स्टार्टअप सीडफंड वितरण कार्यक्रम : खुद बनें मालिक, दूसरों को दे रोजगार – उद्योग मंत्री

0

  • स्टार्टअप के माध्यम से भरें उड़ान: समीर कुमार महासेठ

पटना : उद्योग विभाग द्वारा विकास भवन में आयोजित स्टार्ट-अप सीड फंड वितरण कार्यक्रम में बिहार स्टार्ट-अप नीति के तहत नवचयनित 19 नए स्टार्ट-अप को 84 लाख रूपये का सीड फंड प्रदान किया गया। समारोह में बिहार के उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ, उद्योग विभाग के प्रधान सचिव संदीप पौण्डरीक, उद्योग निदेशक पंकज दीक्षित और विशेष सचिव दिलीप कुमार उपस्थित रहे। कार्यक्रम में स्टार्ट-अप नीति के लाभुकों को संबाधित करते हुए उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व में बिहार सरकार बिहार के युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार के असवर उपलब्ध कराने के लिए प्रयत्नशील है। स्टार्ट-अप नीति के तहत युवा सोंच को बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप के तहत बिहार के बेटियों और बहनों को बढ़ाने के लिए भी प्रयास किया जा रहा है। स्टार्ट-अप नीति के तहत महिलाओं को 5 प्रतिशत की अधिक सीड फंड दिया जा रहा है। उद्योग मंत्री ने कहा कि पुरानी समस्याओं का अध्ययन नए विजन के साथ करना है और उनके नए समाधान खोजने हैं। अपने बुद्धि-विवेक और नए तकनीक का उपयोग करते हुए कम कीमत पर अच्छी सुविधाएँ और गुणवत्तापूर्ण सामान लोगांे तक पहँुचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
उद्योग विभाग के प्रधान सचिव संदीप पौण्डरीक ने कहा कि बिहार इमर्जिंग स्टार्ट-अप इको सिस्टम में बिहार देश में पहले स्थान पर है। स्टार्ट-अप को सीड फंड उपलब्ध कराने के साथ-साथ हम को-वर्किंग स्पेस और फैसिलिटेशन सेन्टर भी उपलब्ध करा रहे हैं। पटना के मौर्यालोक कॉम्प्लेक्स में 64 स्टार्ट-अप को 104 सीटें उपलब्ध करायी जा चुकी हैं। फ्रेजर रोड के वित्तीय निगम भवन में स्टार्ट-अप के लिए 200 से अधिक सीटों के लिए आधुनिक कार्यालय विकसित किया जा रहा है। इन स्थानों पर काम करने की जगह के साथ-साथ ऊँच स्तरीय कन्सलटेन्सी सेवा भी उपलब्ध रहेगी। मौर्यालोक फैसिलिटेशन सेन्टर का संचालन चन्द्रगुप्त प्रबंधन संस्थान द्वारा किया जा रहा है। जबकि फ्रेजर रोड स्टार्ट-अप फैसिलिटेशन सेन्टर हेतु इंडियन इन्स्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी या किसी दूसरे संस्थान से प्रबंध किया जाएगा।
कार्यक्रम में मेडिशाला हेल्थकेयर प्रा॰ लि॰ के अम्मानुलाह, वागा मोटर्स प्रा॰ लि॰ के अभिमन्यु कुमार, स्पर्श लोकन कारा प्रोजेक्टस प्रा॰ लि॰ की लक्ष्मी कुमारी एवं सभ्यता इन्टेरियर प्रा॰ लि॰ के कुश कुमार ने भी अपने विचार रखे। उद्योग निदेशक पंकज दीक्षित ने इस अवसर पर कहा कि युवा सपनों को पंख लगाने तथा उन्हें उड़ान भरने के लिए खुला आसमान देने के उद्देश्य से बिहार सरकार ने बिहार स्टार्ट-अप पॉलिसी 2022 बनायी है। इस पॉलिसी के तहत 10 वर्षों के लिए 10 लाख रूपये तक की ब्याज रहित सीड फंडिंग की व्यवस्था की गई है। महिलाओं द्वारा प्रारंभ स्टार्ट-अप को 5 प्रतिशत अधिक तथा अनुसूचित जाति/जनजाति तथा दिव्यांगों के स्टार्ट-अप को 15 प्रतिशत अधिक राशि सीड फंड के रूप में देने का प्रावधान इस नीति के तहत किया गया है। एक्सीलेरेशन प्रोग्राम में भागीदारी के लिए 3 लाख रूपये तक के अनुदान का प्रावधान स्टार्ट-अप नीति में है। एन्जेल निवेशकों से निवेश प्राप्त होने पर कुल निवेश का 2 प्रतिशत सफलता शुल्क और सेवी पंजीकृत कैटेगरी-1 तथा एन्जेल समूह से प्राप्त फंड के बराबर अधिकतम 50 लाख रूपये तक के मैचिंग लोन की व्यवस्था बिहार स्टार्ट-अप फंड से की जाती है। स्टार्ट-अप के लिए आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था भी बिहार स्टार्ट-अप नीति के तहत की जा रही है। पटना में दो प्रमुख स्थानों पर को-वर्किंग स्पेस, रिसर्च एण्ड डेवलपमेन्ट लैब, कॉमन सॉफ्टवेयर एण्ड हार्डवेयर सुविधा, क्वालिटी एश्योरेन्स लैब आदि की व्यवस्था की गई है। साथ ही स्टार्ट-अप को लीगल, एकाउन्टिंग, तकनीकी, पेटेन्ट, निवेश और बैंकिंग सुविधाओं को प्रदान करने की व्यवस्था भी राज्य सरकार द्वारा की गई है। स्टार्ट-अप के क्षेत्र में अपार संभावनाएँ हैं। यह युवाओं को अपनी ओर आकर्षित भी करता है। लेकिन स्टार्ट-अप और पारंपरिक व्यवसाय में फर्क होता है। पारंपरिक व्यवसाय के लिए नये आइडिया की आवश्यकता नहीं होती। पहले से चल रहे व्यवसायिक मॉडल पर नया व्यवसाय प्रारंभ करना होता है। पारंपरिक व्यवसाय में तुरंत ही लाभ मिलना प्रारंभ हो जाता है। लेकिन उसके विस्तार की सीमा होती है। उदाहरण के लिए किराना दुकान या आटा चक्की उद्योग के विस्तार की एक सीमा है। लेकिन जब नये आइडिया के साथ स्टार्ट-अप प्रारंभ किया जाता है तो उसके विस्तार की असीम संभावनाएँ होती है। नये अन्वेषण और नवाचार स्टार्ट-अप के आवश्यक अवयव हैं। पारंपरिक व्यवसाय में अन्वेषण और नवाचार का होना जरूरी नहीं है। स्टार्ट-अप में फोकस लाभ कमाने से अधिक व्यवसाय का विस्तार करने पर होता है। व्यवसाय के विस्तार के बाद एन्जेल इन्वेस्टर्स से निवेश की संभावना बढ़ जाती है और वैसी स्थिति में स्टार्ट-अप को बड़ा लाभ प्राप्त होता है। बिहार में ज्यादा से ज्यादा स्टार्ट-अप प्रारंभ हो इसके लिए उद्योग विभाग लगातार पहल कर रहा है। राज्य के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में स्टार्ट-अप के प्रति जागरूकता के लिए आउटरीच कार्यक्रम चलाये गए हैं जिनमें युवाओं के साथ सीधा संवाद स्थापित करते हुए उन्हें बिहार स्टार्ट-अप नीति की प्रमुख बातों से अवगत कराया गया। स्टार्ट-अप फंडिंग के लिए लाभुकों के चयन की पारदर्शी प्रक्रिया बनायी गई है। स्टार्ट-अप पोर्टल पर आवेदन करने वाले आवेदकों के आवेदनों की पूरी जाँच के बाद वरिष्ठ अधिकारियों की टीम द्वारा उनकी पुनर्जांच की जाती है और फिर सीड फंड स्वीकृत किया जाता है। बिहार स्टार्ट-अप नीति के तहत लाभ लेने वाले स्टार्ट-अप केन्द्र सरकार की दूसरी एजेन्सियों से लाभ प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र होते हैं। उद्योग विभाग के प्रयासों से बिहार में स्टार्ट-अप का माहौल बन चुका है। केन्द्र सरकार की स्टार्ट-अप सनराइजर्स रैंकिंग में इमर्जिंग स्टार्ट-अप इको सिस्टम के कैटेगरी-‘ए’ में बिहार को टॉप पोजिशन पर रखा गया है। यह विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों के सतत प्रयास और सबके सहयोग से ही संभव हो पाया है। बिहार स्टार्ट-अप नीति के तहत 2017-22 तक 145 इकाइयों को सीड फंड का लाभ मिला। नई स्टार्ट-अप नीति के तहत पिछले चार महिनों में 76 लोगों को स्टार्ट-अप के रूप में चिन्हित किया गया है और उन्हें सीड फंड दिया जा चुका है। आज के कार्यक्रम में 19 नए स्टार्ट-अप को 84 लाख रूपये दिये जा रहे हैं। हमारी कामना है कि बिहार का स्टार्ट-अप यूनिकॉर्न बने। बिहार स्टार्ट-अप नीति के तहत एन्जल इन्भेस्टर से निवेश प्राप्त होने पर बिहार सरकार की ओर से पचास लाख रूपये का मैचिंग लोन प्रदान किया जाएगा। उसे पाने की कोशिश करें। बिहार में कई स्टार्ट-अप अच्छा काम कर रहे हैं। जिसमें सत्तूज, ग्रामश्री एग्री सर्विसेज, एग्रीफीडर, एग्रीक्स एग्रोटेक आदि शामिल हैं।

About Post Author

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x