फिर जन्म लेगा लव-कुश समीकरण!
पटना, विशेष प्रतिनिधि। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद डॉ संजय जयसवाल द्वारा बढ़ते अपराध के मुद्दे पर सरकार पर किए गए हमले ने सूबे की राजनीतिक समीकरण को झकझोर कर रख दिया है। इसके बाद जदयू के साथ कई नए राजनीतिक समीकरणों के जन्म लेने की संभावना बढ़ गई है। जदयू के कुछ पुराने साथी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नजदीक हो सकते हैं तो कुछ नए साथी भी बन सकते हैं। लव-कुश समीकरण के फिर से जन्म लेने की संभावना भी बढ़ गई है।
कानून व्यवस्था पर सवाल
दरअसल एनडीए के घटक दल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और बेतिया के सांसद डॉ संजय जयसवाल ने कानून व्यवस्था के बहाने सरकार पर निशाना साधा है। बेतिया से पटना लौटने के दौरान विधि-व्यवस्था की स्थिति के अनुभव को उन्होंने फेसबुक पर साझा किया। उन्होंने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए। मोतिहारी से लेकर रक्सौल तक अपराध की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताई। साथ में यह भी कहा कि वे अपराध रोकने के मुद्दे पर डीजीपी से मिलेंगे।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा अपनी ही गठबंधन के सरकार के खिलाफ इस तरह के हमले के बाद जदयू में सन्नाटा छाया हुआ है। लेकिन बिहार की सियासत में खलबली मच गई है। जदयू की ओर से इस पर कोई बड़ा बयान नहीं आया है। जदयू के प्रवक्ता डॉ संजय जयसवाल के पोस्ट पर चुप्पी साधे हुए हैं।
कभी देखिए तो सरकार को बताइए: मयूख
वहीं भाजपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष के स्टैंड को सही बताया है। राष्ट्रीय प्रवक्ता और बिहार विधान परिषद के सदस्य संजय मयूख ने कहा कि हमारा काम है जहां कमी देखिए वहां अपनी सरकार को बता दीजिए।
राजद ने की खिंचाई
इस मुद्दे पर राजद ने एनडीए की खिंचाई कर दी। राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ जयसवाल डमी मुख्यमंत्री से कितनी उम्मीद करते हैं। ऐसे डमी मुख्यमंत्री के रहते कानून का राज कैसे कायम होगा।
चौतरफा हमले से पुराने दोस्तों की जरूरत
कानून व्यवस्था को लेकर चौतरफा हमला झेल रहे जदयू को पुराने दोस्तों की जरूरत महसूस हो रही है। इस बीच कभी जदयू के नेता रहे वर्तमान में रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बढ़ी निकटता चर्चा में है। उपेंद्र ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर किए गए हमले का विरोध किया। इस मुद्दे पर उन्होंने न केवल नीतीश कुमार का समर्थन किया बल्कि मुख्यमंत्री से मिलने उनके आवास पर भी पहुंचे। इसके बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि उपेंद्र न केवल अपनी पार्टी का जदयू में विलय करेंगे बल्कि नीतीश कुमार उन्हें विधान परिषद में भी भेजेंगे। यदि ऐसा होता है तो बिहार में एक बार फिर से लव-कुश कुश समीकरण जन्म लेगा। उपेंद्र राज्य में कुशवाहा बिरादरी के बड़े नेता माने जाते हैं। जदयू से उनके अलग होने के बाद कुशवाहा वोटर जदयू से दूर हुए हैं। जदयू के रणनीतिकारों को यह उम्मीद है कि उपेंद्र के आने से उनकी पार्टी के पक्ष में पहले जैसा कोइरी-कुर्मी समीकरण मजबूत होगा।
अब्दुल बारी सिद्दीकी समेत कई विधायकों को लाने की तैयारी
उपेंद्र कुशवाहा के अलावा राजद नेताअब्दुल बारी सिद्दीकी के भी जदयू में आने की चर्चा है। उनको भी एमएलसी बनाकर मंत्री बनाने की चर्चा है। सिद्दीकी के माध्यम से राजद के कुछ विधायक और नेताओं को भी साधन की कोशिश हो रही है। जदयू की नजर कांग्रेस पर भी है। कांग्रेस के 19 विधायक हैं। जदयू के प्रमुख नेता कांग्रेस के कई विधायकों के संपर्क में है। ऐसी चर्चा है कि कभी कांग्रेस के विधायक दल को तोड़ा जा सकता है। इसके अलावे भी जदयू कई भूले-बिछड़े पुराने साथियों से संपर्क साध रहा है।
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