साहित्य में एक नया तबका सामने आ रहा है नौकरशाह कवियों-लेखकों का
पटना: कविता का समाज दिनोंदिन बड़ा हो रहा है। पहले कविता में कोई वर्गीकरण न था। वाद थे और आंदोलन। प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, छायावाद, नई कविता, जनवादी कविता, गीत, प्रगीत, नवगीत आदि। इधर जब से भूमंडलीकरण की चपेट में दुनिया आई है, अस्मिता विमर्शों की बहार आई है, साहित्य में अनेक नए विमर्श पैदा हो गए हैं। साहित्य में एक नई कोटि प्रवासी साहित्य की विकसित हुई तो प्रवासी साहित्य की दुनिया भी वृहत्तर होती गयी। अब साहित्य में एक नया तबका सामने आ रहा है नौकरशाह कवियों-लेखकों का। वे भले ही प्रशासनिक व पुलिस सेवाओं में हों, उनके भीतर साहित्य हिलोरें लेता है। ऐसी ही एक पुस्तक ‘पाटलिपुत्र की छांव से’ आई है भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी कांतेश मिश्र की काव्य संग्रहों की, जो पेशे से देश की सर्वोत्तम सेवा के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन शौक से वह लेखक और कवि के रूप में जाने जाते हैं। बिहार कैडर के अधिकारी कांतेश मिश्र फिलहाल पटना (ग्रामीण) के पुलिस अधीक्षक के पद पर सेवारत हैं। वे अपनी प्रशासनिक क्षमताओं के कारण जाने जाते हैं। पुलिस अधीक्षक कक्ष में फ़रियाद ले कर आए हर फ़रियादी को “नमस्ते” के साथ सौम्यता अभिवादन करने वाले कांतेश इनदिनों अपनी कविता को ले कर भी चर्चा में हैं।
मनुष्य होने की प्रेरणा ही काव्य है : कांतेश मिश्र
पुलिस अधीक्षक कांतेश मिश्र कहते हैं कि अलग अलग भावनाओं में डूबा व्यक्ति कविता से ही धरातल पर सहज बना रहता है। मनुष्य होने की प्रेरणा ही काव्य है। ब्रह्माण्ड के दूसरे कणों से संपर्क कविता के शब्दों से ही संभव है। न्याय-धर्म के संघर्ष धूप में, कविता घने पेड़ की छांव की भांति घाव भरकर नवीन ऊर्जा देती है। बीच समुद्र में जब व्यक्ति हताशा और अकेलेपन का शिकार हो जाए, तो कुछ पंक्तियां शब्द मात्र, नाव बनकर किनारे तक सुरक्षित पहुंचाने का दम रखती हैं।
पाटलिपुत्र प्रतीक है उस जुड़ाव का जो अपनों को अपनों से बांधे रखता है
कांतेश बताते हैं कि कुछ कविताएं एक दशक से भी पहले लिखी थी कॉलेज के दिनों में। कुछ खो गई, जो बची उन्हें ‘पाटलिपुत्र की छांव से’ काव्य संग्रह पुस्तक में स्थान मिल पाया। वे बताते हैं कि पाटलिपुत्र प्रतीक है उस जुड़ाव का जो अपनों को अपनों से बांधे रखता है। हर नगर, प्रत्येक ग्राम पाटलिपुत्र ही है जिसे कभी हम भूल नहीं पाते भले ही कितनी दूर चले जाएं। पुस्तक की परिकल्पना अलग अलग जगह हुई लेकिन इसके आरंभ और अंत में पाटलिपुत्र है।
रण जीता, भय पर किया शिखर…
अपनी किताब में कांतेश मिश्र लिखते हैं:
आंधी ने मार्ग को मिटा दिया,
हो भ्रमित हताश, आवाज़ें दी,
पानी ने पथ को बहा दिया,
देखे स्वप्न कुछ उदासी की।
नभ में देखा खिली एक किरण,
दौड़ा भागा फिर उर्जित मन,
साहस से निज का परिचय कर,
रण जीता, भय पर किया शिखर।
अंतिम आहुति जब मांगे माटी, मेरे क़दमों में शौर्य भरे…
कांतेश मिश्र की एक कविता है:
अंतिम आहुति जब मांगे माटी,
मेरे क़दमों में शौर्य भरे,
मेरे मस्तक पर शोक ना हो,
मेरा मन मुझ पर गर्व कर।
वज्र व्यूह से क्यों डरु मैं ?
हर बाधा मैंने जीत लिया।
रक्त का टीका लगा मुझे अब,
आज विदाई दे तू माँ…
भारतीय कला एवं दर्शन में विशेष रूचि
बता दें कि भोजपुर कांतेश मिश्र की जन्मभूमि रही है। वे लगातार भारतीय पुलिस सेवा परीक्षा में लगातार 2014, 2015 बैच में क्रमशः 103, 138 रैंक हासिल कर चुके हैं। पूर्व में वे टीसीएस में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। इन्होंने कम्प्युटर विज्ञान में स्नातक एवं पुलिस प्रबन्धन में परास्नातक की शिक्षा हासिल की है। इन्होंने सह-लेखक के तौर पर UPSC Mains 2020:General Studies Papers 1-IV Solved Papers नामक पुस्तक भी लिखी है। इन्हें काम से जब भी फ़ुर्सत मिलती है तो गांव घूमने निकल जाते हैं। कांतेश बताते हैं कि इनका मन वहीं बसता है। इन्हें भारतीय कला एवं दर्शन में विशेष रूचि है।
Bharat varta Desk सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने जेपीएससी-2 के पांच… Read More
Bharat varta Desk झारखंड पुलिस के लिए चुनौती बने कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू को पुलिस… Read More
Bharat varta Desk बिहार में एक बार फिर बड़े पैमाने पर प्रशासनिक अधिकारियों का ट्रांसफर… Read More
Bharat Varta Desk : राष्ट्रीय सगठन ने आज रांची में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया। रांची… Read More
गंदगी के खिलाफ जारी है जंग, स्वच्छता के हैं चार रंग पटना, भारत वार्ता संवाददाता… Read More
Bharat varta Desk ह अपराधियों ने हजारीबाग के कटकमदाग थाना क्षेत्र अंतर्गत फतह में एनटीपीसी के… Read More