धर्म/अघ्यात्म

नवरात्र विशेष: बंगाल का सिद्ध शक्तिस्थल तारापीठ

  • शिव शंकर पारिजात, उप जनसंपर्क निदेशक (अवकाश प्राप्त), सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, बिहार सरकार।

NewsNLive नवरात्र विशेष: तारापीठ बंगाल का एक प्रमुख शक्तिस्थल है जो पटना-हावड़ा लूप रेल लाईन पर झारखंड-बंगाल की सीमा पर रामपुर हाट स्टेशन (बीरभूम जिला) से करीब 8 किमी दूर द्वारिका नदी के तट पर स्थित है। यहां से कोलकाता से यह 213 किमी और पटना से (भाया जमालपुर-भागलपुर) 389 किमी की दूरी पर स्थित है। रेल के अलावे यहां सड़क मार्ग से भी देश के किसी कोने से पहुंचा जा सकता है।

बंगाल में शक्ति-पूजा की प्राचीन परम्परा है। यहां के घर-घर में देवी काली की पूजा होती है जिनके मंदिर यहां के हर गली-मुहल्लों में देखने को मिल जायेंगे। तारापीठ में आद्या देवी शक्ति की अवतार मां तारा विराजती हैं। इस स्थल की मान्यता एक जाग्रत शक्ति पीठ एवं तंत्रपीठ के रूप में है जहां आराधकों और साधकों की विनती शीघ्र सुनी जाती है। मां तारा सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य-आरोग्य व ज्ञान-साधना की देवी मानी जाती हैं। यही कारण है कि बिहार, बंगाल और झारखंड सहित देश के कोने-कोने से प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु यहां तारा मां के दर्शन हेतु यहां आते हैं एवं भक्ति पूर्वक पूजन-अर्चन कर मनोवांछित फल पाते हैं।

शक्ति-पीठ तारापीठ के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां देवी की आंख का तारा गिरा था जिसकी कथा दक्ष प्रजापति के यज्ञ और माता पार्वती के हवन-कुंड में दाह से जुड़ी है। जब पिता द्वारा अपने पति की अवहेलना से व्यथित पार्वती ने हवन-कुंड में कूदकर आत्मदाह कर लिया और इससे उन्मत्त होकर शिव उनके शव को लेकर तीनों लोक में फिरने लगे तो भगवान विष्णु ने देवी के शव को सुदर्शन चक्र से काट डाला जिसके 51 टुकड़े विभिन्न स्थानों में गिरे जिनकी मान्यता 51 शक्तिपीठों में हुई। तारापीठ में देवी की आंखों के तारे गिरे थे, इस कारण इसकी प्रसिद्धि तारापीठ के नाम से हुई। ऐसे एक मान्यता यह भी है कि यह स्थल बिहार के महेशी में है।

देवी तारा की गणना दश महाविद्याओं में होती है जो शक्ति के रूप में देवी का तांत्रिक अवतार मानी जाती हैं जिनका निवास-स्थान श्मशान होता है। अपने भक्तों की आराधना एवं तंत्र साधकों की साधना से देवी शीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं।

देवी तारा के आविर्भाव के संबंध में ‘कालिका पुराण’ में वर्णित है कि शुंभ व निशुंभ दानवों से पराजय के बाद जब देवतागण हिमालय में जाकर देवी मातंगी का आह्वान करने लगे तो उनके शरीर से महासरस्वती स्वरूप श्वेत वरणवाली कौशिकी के साथ काले वरणवाली काली अथवा उग्रतारा प्रकट हुई थीं। देवी तारा नील वरण की चार भुजाओं वाली होती हैं जिसमें वे तलवार, खप्पर, कटार और नील कमल धारण करती हैं।

धार्मिक ग्रंथों में करूणामयी तथा कल्याणमयी तारा मां के आठ रूपों की चर्चा है जो उग्र तारा, नील सरस्वती, एकजटा भवानी, महोग्रा, कामेश्वरी, चामुण्डा, वज्र और भद्रकाली आदि नामों से भी जानी जाती हैं। वशिष्ठ मुनि द्वारा पूजित होने के कारण मां का एक नाम वशिष्ठ आराधित तारा भी है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वशिष्ठ मुनि ने तारा मंदिर के निकट द्वारिका नदी के तट पर स्थित श्मशान में तारा की आराधना की थी जिसके कारण ये वशिष्ट आराधित तारा के नाम से भी जानी जाती हैं। स्थानीय परम्परा के अनुसार मुनि वशिष्ठ ने इस स्थान को इस कारण अपनी साधना के लिये चुना क्योंकि इसकी प्रसिद्धि सिद्ध पीठ के रूप में थी।

बताते हैं कि वशिष्ट मुनि ने यहां कठोर तपस्या करते हुए 3 लाख तारा मंत्रों के जाप किये थे जिससे प्रसन्न होकर उनके समक्ष पकट् हुई। वशिष्ठ के अनुरोध पर देवी ने उन्हें भगवान शिव को दुग्ध-पान कराते हुए मातृ स्वरुप में दर्शन दिये जिसके उपरांत वे शिलामूर्ति में परिवर्तित हो गईं। बाद में द्वारिका नदी के तट पर स्थित श्मशान, जहां वशिष्ट मुनि ने तपस्या की थी, से प्राप्त तारा माँ की शिलामयी प्रस्तर मूर्ति को मुख्य तारा मंदिर में लाकर प्रतिष्ठित किया गया है जिसके उपर देवी की चांदी की मुखाकृति आवेष्ठित कर दी गई है जिसका दर्शन-पूजन श्रद्धालुगण करते हैं। प्रतिदिन देर रात्रि में भक्तों को देवी तारा के शिलारुप का दर्शन कराया जाता है।

देवी के द्वारा मातृरूप में भगवान शिव के दुग्धपान कराने का प्रसंग पौराणिक समुद्र मंथन की घटना से जुड़ा हुआ है। कहते हैं कि समुद्र मंथन से निकले विष का पान करने से जब उसकी ज्वाला से वे विह्वल हो उठे, तो देवी पार्वती ने उनको मातृस्वरूप धारण कर दुग्धपान कराया था जिसके पश्चात उनके कंठ की ज्वाला शांत हुई थी। जिस मंदार पर्वत से समुद्र मंथन किया गया था, वो तारापीठ से करीब 137 कि.मी. (भाया दुमका-हंसडीहा) पर बौंसी ( बांका जिला, बिहार) में अवस्थित है। मुख्य तारा मंदिर के निकट स्थित श्मशान में वशिष्ठ मंदिर तथा पंचमुंडी मंदिर निर्मित है जहां साधना करते साधकों को देखा जा सकता है। जाने-माने इतिहासकार विलियम डेलरिंपल ने भी अपनी पुस्तक ‘नाईन लाइव्स: द लेडी ट्वीलाईट’ में तारापीठ की अलौकिक कहानियों के उल्लेख किये हैं।

हिंदू धर्मावलंबियों की तरह बौद्ध धर्म में भी देवी तारा का अत्यंत महात्यम है। बौद्ध धर्म में भी ये शाक्त देवी के रूप में पूजी जाती हैं। बौद्ध धर्म में शाक्त धर्म से ही देवी तारा का प्रवेश हुआ है। ‘डेवलपमेंट ऑफ बुद्धिस्ट आईकोनोग्राफी इन इस्टर्न इंडिया’ में मल्लार घोष कहते हैं कि तारा का आविर्भाव पुराणों में वर्णित देवी दुर्गा से हुआ है। वे शाक्त धर्म के साथ बौद्ध धर्म में भी दश महाविद्याओं में एक मानी जाती हैं।

बौद्ध धर्म की तिब्बती मान्यताओं में आर्यतारा को महायान में नारी बोधिसत्व और वज्रयान में नारी बुद्ध के रूप में पूजित हैं जो मुक्ति व सफलता प्रदान करती हैं। कतिपय मूल बौद्ध ग्रंथों में तारा को सभी तथागतों की माता बताया गया है। तिब्बती बौद्ध धर्म में श्वेत तारा और हरित तारा की विशिष्ट मान्यता है। वज्रयान और तंत्रयान के विशिष्ट केंद्र के रूप में प्रसिद्ध विक्रमशिला बौद्ध महाविहार के आचार्य दीपंकर श्रीज्ञान अतिश की आराध्य देवी तारा ही थीं।

मां तारा के अनन्य भक्त बामाखेपा अर्थात बामदेव का उल्लेख किये बिना तारापीठ की चर्चा अधूरी है। कहते हैं उन्हें मां का दर्शन प्राप्त हुआ था। तारापीठ में मां के मंदिर परिसर में ही बामदेव का भी मंदिर है। ऐसा विरले होता है कि एक ही स्थान पर भक्त के साथ उनके भगवान की भी पूजा होती हो।

तारापीठ का मुख्य मंदिर अत्यंत भव्य और आकर्षक है तथा बंगाल की पारम्परिक चाला रीति में निर्मित है। लाल सूर्ख ईंटों से बने इस मंदिर की दीवारों पर विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों के अलावे रामायण के प्रसंग अंकित हैं।

यह उन दिनों की बात है जब तारापीठ नाटोर स्टेट के अन्तर्गत आता था जो तत्कालीन पूर्व बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश) में पड़ता था। 34 हजार वर्ग किलोमीटर में फैले डेढ़ करोड़ के राजस्व वाले नाटोर स्टेट की रानी भवानी कुशल शासक के साथ बहुत ही धार्मिक स्वभाव की थी और मां तारा के मंदिर के निर्माण, जीर्णोद्धार तथा प्रबंधन-व्यवस्था में उनका विशेष योगदान था। इसके अलावा वाराणसी के प्रसिद्ध दुर्गा कुंड मंदिर के अलावा जैसोर जिला गजेटियर में ओ’ मोली बताते हैं कि रानी भवानी ने 380 मंदिरों तथा धर्मशालाओं के निर्माण करवाये थे।

बामाखेपा एक सिद्ध तांत्रिक तथा मंदिर के बगल में स्थित श्मशान रहते थे। बामा मां के रूप में देवी तारा की आराधना करते थे तथा उनके साथ पुत्रवत उन्मुक्त व्यहवार करते थे जिसके कारण मंदिर के पुजारी उन्हें बीच-बीच में प्रताड़ित करते रहते थे।

इस संबंध में अपनी पुस्तक में डेविड आर.किंसले एक घटना का जिक्र करते हुए कहते हैं कि एक बार बामा ने तारा मां को भोग लगाने के पहले ही उठाकर खा लिया जिससे क्रोधित होकर पुजारियों ने उन्हें मंदिर से निकाल बाहर कर दिया। मां के वियोग में बामा बगल के श्मशान में एक एक पेड़ के नीचे मां की रट लगाते हुए विलाप करने लगे।

कहते हैं अपने पुत्र की इस दशा से मां तारा ने विह्वल होकर नाटोर स्टेट की रानी को स्वप्न दिया है कि मेरा पुत्र श्मशान में भूखा पड़ा है, तो मैं तुम्हारा भोग कैसे स्वीकार कर सकती हूं, पहले उसको भोजन दो। देवी के आदेश का रानी ने तत्काल पालन किया और तब से देवी को भोग लगाने के पूर्व बामा को भोजन देने की परिपाटी चल पड़ी। ऐसी मान्यता है कि मां तारा ने बामा खेपा को दर्शन दिये थे।

तारापीठ में मुख्य मंदिर के सामने एक पोखर है जो जीवंतो पोखर कहलाता है। कहते हैं एक व्यापारी का मृत पुत्र इस पोखर में स्नान कराने से जी उठा था। तारा पीठ में पूजा करने के पूर्व भक्तगण इस सरोवर में स्नान करते हैं। हाल ही में सरकार ने पूरे तारापीठ के साथ इस पोखर का सौन्दर्यीकरण कराया है जिससे यहां की खूबसूरती काफी बढ़ गयी है।

मां तारा को जवा, कमल और नीले फूल अत्यंत प्रिय हैं, इस कारण श्रद्धालुगण इन्हें आवश्यक रूप से मां को अर्पित करते हैं। ऐसे तो यहां सालों भर भक्तों का तांता लगा रहता है, किंतु शनिवार और रविवार-सोमवार को मां तारा का दर्शन-पूजन परम आनन्ददायक तथा फलदायी माना जाता है।

Dr Rishikesh

Editor - Bharat Varta (National Monthly Magazine & Web Media Network)

Recent Posts

पराग जैन होंगे रॉ के नए चीफ

Bharat varta Desk केंद्र सरकार ने शनिवार को पंजाब कैडर के 1989 बैच के आईपीएस… Read More

2 days ago

पुरी में जगन्नाथ यात्रा शुरू, अहमदाबाद में अमितशाह ने की मंगला आरती

Bharat varta Desk पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू हो गई है। सबसे… Read More

3 days ago

बेहोश हुए उपराष्ट्रपति

Bharat varta Desk उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ नैनीताल में तीन दिन के दौरे पर हैं। कुमाऊं… Read More

4 days ago

अब लीडर नहीं,डीलर के हाथो में देश : ललन कुमार

Bharat varta Desk प्सुल्तानगंज महेशी महा दलित टोला में कांग्रेस के सामाजिक न्याय जन चौपाल… Read More

1 week ago

बिहार के कई जिला जज बदले

Bharat varta Desk पटना हाईकोर्ट ने कई प्रिंसिपल जजों को बदल दिया है। कई जज… Read More

1 week ago

प्रधानमंत्री बोले -बिहार समृद्ध होगा तो भारत महाशक्ति बनेगा

Bharat varta Desk बिहार चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज एक बार फिर राज्य… Read More

1 week ago