बिजनेस

उभरा किसानों का दर्द, कब मिलेगा केले का सही दाम मुद्दा

भागलपुर :अजीत कुमार सिंह, आरटीआई कार्यकर्ता

भागलपुर: कृषि बिल के खिलाफ भारत बंद के दौरान केलापट्टी के किसानों का दर्द उभरा है .7-8 दशक से किसान केले की खेती कर रहे हैं मगर उन्हें आज तक उन्हें इसका सही दाम नहीं मिला है .

भागलपुर जिले के नवगछिया से लेकर कटिहार और पूर्णिया तक बड़े हिस्से में केले की खेती की जाती है. यहां के केले उत्तर प्रदेश से लेकर नेपाल तक जाते हैं .मगर कठोर मेहनत करने वाले किला किसानों का जीवन खुशहाल नहीं हो पाया है .

ओने पौने दाम में बेचना मजबूरी
अपनी पैदावार को ओने पौने दाम में बेचना किसानों की मजबूरी है.
किसान बताते हैं कि कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन के कारण बाहर से खरीदार नहीं आए. खेतों में पड़े पड़े केले बर्बाद हो गए .100-150 रुपए खानी में केले को बेचना पड़ा.नवगछिया के जिला परिषद सदस्य और किसान गौरव राय बताते हैं कि आमीनो में भी 250-300 रुपए एक खानी का दाम मिलता है जो दूसरे शहरों में 700-800 रुपए खानी में बिकते है.

कभी बीमारी तो कभी बाढ़
किसान बिंदु प्रताप सिंह बताते हैं कि केले की फसल कभी पनामा विल्ट नामक विदेशी बीमारी के कारण नष्ट हो जाती है तो कभी बाढ़ के कारण. इस बीमारी से बचाव को दवा और सही देखभाल के लिए कृषि या उद्यान विभाग की ओर से कोई मदद किसानों को नहीं मिलती है.

घोषणा के बाद भी फूड प्रोसेसिंग उद्योग नहीं
भागलपुर के दौरे पर आए यूपीए सरकार के केंद्रीय प्रसंस्करण मंत्री सुबोध कांत सहाय ने केले पर आधारित फूड प्रोसेसिंग उद्योग लगाने की घोषणा की थी. उनके पहले और बाद में भी मंत्री ,सांसद और विधायकों ने समय-समय पर केले पर आधारित उद्योग लगाने का वादा किया मगर ऐसा नहीं हुआ. किसानों का कहना है कि यदि केले पर आधारित उद्योग इस इलाके में लगे तो फसल का सही दाम किसानों को मिलेगा. आसपास के लोगों को रोजगार भी मिलेगा. किसानों का कहना है कि समय पर तैयार केले को बाहर के बाजारों में ले जाकर बेचने के लिए सरकार सहायता प्रदान करें.
मुआवजा नहीं
किसान बता रहे हैं कि हर साल प्राकृतिक आपदा और बीमारी से बड़े पैमाने पर केले का नुकसान होता है. कई बार तो ऐसा होता कि किसानों की पूंजी भी मारी जाती है मगर सरकार की ओर से कोई मुआवजा नहीं मिलता. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सिर्फ केला ही नहीं बल्कि इसके पत्तों और तना से बनने वाले कई सामानों के उद्योग इस इलाके में लगाए जा सकते हैं. केले के रेशे से कपड़े भी बनाए जाते हैं. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए ताकि खेती से जुड़े एक लाख से अधिक किसानों का जीवन खुशहाल हो सके.

डॉ सुरेंद्र

Recent Posts

जनता दल यू की पहली सूची जारी

Bharat varta Desk बिहार चुनाव को लेकर जेडीयू (JDU) उम्मीदवारों की पहली सूची सामने आ… Read More

2 hours ago

कल्याणपुर में मनेगी देश की अनोखी दिवाली, 11 लाख दीये जलेंगे, 200 ड्रोन उड़ेंगे

Bharat Varta Desk : बिहार के मुंगेर जिला का कल्याणपुर गांव अनोखे दुर्गा पूजा और… Read More

23 hours ago

बिहार चुनाव से पहले RJD की परेशानी बढ़ी, IRCTC घोटाले में लालू-राबड़ी और तेजस्वी के खिलाफ आरोप तय

Bharat varta Desk लालू यादव एंड फैमिली को आईआरसीटीसी मामले में बड़ा झटका लगा है.… Read More

2 days ago

2 साल बाद रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन जेल से बाहर

Bharat varta Desk रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत… Read More

5 days ago