पटना संवाददाता: कृषि बिलों के विरोध में महागठबंधन द्वारा आहूत मानव श्रृंखला में शामिल होने के बाद अपने आवास पर लौटने के रास्ते में अचानक इको पार्क के पास रुके। तेजस्वी फुटपाथ पर गन्ने का जूस का मजा लेते नजर आए। उन्होंने जूस पीने के बाद जूस वाले को पैसे भी दिए।
मानव श्रृंखला में शामिल होने के बाद तेजस्वी यादव ने कहा है कि किसानों के पसीना बहाने से, ठंडी, गर्मी, बरसात की परवाह किए बिना कमरतोड़ मेहनत द्वारा अन्न उपजाने से देश का पेट भरता है। पर क्या देश बदले में किसान का ध्यान रखता है? क्या तथाकथित कृषि प्रधान देश भारत में किसानों के बच्चों का भविष्य सुरक्षित है? क्या देश का किसान सुखी है? देश किसानों को उसकी फसल का अधिकतम तो भूल जाइए, न्यूनतम मूल्य भी नहीं देता है। आज देश का संतोषी किसान इस न्यूनतम मूल्य के लिए लड़ रहा है और दुर्भाग्यपूर्ण है कि अभी भी देशवासियों का एक बड़ा भाग किसानों की इस लड़ाई में उसके साथ खड़े होने से कतरा रहा है।
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