बेगूसराय में दिखा IPS विकास वैभव की मुहिम का दम, सभा में जुटे हजारों लोग
बेगूसराय : लेट्स इंस्पायर बिहार अभियान के सूत्रधार और बिहार के चर्चित आईपीएस विकास वैभव के द्वारा रविवार को जीडी कॉलेज मैदान में आयोजित कार्यक्रम ‘नमस्ते बिहार’ में हजारों की संख्या में युवाओं और बुद्धिजीवियों का जुटान हुआ। संवाद कार्यक्रम की सफलता का अंदाजा इससे लगाया जा रहा है कि सुबह 8 बजे से ही लोग कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचने लगे थे। यह लेट्स इंस्पायर बिहार अभियान का पहला बृहत जन संवाद कार्यक्रम था। अब तक बिहार के कई प्रखंडों में लेट्स इंस्पायर बिहार अभियान का कार्यक्रम अब तक सफलता से हो चुका है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आईपीएस विकास वैभव ने उपस्थित लोगों को बिहार को बदलने और प्रेरित करने का संकल्प दिलाया।
सभा को संबोधित करते हुए आईपीएस विकास वैभव ने कहा कि यह न तो राजनीतिक कार्यक्रम है और न ही धार्मिक मंच। इस मंच का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ बिहार को बदलने का है, बिहार का खोया हुआ गौरव वापस दिलाने का है। इस अभियान का उद्देश्य बिहारियों को बिहारी अस्मिता का परिचय कराना है। उन्होंने कहा कि एक समय था जब बिहार का नाम आते ही लोगों के मन में सम्मान भर जाता था लेकिन आज वही समय है जब बिहार का नाम कहने में बिहारियो को शर्म आती है। आज और पूर्व के बिहार में इतना अंतर है इसे सरल भाषा में समझा जाए तो पहले भी जातियां होती थी लेकिन जातिवाद नहीं था। यही वजह थी कि आचार्य चाणक्य ने चंद्रगुप्त की जाती ना देखते हुए उसे सम्राट बनाया। लेकिन आज बिहार जातिवाद के दंश में झुलसता जा रहा है। हमसब को मिलकर जातिवाद के इस दंश को मिटाना होगा। हमसब को मिलकर विकसित बिहार बनाने के लिए योगदान देना होगा।
विकसा वैभव ने कहा कि बिहार के सभी 38 जिलों से हजारों की संख्या में राष्ट्रकवि दिनकर की भूमि बेगूसराय के गणेश दत्त महाविद्यालय में हर जाति, संप्रदाय और समाज के हर वर्ग से सभी अमीर, गरीब, किसान, श्रमिक, उद्यमी और युवा महिला और पुरूष जुटे तो संकल्प केवल एक था कि जाति-संप्रदाय आदि लघुवादों से उपर उठकर हम मिलकर अपने ही पूर्वजों की दृष्टि पर आधारित बिहार के उज्ज्वलतम भविष्य का निर्माण करेंगे। जिस संकल्प का शंखनाद आज राष्ट्रकवि दिनकर की भूमि से हुआ है, वह निश्चित ही 2047 तक एक ऐसे बिहार को पुनर्स्थापित करेगा जहां शिक्षा अथवा रोजगार के लिए किसी व्यक्ति को अन्यत्र जाने की आवश्यकता न हो।