पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही सभी राजनीतिक दल जातीय समीकरण दुरुस्त करने में पहले से जुटे हुए हैं। सभी दल अलग-अलग जातियों पर पकड़ रखने वाले नेताओं को अपनी ओर खींचने में लगे हैं। इस बीच राजनीतिक दलों से इतर भूमंत्र फाउंडेशन द्वारा विकास के एजेंडे पर भूमिहार – ब्राम्हण समाज के आपसी गोलबंदी की घोषणा सभी राजनीतिक दल एवं उम्मीदवारों के लिए चिंता बढ़ सकती हैं। क्योंकि, भूमंत्र फाउंडेशन के मार्गदर्शक मंडल द्वारा बयान जारी कर कहा गया है कि इस बार विधानसभा चुनाव में भूमिहार-ब्राम्हण समाज के लोग विकास के एजेंडे पर वोट करेंगे।भूमंत्र के मार्गदर्शक मंडल में बिहार के पूर्व डीजीपी अभ्यानन्द सहित समाज के कई चर्चित व प्रबुद्ध लोग शामिल हैं। जिनमें रुबन हॉस्पिटल समूह के संस्थापक रिटायर्ड कर्नल ए के सिंह, रिटायर्ड कर्नल विद्या शर्मा, रिटायर्ड कर्नल मुक्तेश्वर प्रसाद, शिक्षाविद अरबिंद सिंह, वरिष्ठ पत्रकार देव कुमार पुखराज, अपोलो हॉस्पिटल दिल्ली के न्यूरो सर्जन डॉ मनीष कुमार, आमात्य मीडिया के संस्थापक अदिति नंदन, आईआईएम, इंदौर के निदेशक हिमांशु राय, सुधीर प्रधान, इंदिरा राय, निर्मल कुमार, विप्रो के वाइस प्रेसिडेंट कुणाल सिन्हा, दैनिक जागरण ग्रुप के ब्राण्ड स्ट्रैटिजर प्रशांत कश्यप, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अभिषेक शर्मा, गोपाल जी राय आदि शामिल हैं।मार्गदर्शक मंडल द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया है कि सभी दलों द्वारा आपसी गठबंधन बनाने का खेल तो जोरशोर से चल रहा लेकिन वे किन मुद्दों पर तालमेल कर रहे हैं और जनता का उससे क्या हित सधने वाला है, इसका खुलासा वे नहीं कर रहे हैं। जबकि स्वस्थ लोकतंत्र में पारदर्शी प्रक्रिया का होना राजनीतिक दलों की पहली और अनिवार्य शर्त होनी चाहिए। इस कसौटी पर देखें तो बिहार के सारे दल ही सत्ता प्राप्ति के एक मात्र उद्देश्य से चुनाव मैदान में आ रहे हैं।बयान में यह भी कहा गया है कि बिहार में आसन्न चुनाव को देखते हुए भूमिहार ब्राह्मण समाज ने भी अपने समाज और राज्यहित के लिए अपनी कुछ प्राथमिकताएं तय की है। भूमंत्र फाउंडेशन की पहल और प्रयासों से पिछले दिनों गठित भूमिहार ब्राह्मण समाज के मार्गदर्शक मंडल ने सर्वसम्मत प्रस्ताव लिया था कि हम इस चुनाव में अपनी सक्रिय और रचनात्मक भागीदारी निभाएंगे, लेकिन वोट का विकल्प खुला रखेंगे। हम किसी खास जाति- पार्टी और गठबंधन को वोट देने की जगह क्षेत्रवार मुद्दा आधारित समर्थन देंगे। भूमिहार ब्राह्मण समाज की कोशिश मुद्दों के आधार पर समाज को संगठित करना और दलों-प्रत्य़ाशियों को उस आधार पर बातचीत के लिए खुला आमंत्रण देना है। हम चाहते हैं कि जो दल या प्रत्याशी हमारे समाज के एकमुश्त वोट की अपेक्षा रखता है, उसे जनहित से जुड़ी हमारी कतिपय मांगों पर अपनी सहमति देनी होगी। उसे सार्वजनिक तौर पर आश्वस्त करना होगा कि हम भूमिहार समाज की ओर से रखे गये विकास के सवालों पर अपनी सहमति रखते हैं और चुनाव जीतने के बाद उसे पूरा करने का संकल्प व्यक्त करते हैं। ऐसा करने और कहने वाले दल और प्रत्याशी को ही हम इस बार के चुनाव में अपना वोट देने के लिए संकल्पित हुए हैं।मार्गदर्शक मंडल के सदस्यों ने कहा है कि हमें कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि हमारी समस्याओं की लिस्ट बहुत लंबी और भारी भरकम नहीं है। हम क्षेत्र वार पंचायत स्तर की वैसी छोटी-मोटी जनहित से जुड़ी समस्याओं को प्रत्याशियों के सामने रखने जा रहे हैं, जिसे पूरा करने में उनको बहुत ज्यादा श्रम-शक्ति और संसाधन लगाने की जरुरत नहीं होगी। एक जागरुक समाज होने के नाते हम जनप्रतिनिधियों के दायरे और बिहार की वित्तीय स्थिति से भलीभांति अवगत हैं। हमारा समाज सदियों से विकास का वाहक रहा है और लोकतंत्र के इस पर्व में भी हम उसी भावना और विश्वास से अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहते हैं। अंतर केवल इतना है कि भूमिहार समाज अब किसी दल या गठबंधन का पिछलग्गू बनकर नहीं रहना चाहता। हम सत्ता में अपनी सामाजिक- राजनीतिक भागीदारी से इतर विकास परक राजनीति के माहौल को विकसित करने की संस्कृति के पक्षधर हैं और इस चुनाव में इसका प्रकटीकरण करना चाहते हैं। भूमंत्र फाउंडेशन के द्वारा यह भी अपील किया गया है कि उन सभी सज्जनों से आग्रह है जिन्होंने अपने आपको मुख्यमंत्री बिहार पद के लिए नामित किया है, वे जनता के समक्ष अपना शैडो कैबिनेट, मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक का नाम भी सार्वजनिक रूप से घोषित करें।
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