Bharat varta desk:
गांजा जिसे वीड, कैनाबिस, मारिजुआना, हिम्प आदि कई अन्य नामों से जाना जाता है। कोरोना संकट से ध्वस्त हुई अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए हाल ही में थाईलैंड की सरकार ने गांजा को प्रतिबंधित ड्रग्स की सूची से हटा दिया है। इस तरह थाईलैंड एशिया का पहला ऐसा देश बना है जहां गांजा पीना और घर में उसकी खेती करना वैध होगा।
इसके पहले दुनिया के कई देशों में इसका सेवन और खेती वैध है। जनसत्ता की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2025 तक मारिजुआना का वैध रूप से वैश्विक बाजार 33.6 बिलियन यूएस डॉलर का हो जाएगा। जबकि अवैध बाजार पूरी दुनिया में इससे कई गुना ज्यादा है।
भारत में भी बड़ा बाजार
भारत में चोरी-छिपे गाजी का कारोबार चप्पे-चप्पे में फैला हुआ है। साल 2018 में इज़राइल स्थित एक फर्म सीडो के अपने शोध में बताया था कि मारिजुआना के उपभोग के मामले में भारतीय शहर दुनिया के टॉप-10 शहरों की सूची में शामिल हैं। मारिजुआना की खपत में नई दिल्ली तीसरे और मुंबई छठे स्थान पर है। भारत में इससे प्रतिबंध हटाने की मांग यहां सालों से हो रही है।
यदि भारत सरकार गांजे को प्रतिबंध मुक्त करती है तो सरकार को राजस्व का भारी फायदा हो सकता है। एक मीडिया रिपोर्ट की माने तो सालाना 725 करोड़ रुपये का टैक्स सिर्फ दिल्ली से वसूला जा सकता है। इससे अकेले मुंबई 641 करोड़ टैक्स दे सकती है।
गांजे को बैध बनाने की मांग
जनसत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में गांजे को वैध घोषित करने के लिए राजनीति का स्तर पर कई बार मांग हो चुकी है। इसकी रिपोर्ट की मानें तो कांग्रेस नेता शशि थरूर और भाजपा नेता मेनका गांधी भी यह मुद्दा उठा चुके हैं। थरूर का दावा है कि इसे बैध करने से इसके इस्तेमाल से होने वाले नुकसान में कमी आएगी, भ्रष्टाचार और अपराध का स्तर भी नीचे आएगा। देश की अर्थव्यवस्था किस से मजबूत होगी। योग गुरु बाबा रामदेव इसकी मांग कर चुके हैं।
जनसत्ता की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2017 में गांजा को बैथ करने के लिए एक बिल लाया गया था।
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