पंचवटी के पौधों से ही बचेगा जीवन, राजमहल और उधवा में की गई पंचवटी की स्थापना….
गंगा समग्र और कौशल्या ज्योति ट्रस्ट का अभियान पंचवटी लगाओ, जीवन बचाओ
साहिबगंज संवादाता: गंगा समग्र व कौशल्या ज्योति ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में रविवार को राजमहल व उधवा प्रखंड के विभिन्न स्थानों पर पंचवटी के पौधे लगाए गए . राजमहल स्थित बीएलएनएल बोहरा महाविद्यालय में विधायक अनंत कुमार ओझा, गंगा समग्र के प्रांत संयोजक डॉक्टर देवव्रत, प्रांत सह संयोजक भूदेव कुमार, कौशल्या ज्योति ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ सुरेंद्र नाथ तिवारी, बीएलएनएल बोहरा महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य प्रोफेसर हरी शंकर सिंह, अभाविप के पूर्व प्रांत प्रादेशिक विश्वविद्यालय कार्य प्रमुख गौरव दुबे द्वारा संयुक्त रुप से पंचवटी के 5 पौधों का रोपण किया गया.
क्षेत्रीय विधायक अनंत ओझा ने पंचवटी वृक्ष की विशेषताओं का वर्णन करते हुए कहा कि इनका आध्यात्मिक महत्व है. भगवान रामचंद्र जी अपने वनवास काल के अधिकांश समय पंचवटी वृक्ष के समीप गुजारे थे. पंचवटी वृक्ष किस स्थान पर लगते हैं उस स्थान का जल व वातावरण सभी शुद्ध हो जाता है. वहां एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. हम सभी को अपने जीवन में एक वृक्ष अवश्य करना चाहिए. वहीं विधायक श्री ओझा ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए गंगा समग्र व कौशल्या ज्योति ट्रस्ट का आभार प्रकट किया.
वहीं गंगा समग्र के प्रांत संयोजक डॉ देवव्रत ने कहा कि गंगा समग्र द्वारा गोमुख से गंगासागर गंगा नदी का गंगासंरक्षण हेतु हरसंभव कार्य किया जा रहा है क्योंकि जल और वृक्ष रहेगा तभी सृष्टि का बच पाना संभव है. वही संघ के जिला संपर्क प्रमुख सह कौशल्या ज्योति ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ सुरेंद्र नाथ तिवारी ने कहा कि वर्तमान समय में जो प्रकृति व्यवहार कर रही है उसका कारण प्रकृति का दोहन होना है, इसलिए प्रकृति और मानव सृष्टि की रक्षा के लिए वृक्षारोपण जल संरक्षण अति आवश्यक है.
कौशल्या ज्योति की ओर से पंचवटी लगाओ जीवन बचाओ अभियान बिहार और झारखंड में चलाया जा रहा है. वही गंगा समग्र के प्रांत सहसंयोजक भूदेव कुमार ने कहा की एक मनुष्य को अपने जीवन में पौधे अवश्य लगाना चाहिए गंगा समग्र की ओर से जल, जंगल, जमीन के संरक्षण हेतु पूरे देश में अभियान चलाया जा रहा है है. परंतु जब तक आम जनमानस की भागीदारी नहीं होगी तब तक या उद्देश्य पूरा नहीं हो पाएगा. मौके पर दीपक चंद्रवंशी, सूरज यादव, प्रो0 सुधांशु शेखर पाठक, मोहन राय ओमप्रकाश साहा सहित अन्य मौजूद थे.