं कि मनुष्य का जीवन ऐसा हो जिसमें युद्ध की जरूरत नहीं है। वह ऐसी समाज रचना करना चाहते हैं जिसमें शोषण नहीं हो और गैर बराबरी नहीं हो। वे चाहते हैं कि राज्य की ऐसी व्यवस्था हो, जिसमें दमन नहीं है । इन्हीं आकांक्षाओं को लेकर राजगोपाल पीवी ने प्राकृतिक संसाधनों खास कर जमीन के मुद्दे को लेकर अब तक अनेक पदयात्राएं की। क्योंकि जमीन का ठीक से वितरण नहीं होने से भी हिंसा पैदा होती रहती है। नई सदी में राजगोपाल पीवी पहले और अकेले ऐसे गांधीवादी व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने वंचितों, आदिवासियों और दलितों के हित में अनेक पदयात्राएं की । इनकी अपील पर यात्रा शुरू हो गई हैं।
यह पदयात्रा अपने देश में 11 राज्यों में एक सौ से अधिक जगहों पर शुरू हो गई है, जो 12 दिनों तक चलेगी और विश्व अहिंसा दिवस यानी गांधी जयंती के दिन संपन्न होगी। सैकड़ों जगहों से शुरू हुई पदयात्राएं अपने अपने गंतव्य की तरफ आगे बढ़ रही हैं। इसके अलावा भारत के बाहर 25 देशों में भी पदयात्राएं शुरू हो गई हैं। भारत में ये पदयात्राएं 12 दिनों में करीब 2000 गांव से गुजरेगी, जिसमें 5000 से अधिक पद यात्री शामिल हैं। पद यात्रा के दौरान ये यात्री करीब दो लाख लोगों से सीधा संवाद करेंगे।

लाखों लोगों से होगा सीधा संवाद

विश्व अहिंसा दिवस पर गांधी जयंती के दिन तक इन पदयात्राओं के जरिए करीब दस लाख लोगों तक गांधी का संदेश पहुंच जाएगा। पद यात्रा के दौरान कार्यकर्ता पहले दिन उपवास करेंगे दूसरे दिन पौधे रोपेंगे। तीसरे दिन जलवायु परिवर्तन के कारण प्रकृति में होने वाले बदलावों पर विचार करेंगे। इसी तरह यात्रा के समापन के पूर्व गांव कि समस्या,सफाई और गांधीवादी अर्थव्यवस्था पर विचार करेंगे। रास्ते भर विभिन्न मांगों को लेकर लोगो से हस्ताक्षर अभियान भी चलेंगे। पदयात्री देश में शांति मंत्रालय की भी मांग कर रहे हैं।

2 अक्टूबर को होगा समापन

पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे राजगोपाल पी.व्ही. ने इस मौके पर कहा कि पदयात्रा की शुरुआत अन्तराष्ट्रीय शान्ति दिवस के मौके पर की जा रही है और इसका समापन 2 अक्टूबर, अन्तराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के मौके पर की जाएगी। यह पदयात्रा अपने आप में एक ऐतिहासिक कदम है, इस यात्रा में सैकड़ों युवा शामिल होंगे जो इस दौरान लोगों से न्याय और शांति आधारित समाज के बारे में बात करेंगे। भारत में इस प्रकार की यह बड़ी पहल तो है ही, साथ ही साथ वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण पहलों में से एक है।

पैदल चलेंगे 5 हजार यात्री

एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक अनिस कुमार के मुताबिक यात्रा के दौरान लगभग पांच हजार पदयात्री पैदल चलेंगे और लगभग दस हजार किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी। 12 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा में हर दिन अलग-अलग कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इन कार्यक्रमों में जलवायु परिवर्तन, अहिंसात्मक अर्थव्यवस्था, पलायन, युवाओं में अहिंसा आधारित नेतृत्व कौशल विकसित करने, आदि जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही यात्रा के दौरान आने वाले गावों में शान्ति कैसे स्थापित हो, गावं को कैसे सुंदर बनाया जाए, शुद्ध और पीने युक्त पानी तक सबकी पहुँच कैसे सुनिश्चित हो आदि जैसे स्थानीय मुद्दों पर भी बातचीत की जाएगी और स्थानीय समस्याओं के अहिंसात्मक समाधान की भी तलाश की जाएगी।

लक्ष्य

पदयात्रा की अगुआई कर रहे गाँधीवादी राजगोपाल पदयात्रा के उद्देश्य के बारे में बताते हुए कहते हैं कि 21 सितम्बर, अन्तराष्ट्रीय शान्ति दिवस से 2 अक्तूबर, अन्तराष्ट्रीय अहिंसा दिवस तक का जो महत्वपूर्ण समय हमारे पास है उसका हम किस प्रकार से सदुपयोग करें जिससे हम विश्व में अहिंसा, न्याय और शांति को फैला सकें। कोई भी दिवस मनाना महत्वपूर्ण नहीं होता है, लेकिन उस दिवस के इर्द-गिर्द हम क्या और किस प्रकार का कार्यक्रम करते हैं यह महत्वपूर्ण होता है। हमारा मकसद है, यात्रा के दौरान सैकड़ों युवा इन दिवसों को अपने कमरे और कैम्पस में मनाने के बजाय हमारे साथ सड़कों पर यात्रा में शामिल होकर और समाज के विभिन्न मुद्दों से रूबरू होकर इन पर बातचीत करे।

Ravindra Nath Tiwari

तीन दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय। 17 साल हिंदुस्तान अखबार के साथ पत्रकारिता के बाद अब 'भारत वार्ता' में प्रधान संपादक।

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