धर्म / अध्यात्म डेस्क : जीवित्पुत्रिका व्रत का नहाय-खाय 28-09-2021 मंगलवार को तथा इसी दिन रात्रिगत भोर में विधिवत सरगही (दही, चूड़ा, शरबत,दवा आदि) सूर्योदय के पूर्व ले लेंगे। व्रतोपवास-जिमूतवाहन पूजन 29-09-2021 बुधवार के सूर्योदय से गुरूवार के सूर्योदय तकअखण्ड व्रत करना है। पारण- 30-09-2021 गुरुवार को सूर्योदय प्रात:6:15 के बाद।
इस व्रत को निर्जला यानी कि (बिना पानी के) पूरे दिन उपवास किया जाता है। खर तृण भी नही तोड़ा जाता है।
व्रत एवं कारण कथा
एक बार एक गरुड़ और एक मादा लोमड़ी नर्मदा नदी के पास एक हिमालय के जंगल में रहते थे। दोनों ने कुछ महिलाओं को पूजा करते और उपवास करते देखा और खुद भी इसे देखने की कामना की। उनके उपवास के दौरान, लोमड़ी भूख के कारण बेहोश हो गई और चुपके से भोजन किया। दूसरी ओर, चील ने पूरे समर्पण के साथ व्रत का पालन किया और उसे पूरा किया। परिणामस्वरूप लोमड़ी से पैदा हुए सभी बच्चे जन्म के कुछ दिन बाद ही खत्म हो गए और चील की संतान लंबी आयु के लिए धन्य हो गई। इस कथा के अनुसार जीमूतवाहन गंधर्व के बुद्धिमान और राजा थे। जीमूतवाहन शासक से संतुष्ट नहीं थे और परिणामस्वरूप उन्होंने अपने भाइयों को अपने राज्य की सभी जिम्मेदारियां दीं और अपने पिता की सेवा के लिए जंगल चले गए। एक दिन जंगल में भटकते हुए उन्हें एक बुढ़िया विलाप करती हुई मिलती है। उन्होंने बुढ़िया से रोने का कारण पूछा। इसपर उसने उसे बताया कि वह सांप (नागवंशी) के परिवार से है और उसका एक ही बेटा है। एक शपथ के रूप में हर दिन एक सांप पक्षीराज गरुड़ को चढ़ाया जाता है और उस दिन उसके बेटे का नंबर था। उसकी समस्या सुनने के बाद जिमूतवाहन ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह उनके बेटे को जीवित वापस लेकर आएंगे। तब वह खुद गरुड़ का चारा बनने का विचार कर चट्टान पर लेट जाते हैं। तब गरुड़ आता है और अपनी अंगुलियों से लाल कपड़े से ढंके हुए जिमूतवाहन को पकड़कर चट्टान पर चढ़ जाता है। उसे हैरानी होती है कि जिसे उसने पकड़ा है वह कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दे रहा है। तब वह जिमूतवाहन से उनके बारे में पूछता है। तब गरुड़ जिमूतवाहन की वीरता और परोपकार से प्रसन्न होकर सांपों से कोई और बलिदान नहीं लेने का वादा करता है। मान्यता है कि तभी से ही संतान की लंबी उम्र और कल्याण के लिए जितिया व्रत मनाया जाता है। महाभारत युद्ध में पिता की मृत्यु के बाद अश्वत्थामा बहुत क्रोधित था। वह पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए पांडवों के शिविर गया और उसने पांच लोगों की हत्या कर दी। उसे लगा कि उसने पांडवों को मार दिया, लेकिन पांडव जिंदा थे। जब पांडव उसके सामने आए तो उसे पता लगा कि वह द्रौपदी के पांच पुत्रों को मार आया है। यह सब देखकर अर्जुन ने क्रोध में अश्वथामा को बंदी बनाकर दिव्य मणि को छीन लिया। अश्वत्थामा ने इस बात का बदला लेने के लिए अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रही संतान को मारने की योजना बनाई। उसने गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया, जिससे उत्तरा का गर्भ नष्ट हो गया। लेकिन उस बच्चे का जन्म लेना बहुत जरूरी था। इसलिए भगवान कृष्ण ने उत्तरा की अजन्मी संतान को गर्भ में ही फिर से जीवित कर दिया। गर्भ में मरकर जीवत होने की वजह से इस तरह उत्तरा के पुत्र का नाम जीवितपुत्रिका पड़ गया और तब से ही संतान की लंबी आयु के लिए जितिया व्रत किया जाता है। खर तृण पत्ते कोई भी वस्तु तोड़ना वर्जित है अतः इसे खर जिउतिया नाम से प्रसिद्ध है। पुत्र पुत्रियो के रक्षा बचाव सुरक्षा का अमोघ व्रत जो काल के गाल से निकल लेता है अस्त्र शस्त्र वाहन से बाल बाल बचा लेता है मातृ शक्तियों से तपोमयी सुरक्षा कवच व्रत विशिष्ट है।
आचार्य मंकेश्वर नाथ तिवारी
मो0 8210379212
बिहार बंद का अरवल में दिखा असर अरवल, भारत वार्ता संवाददाता : संपूर्ण बिहार बंद… Read More
Bharat varta Desk आज भारत बंद है. केंद्रीय और क्षेत्रीय श्रमिक संगठनों से जुड़े 25 करोड़ से अधिक… Read More
Bharat varta Desk पुलिस ने गोपाल खेमका हत्याकांड में बड़ा खुलासा किया है. इस मामले को लेकर मंगलवार… Read More
Bharat varta Desk के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई का कहना है… Read More
Bharat varta Desk बिहार के पूर्णिया से बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां अंधविश्वास… Read More
Bharat varta Desk बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत मतदाता सूची से लाखों नाम… Read More