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कर्नाटक में अब निजी कंपनियों में सी और डी ग्रुप के पदों पर स्थानीय कन्नाडिगा को 100 फ़ीसदी आरक्षण मिलेगा. सिद्धारमैया सरकार ने इससे संबंधित बिल को कैबिनेट में मंज़ूरी दी है. विधि विभाग के सूत्रों के मुताबिक ये विधेयक विधानसभा में कल पेश किया जा सकता है. बिल के मुताबिक किसी भी निजी उद्योग, कारखाना प्रबंधन श्रेणियों में 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधन श्रेणियों में 70 प्रतिशत स्थानीय उम्मीदवारों की नियुक्ति होगी.अगर उम्मीदवारों के पास कन्नड़ भाषा के साथ माध्यमिक विद्यालय प्रमाणपत्र नहीं है, तो उन्हें नोडल एजेंसी से कन्नड़ की दक्षता परीक्षा पास करनी होगी। विधेयक में ये भी कहा गया है कि अगर कोई स्थानीय योग्य उम्मीदवार उपलब्ध नहीं है तो सरकार या उसकी एजेंसियों के सक्रिय सहयोग से प्रतिष्ठानों को तीन साल के अंदर प्रशिक्षण देना होगा.
हालांकि जब मुख्यमंत्री के ऐलान पर विवाद खड़ा हो गया तो आज श्रम मंत्री संतोष लाड ने इस मामले पर सफाई पेश की. इससे पहले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक्स पर कहा, “कल कैबिनेट बैठक में राज्य के सभी निजी उद्योगों में ‘सी और डी’ ग्रेड के पदों पर 100 प्रतिशत कन्नड़ लोगों की भर्ती अनिवार्य करने के विधेयक को मंजूरी दी गई.” उन्होंने कहा कि उनकी सरकार की इच्छा है कि कन्नड़ लोगों को अपने राज्य में आरामदायक जीवन जीने का अवसर दिया जाए और उन्हें ‘कन्नड़ भूमि’ में नौकरियों से वंचित न किया जाए, हालांकि अब वह पोस्ट हटा दी गई है.
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