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पूर्व डीजीपी अभ्यानन्द ने बताया चुनाव सुधार का तरीका

NewsNLive Desk : चुनाव प्रणाली में सुधार को लेकर बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक अभ्यानन्द ने शुक्रवार को NewsNLive के फेसबुक लाइव वार्ता में एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। अभ्यानन्द ने कहा कि हमारी चुनाव प्रणाली में कुछ त्रुटियों के प्रति सावधान रहना भी आवश्यक है, जिसमें लोकतांत्रिक व्यवस्था में सुधार की काफी गुंजाइश रहती है। भारत को अपना समाधान खोजना होगा और ऐसी प्रणाली अपनाई जानी चाहिए, जो यहां के अनुरूप हो।

अभ्यानन्द ने चुनाव प्रणाली में सुधार हेतु सुझाव देते हुए कहा कि वर्तमान में लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों में “फर्स्ट -पास्ट-द-पोस्ट (FPTP)” का सिद्धांत लागू होता है। इससे उस चुनाव-क्षेत्र में अक्सर ऐसे प्रतिनिधि का चुनाव हो जाता है जो उस क्षेत्र के आबादी या वोटरों के बहुमत का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

आपको बता दें कि “फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट” सिद्धांत का तात्पर्य है कि जो उम्मीदवार अधिकतम मत प्राप्त करता है वह चुनाव में विजयी होता है। इस सिद्धांत का दोष यह है कि यह लोकतंत्र में वास्तविक बहुमत के नियम को निर्धारित नहीं करता है। लोकसभा एवं विधानसभा के सदस्यों में से अधिकतर सदस्य अल्पमत से निर्वाचित होते हैं। ऐसा भी होता है कि जब कुल मतों के मात्र 12 प्रतिशत या 15 प्रतिशत वोट पाने वाले लोग भी निर्वाचित हो जाते हैं।

आगे अभ्यानन्द ने कहा कि इसलिए इन चुनावों में भी राज्यसभा एवं विधानपरिषद की भांति अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली अपनाने की जरूरत है, जहां वरीयता मत देने और कई चरण में गिनती करने की व्यवस्था हो। संभावित प्रत्याशी और दल चुनाव-क्षेत्र के जातीय आंकड़े रखते हैं जिससे कुछ निश्चित बहुसंख्यक जातियों को महत्व दिया जाता है और बाकी लोगों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। इससे जाति-आधारित चुनाव-प्रचार को बढ़ावा मिलता है।

अभ्यानन्द ने कहा है कि चुनाव प्रणाली के इस बुराई से लड़ा जा सकता है – अगर प्रत्येक चुनाव के 2 माह पूर्व रैंडम पद्धति से चुनाव-क्षेत्र को पुनः परिभाषित करने की व्यवस्था लागू कर दी जाए ताकि किसी को जाति-आधारित चुनाव प्रचार करने की योजना बनाने का मौका ही न मिले। इसका तात्पर्य यह है कि चुनाव के 2 माह पूर्व आयोग द्वारा बिना कोई पूर्व योजना के चुनाव-क्षेत्र का नए सिरे से परिसीमन तय की जाए।

Dr Rishikesh

Editor - Bharat Varta (National Monthly Magazine & Web Media Network)

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