Bharat varta desk:
अनुच्छेद 370 पर पीएम नरेंद्र मोदी ने लेख लिखा है. पीएम ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अखबारों में सराहा है. PM मोदी ने लिखा कि फैसले से देश की एकता और अखंडता मजबूत हुई. जम्मू-कश्मीर को दशकों के भ्रष्टाचार से मुक्ति मिली है.
जम्मू कश्मीर पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 दिसंबर 2023) को फैसला सुनाया कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था. इस फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई अखबारों में लेख लिखकर इस फैसले की सराहना की. पीएम ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में भारत की संप्रभुता और अखंडता को बरकरार रखा है, जिसे भारतीयों द्वारा संजोया जाता रहा है.
पीएम मोदी ने लिखा, सुप्रीम कोर्ट का कहना पूरी तरह से उचित है कि 5 अगस्त 2019 को हुआ निर्णय संवैधानिक एकीकरण को बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया था, न कि इसका उद्देश्य विघटन था. सर्वोच्च न्यायालय ने इस तथ्य को भी माना है कि अनुच्छेद 370 का स्वरूप स्थायी नहीं था.
जम्मू कश्मीर में अब नहीं फैलेगी राजनीतिक अस्थिरता
जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की खूबसूरत और शांत वादियां, बर्फ से ढंके पहाड़, पीढ़ियों से कवियों, कलाकारों और हर भारतीय के दिल को मंत्रमुग्ध करते रहे हैं. यह एक ऐसा अद्भुत क्षेत्र है जो हर दृष्टि से अपूर्व है, लेकिन पिछले कई दशकों से जम्मू-कश्मीर के अनेक स्थानों पर ऐसी हिंसा और अस्थिरता देखी गई, जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती. वहां के हालात कुछ ऐसे थे, जिससे जम्मू-कश्मीर के परिश्रमी, प्रकृति प्रेमी और स्नेह से भरे लोगों को कभी रुबरु नहीं होना चाहिए था.
दुर्भाग्यवश, सदियों तक उपनिवेश बने रहने, विशेषकर आर्थिक और मानसिक रूप से पराधीन रहने के कारण, तब का समाज एक प्रकार से भ्रमित हो गया. अत्यंत बुनियादी विषयों पर स्पष्ट नजरिया अपनाने के बजाय दुविधा की स्थिति बनी रही जिससे और ज्यादा भ्रम उत्पन्न हुआ, अफसोस की बात यह है कि जम्मू-कश्मीर को इस तरह की मानसिकता से व्यापक नुकसान हुआ.
जम्मू कश्मीर के लिए बहुत काम किया
देश की आजादी के समय तब के राजनीतिक नेतृत्व के पास राष्ट्रीय एकता के लिए एक नई शुरुआत करने का विकल्प था. लेकिन तब इसके बजाय उसी भ्रमित समाज का दृष्टिकोण जारी रखने का निर्णय लिया गया, भले ही इस वजह से दीर्घकालिक राष्ट्रीय हितों की अनदेखी करनी पड़ी. मुझे अपने जीवन के शुरुआती दौर से ही जम्मू-कश्मीर आंदोलन से जुड़े रहने का अवसर मिला है. मेरी अवधारणा सदैव ही ऐसी रही है जिसके अनुसार जम्मू-कश्मीर महज एक राजनीतिक मुद्दा नहीं था, बल्कि यह विषय समाज की आकांक्षाओं को पूरा करने के बारे में था.
कश्मीर के लिए मुखर्जी ने दी अपनी जान
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को नेहरू मंत्रिमंडल में एक महत्वपूर्ण विभाग मिला हुआ था और वे काफी लंबे समय तक सरकार में बने रह सकते थे. फिर भी, उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर मंत्रिमंडल छोड़ दिया और आगे का कठिन रास्ता चुना, भले ही इसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. लेकिन उनके अथक प्रयासों और बलिदान से करोड़ों भारतीय कश्मीर मुद्दे से भावनात्मक रुप से जुड़ गए.
इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत का भी किया जिक्र
कई वर्षों बाद अटल जी ने श्रीनगर में एक सार्वजनिक बैठक में ‘इंसानियत’, ‘जम्हूरियत’ और ‘कश्मीरियत’ का प्रभावशाली संदेश दिया, जो सदैव ही प्रेरणा का महान स्रोत भी रहा है. मेरा हमेशा से दृढ़ विश्वास रहा है कि जम्मू-कश्मीर में जो कुछ हुआ था, वह हमारे राष्ट्र और वहां के लोगों के साथ एक बड़ा विश्वासघात था.
मेरी यह भी प्रबल इच्छा थी कि मैं इस कलंक को, लोगों पर हुए इस अन्याय को मिटाने के लिए जो कुछ भी कर सकता हूं, उसे जरूर करूं. सरल शब्दों में कहें तो अनुच्छेद 370 और 35 (ए) जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के सामने बड़ी बाधाओं की तरह थे. ये अनुच्छेद एक अट्टू दीवार की तरह थे और गरीब, वंचित, दलितों-पिछड़ों महिलाओं के लिए पीड़ादायक थे.
पीएम ने कहा, अनुच्छेद 370 और 35 (ए) के कारण जम्मू-कश्मीर के लोगों को वह अधिकार और विकास कभी नहीं मिल पाया, जो उनके साथी देशवासियों को मिला. इन अनुच्छेदों के कारण, एक ही राष्ट्र के लोगों के बीच दूरियां पैदा हो गई. इस दूरी के कारण हमारे देश के कई लोग, जो जम्मू-कश्मीर की समस्याओं को हल करने के लिए काम करना चाहते थे, ऐसा करने में असमर्थ थे.
5 अगस्त 2019 देश के लिए ऐतिहासिक दिन
5 अगस्त का ऐतिहासिक दिन हर भारतीय के दिल और दिमाग में बसा हुआ है. हमारी संसद ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का ऐतिहासिक निर्णय पारित किया और तब से जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में बहुत कुछ बदलाय आया है. न्यायिक अदालत का फैसला दिसंबर 2023 में आया है, लेकिन जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में विकास की गति को देखते हुए जनता की अदालत ने चार साल पहले अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को निरस्त करने के संसद के फैसले का जोरदार समर्थन किया है.
राजनीतिक स्तर पर, पिछले 4 वर्षों को जमीनी स्तर पर लोकतंत्र में फिर से भरोसा जताने के रुप में देखा जाना चाहिए. महिलाओं, आदिवासियों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और समाज के वंचित वर्गों को उनका हक नहीं मिल रहा था. वहीं, लद्दाख की आकांक्षाओं को भी पूरी तरह से नजरअंदाज किया जाता था. लेकिन, 5 अगस्त 2019 ने सब कुछ बदल दिया. सभी केंद्रीय कानून अब बिना किसी डर या पक्षपात के लागू होते हैं.
अपने लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अन्य कई बिंदुओं पर चर्चा की है.
बिहार बंद का अरवल में दिखा असर अरवल, भारत वार्ता संवाददाता : संपूर्ण बिहार बंद… Read More
Bharat varta Desk आज भारत बंद है. केंद्रीय और क्षेत्रीय श्रमिक संगठनों से जुड़े 25 करोड़ से अधिक… Read More
Bharat varta Desk पुलिस ने गोपाल खेमका हत्याकांड में बड़ा खुलासा किया है. इस मामले को लेकर मंगलवार… Read More
Bharat varta Desk के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई का कहना है… Read More
Bharat varta Desk बिहार के पूर्णिया से बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां अंधविश्वास… Read More
Bharat varta Desk बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत मतदाता सूची से लाखों नाम… Read More