औरंगाबाद : ओबरा सीट पर जदयू के बागी प्रमोद चंद्रवंशी बने एनडीए के लिए मुसीबत, त्रिकोणात्मक हुआ मुकाबला

0

NewsNLive Desk : बिहार विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियां अपने बागी नेताओं से जूझ रही है। इसके चलते एनडीए और महागठबंधन के कई उम्मीदवारों की मुसीबत बढ़ गई है, जिनके सामने बागी चुनावी मैदान में उतरे हैं। हर दल बागी से जूझ रहा है। प्रथम चरण में सबसे अधिक एनडीए खेमे के नेता बागी बन चुनाव मैदान में हैं।

औरंगाबाद जिले के ओबरा विधानसभा सीट से एनडीए के अधिकृत उम्मीदवार जदयू के सुनील कुमार भाग्य आजमा रहे हैं, लेकिन जदयू नेता प्रमोद चंद्रवंशी यहां निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए हैं। बता दें कि प्रमोद चंद्रवंशी 2010 के विधानसभा चुनाव में ओबरा सीट से जदयू के उम्मीदवार के तौर पर 36,014 वोट लाकर मामूली 802 वोट से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी से चुनाव हार गए थे। 2015 के चुनाव में जदयू के राजद के साथ गठबंधन होने के कारण यह सीट राजद के हिस्से में चला गया था। जिस वजह से प्रमोद चंद्रवंशी बेटिकट हो गए थे। तब उन्होंने पार्टी के निर्णय को दबे मन से स्वीकार कर ओबरा सहित अन्य सीटों पर अतिपिछड़ा समाज के वोटरों को गोलबंद करने के अभियान में लग गए थे। अब जब 2020 के चुनाव में ओबरा सीट जदयू के हिस्से में आने के बावजूद एक बार फिर प्रमोद चंद्रवंशी को नजरअंदाज कर सुनील कुमार को उम्मीदवार बनाया गया तब वे बागी रुख़ अख्तियार कर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए हैं।

एनडीए खेमे के जदयू नेता प्रमोद चंद्रवंशी के बागी होने से ओबरा विधानसभा क्षेत्र में एनडीए का गणित बिगड़ता दिख रहा है। अब वहां लड़ाई त्रिकोणात्मक बन गया है। इस सीट से महागठबंधन से लालू परिवार के करीबी नेत्री व पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह के बेटे ऋषि कुमार राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे। प्रमोद चंद्रवंशी जदयू में अतिपिछड़ा समाज के प्रभावी नेता माने जाते रहे हैं। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक क्षेत्र के जदयू संगठन के कार्यकर्ताओं का भी प्रमोद चंद्रवंशी को मिल रहा। क्षेत्र में सामाजिक सरोकारों व विकास योजनाओं के लिए निरंतर सक्रिय रहने की वजह से उनका समाज के सभी वर्गों में भी अच्छी पैठ माना जाता है। ऐसे में अब तक के रुझान के अनुसार मुख्य मुकाबले में महागठबंधन प्रत्याशी के सामने मुख्य मुकाबले में जदयू के बागी प्रमोद चंद्रवंशी भी प्रबल प्रतिद्वंदी दिख रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि मतदान की तिथि तक माहौल किसके पक्ष में जाता है। क्योंकि अब तक वर्चुअल रैली कर रहे सभी दलों के प्रमुख नेता भी अब एक्चुअल रैली के लिए निकल रहे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व भाजपा के राष्ट्रीय नेता भी अपने उम्मीदवारों का माहौल बनाने के लिए रैली करने निकल रहे। राजद नेता तेजस्वी यादव भी रैली के माध्यमों से जोर लगा रहे। चुनावी समर में ऐसा माना जाता है कि प्रमुख नेताओं के रैली के माध्यम से अंतिम दिन तक में माहौल बदलता व बिगड़ता है।

About Post Author

4 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x