दुमका और बेरमो के उपचुनाव परिणाम से झारखंड की राजनीति में मचेगा उथल-पुथल

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और बाबूलाल मरांडी पूरा जोर लगा दिया है

रघुवर दास लगातार कैंप कर रहे है दुमका में, दूसरी ओर संथाल परगना के झामुमो कार्यकर्ताओं ने पूरी ताकत झोंक दी है

रांची से मुकेश कुमार

झारखंड के दुमका और बेरमो सीट पर हो रहे उपचुनाव का परिणाम झारखंड की राजनीति में उथल-पुथल मचा सकता है दुमका झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन की और बेरमो कांग्रेसी टिकट राजेंद्र सिंह की पर्याय रही है। शिबू सोरेन के बेटे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा दुमका का सीट खाली करने के बाद उपचुनाव हो रहा है वही राजेंद्र सिंह के निधन के उपरांत बेरमो प्रतिष्ठा की लड़ाई होने जा रही है । दोनों सीटों पर दोनों दलों की की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

दुमका में शिबू सोरेन के दूसरे बेटे बसंत सोरेन और बेरमो मैं राजेंद्र सिंह के बेटे कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह के लिए यह चुनाव आसान नहीं है।
दुमका में 2015 के चुनाव में हेमंत सोरेन भाजपा कि डॉ लुईस मरांडी से चुनाव हार चुके हैं। उस बार वे साहिबगंज जिले के बरहेट विधानसभा क्षेत्र से जीत गए थे। तब के चुनाव में हेमंत के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा की रणनीति काम आई थी । इस आधार पर बे प्रतिपक्ष के नेता बने थे। 2020 के चुनाव में वे दुमका और बरहेट दोनों जगहों से जीते थे। इस बार भाजपा की लुईस मरांडी फिर मैदान में है। झामुमो उम्मीदवार से उनके जबरदस्त टक्कर के आसार हैं। जेपीपी पार्टी से सूरज सिंह बेसरा भी चुनाव लड़ रहे हैं। यहां से कुल 13 उम्मीदवार खड़े हैं। झामुमो को कांग्रेस और राजद का साथ है। झामुमो अपनी इस परंपरागत सीट पर झंडा गाड़ने के लिए पूरी ताकत लगा रहा है। मुख्यमंत्री दुमका पर पूरी तरह अपने को केंद्रित किए हुए हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि हेमंत सरकार के कामकाज से जनता नाराज है। इसका खामियाजा दुमका उपचुनाव में भुगतना होगा।

क्या कहते हैं मुख्यमंत्री के विधानसभा प्रतिनिधि
लेकिन मुख्यमंत्री के बरहेट विधानसभा के प्रतिनिधि पंकज मिश्रा बताते है कि हेमंत सरकार के काम से आदिवासी, दलित ,वंचित, शोषित और आम मध्यमवर्ग काफी खुश है। बसंत सोरेन शिबू सोरेन के बेटे और हेमंत सोरेन के छोटे भाई ही नहीं है बल्कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के जमीनी पकड़ रखने वाले नेता है। झारखंड की सरकार लगातार आमजन और व्यवसायियों के हितों का काम कर रही है इसलिए चुनाव परिणाम हम लोगों के पक्ष में आएगा।

बेरमो में 8 उम्मीदवार
बेरमो में भाजपा ने दिवंगत राजेंद्र सिंह के बेटे के खिलाफ योगेश्वर महतो बाटुल को मैदान में उतारा है। दोनों सीटों को छीनने के लिए भाजपा ने मजबूत कार्य योजना तैयार की है। हालांकि यहां पर कांग्रेस के सभी मंत्रियों ने अपने उम्मीदवार के पक्ष में मजबूत व्यू रचना की है। प्रचार धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है। दोनों सीटों पर
3 नवंबर को मतदान और 10 नवंबर को परिणाम आएंगे।
देखना है कि बाबूलाल मरांडी और रघुवर दास के नेतृत्व में कितनी जोरदार टक्कर होती है हेमंत सोरेन और उनकी टीम के साथ।

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