राज्यपालों पर सुप्रीम कोर्ट की जज की कड़ी टिप्पणी, कहा- जहां काम करना चाहिए, वहां नहीं करते
bharat varta desk
सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बी वी नागरत्ना ने शनिवार (03 अगस्त) को कहा कि भारत में राज्यपाल वहां भूमिका निभा रहे हैं जहां उन्हें नहीं निभाना चाहिए और जब उन्हें सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए तब वे निष्क्रिय हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में राज्यपालों के खिलाफ मामलों को एक दुखद कहानी बताया.
उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने अपने राज्यपालों के विधेयकों को मंजूरी न देने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और कोर्ट ने एक अलग मामले में संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपालों को आपराधिक अभियोजन से दी गई छूट के प्रश्न की जांच करने पर सहमति व्यक्त की है.
बेंगलुरु के अंदर एनएलएसआईयू पैक्ट कॉन्फ्रेंस में भाषण देते हुए जस्टिस नागरत्ना ने कहा, , “राज्यपाल से कुछ काम किए जाने की अपेक्षा की जाती है. हम अपने संविधान में राज्यपाल को शामिल करना चाहते हैं क्योंकि हमें लगता है कि अगर राज्यपाल वास्तव में अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत है और वह अच्छी तरह से काम करता है तो यह संस्था परस्पर विरोधी समूहों के बीच किसी तरह की समझ और सामंजस्य लाएगा. यह केवल इसी उद्देश्य के लिए प्रस्तावित है. शासन का विचार राज्यपाल को पार्टी की राजनीति, गुटों से ऊपर रखना है और उसे पार्टी के मामलों के अधीन नहीं करना है.”
सुप्रीम कोर्ट के जज की यह टिप्पणी कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत और राज्य की कांग्रेस सरकार के बीच कथित MUDA साइट आवंटन घोटाले को लेकर चल रही असहमति के बीच आई है, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती का नाम सामने आया है. गहलोत ने पिछले हफ़्ते सिद्धारमैया को कारण बताओ नोटिस जारी किया था