
NewsNLive Desk: तीसरे व अंतिम चरण में बिहार के 78 सीटों पर हो रहे चुनाव में सबकी नजर सीमांचल के इलाके पर टिकी हुई है। यहां ओवैसी फैक्टर तय करेगा कि बिहार की सत्ता किसको वरण करेगी। बिहार में सरकार किसकी बनेगी एनडीए की या महागठबंधन की।
सीमांचल में 4 जिले हैं जहां मुस्लिम वोटर्स बहुतायत हैं। पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज में 26 विधानसभा सीटें हैं। इन जिलों के विधानसभा क्षेत्रों में 35 से 75 फ़ीसदी मुस्लिम वोटर है। सीमांचल में 4 जिले आते हैं इन चार जिलों को देखें तो किशनगंज में 70 फीसद, अररिया में 42 फीसद, कटिहार में 43 फीसद और पूर्णिया में 38 फीसद मुसलमान हैं। यहां के 24 विधानसभा सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। वे अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए मुस्लिम कार्ड खेल रहे हैं। सीमांचल में ओवैसी की पार्टी पूरा जोर लगा रही है। यदि मुस्लमानों ने ओवैसी का साथ दिया तो इस इलाके में महागठबंधन यानी राजद और कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना होगा। इसका सीधा लाभ भाजपा व जदयू के उम्मीदवारों को मिल सकता है। यदि ओवैसी मुस्लिमों को अपने पक्ष में गोलबंद नहीं कर पाए तो इसका सीधा लाभ महागठबंधन के दलों के उम्मीदवारों को ही मिलेगा। बताते चलें कि ओवैसी की पार्टी पिछले कुछ चुनावों से बिहार में अपनी किस्मत आजमा रही है और सीमांचल इलाके में इनका अपना एक जनाधार भी तैयार हुआ है। इस क्षेत्र में ओवैसी की पार्टी से एक विधायक भी है। ओवैसी की आक्रामक राजनीति से तय है कि उनकी पार्टी भले ज्यादा सीटें न जीत पाए लेकिन कांग्रेस-राजद के वोट शेयर में सेंध जरूर लगाएगी। इस लिहाज से कह सकते हैं कि एआईएमआईएम कांग्रेस और राजद के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
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