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Bharat varta Desk
पटना के गर्दनीबाग स्थित गेट पब्लिक लाइब्रेरी एंड इंस्टिट्यूट में श्री शिवशक्ति योगपीठ और केंद्रीय उत्सव समिति के तत्वावधान में आयोजित श्री गुरु व्यास पूर्णिमा महोत्सव में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भारतीय संस्कृति में कथा परंपरा की महिमा का उल्लेख करते हुए आदि शंकराचार्य की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि एक बार बनारस में जब शंकराचार्य गंगा स्नान कर लौटे, तो सामने एक चंडाल था। उन्होंने सोचा कि इसके स्पर्श से अपवित्र हो सकता हूं। इस बीच चंडाल ने कहा -शरीर हटाऊं या आत्मा? तब शंकराचार्य को बोध हुआ कि वे जो उपदेश देते हैं, उसे आत्मसात नहीं कर पाए। उन्होंने उसी क्षण मनीष पंचकम की रचना की। उन्होंने कहा— जो यह समझ जाए कि हर जीव में परमात्मा है, वह चाहे चंडाल ही क्यों न हो, वही मेरा गुरु है। राज्यपाल ने गुरु की परिभाषा को विस्तृत करते हुए कहा: “गुरु चंद्रमा की तरह प्रकाश फैलाते हैं, और हम अज्ञान के बादल हैं। गुरु वही है, जो आत्मा में परमात्मा की अनुभूति करा सके।
सर्वश्रेष्ठ पर्व है गुरु पूर्णिमा: आगमानंद जी महाराज
महासभा के दूसरे सत्र में अपने उद्बोधन में स्वामी आगमानंद जी महाराज ने गुरु की महिमा का गुणगान करते हुए कहा, सनातन संस्कृति में गुरु पूर्णिमा सर्वोच्च पर्व है। गुरु का शब्द मंत्र के समान है। धर्म ग्रंथों को लिपिबद्ध करने वाले ऋषि व्यास की अनुकंपा का ऋण कभी नहीं चुकाया जा सकता। इसलिए आज के दिन हमें अपने गुरु के साथ-साथ व्यास जी को भी स्मरण करना चाहिए।”
राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान के ज्ञान की प्रशंसा करते हुए स्वामी आगमानंदजी महाराज ने कहा कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान जी संस्कृत, हिंदी, अरबी और उर्दू के गहरे अध्येता हैं।
स्वामी आगमानंद जी ने आगे कहा, गुरु और शिष्य भले ही भौगोलिक रूप से दूर हों, पर गुरुतत्व अपनी रोशनी निरंतर बिखेरता रहता है। यह एक ऐसी विशिष्ट धारा है जिसमें संपूर्ण धाराएं आकर मिलती हैं। गुरु अपने शिष्यों को पूर्णता प्रदान करते हैं।
विकास वैभव ने बताया वेदांत का दर्शन
आईपीएस और लेट्स इंस्पायर बिहार के प्रवर्तक विकास वैभव ने कहा ‘भारत में गुरु का स्थान सर्वोच्च है। बिहार वेदांत की भूमि है। जो तत्व दिखता नहीं, सुनाई नहीं देता, उसकी अनुभूति गुरु कराते हैं। चंद्रगुप्त और चाणक्य के बिहार में जातिवाद नहीं, जातियां थीं।
गुरु पूर्णिमा का इंतजार देवताओं को भी: विधान पार्षद डॉ संजीव सिंह
विधान पार्षद संजीव सिंह ने कहा, गुरु पूर्णिमा का इंतजार देवताओं को भी होता है। जैसे नदियां समंदर में जाकर पूर्णता प्राप्त करती हैं, वैसे ही शिष्य गुरु के चरणों में पूर्ण होते हैं।
आगमानंद जी महाराज एक दिव्य संत: डॉ गंगा
कार्यक्रम के आयोजन समिति के सचिव डॉ मृत्युंजय सिंह गंगा ने कहा कि आगमानंद महाराज जी एक दिव्य और तपस्वी संत हैं। आज के भौतिकवादी युग में जब धर्म भी एक आर्थिक कारोबार बन चुका है, महाराज जी त्यागी, असली सन्यासी और प्राचीन साधु परंपरा के महान व्यक्तित्व हैं और हम बिहारवासियों का यह सौभाग्य है कि हम उन्हें देख और सुन पा रहे हैं।
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भजन और पूजन में डूबा जनमानस
भजन सम्राट डा. हिमांशु मोहन मिश्र दीपक जी के भजनों ने माहौल को और आध्यात्मिक बना दिया। उनके द्वारा प्रस्तुत “गुरु अंधियारा मिटावे—दिव्य प्रकाश जगावे” जैसे भजनों पर उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। भजन प्रस्तुति में बलबीर सिंह बग्घा, सुबोध दा, गुलशन, पवन दुबे जैसे कलाकारों ने भी सहयोग किया। गुरु पूजन और पादुका पूजन वैदिक विधियों से संपन्न हुआ। ब्रह्ममुहूर्त में सामवेद पाठ हुआ और मंच पर उपस्थित स्वामी शिव प्रेमानंद, स्वामी मानवानंद, कुंदन बाबा और मनोरंजन प्रसाद सिंह ने स्वामीजी का सम्मान किया।
राज्य स्तरीय अवकाश की मांग
स्वामी आगमानंद जी महाराज ने मंच से राज्यपाल के समक्ष पुनः अपनी मांग रखी,”गुरु पूर्णिमा को राजकीय अवकाश घोषित किया जाए। चाहे अन्य किसी छुट्टी को हटाना पड़े, पर यह दिन गुरु-शिष्य समर्पण का प्रतीक है। इसे राष्ट्रीय पर्व घोषित करने की आवश्यकता है।”
देशभर से उमड़े श्रद्धालु
महाप्रसाद वितरण, दो दिन के ठहराव और सेवा व्यवस्था के बीच कार्यक्रम में देशभर से आए 25 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया। बेंगलुरु से विशेष रूप से पहुंचे अनुयायियों ने स्वामीजी को फूलों से सुसज्जित माला भेंट की। बमबम मिश्र, बरुण, आनंद, संजीव, मुकेश जैसे भक्तगण इस मौके पर विशेष रूप से उपस्थित रहे।
12 घंटे की कतार, गुरुदर्शन के लिए उमड़ी भीड़
स्वामी आगमानंद जी के दर्शन और आशीर्वाद के लिए श्रद्धालुओं की कतार लगभग 12 घंटे तक लगी रही। हाथों में फूल, माला और प्रसाद लिए लोग दर्शन के बाद स्वामीजी से व्यक्तिगत आशीर्वाद लेते रहे।
मंच पर विशिष्ट अतिथि
कार्यक्रम में केंद्रीय उत्सव समिति अध्यक्ष विवेकानंद ठाकुर, सचिव डॉ मृत्युंजय सिंह गंगा, विधायक शंकर सिंह, आशुतोष सिंह, तपन कुमार राणा, गीतकार राजकुमार, डॉ. नृपेन्द्र प्रसाद वर्मा, प्रो. आशा तिवारी ओझा, हरिशंकर ओझा, दिलीप शास्त्री, सेंपू सिंह और पंडित ज्योतिन्द्राचार्य महाराज मंच पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन शैली मिश्रा ने किया।
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