पॉलिटिक्स

दिल्ली में सामाजिक न्याय विरोधी राजनीति हारी…

  • लेखक : अमित कुमार यादव, शोधार्थी, राजनीतिक विज्ञान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणाम ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सामाजिक न्याय विरोधी राजनीति को न सिर्फ पूर्ण रूप से खारिज कर दिया है बल्कि भाजपा को पूर्ण बहुमत देकर दिल्ली की जनता ने सामाजिक न्याय की राजनीति को नया रुख दे दिया है. आज से एक दशक पूर्व कांग्रेस के भ्रष्टाचार, भेदभावपूर्ण, सामाजिक न्याय विरोधी राजनीति को खत्म कर दिल्ली को आम जन की सरकार का सपना दिखाकर सत्ता में आई आम आदमी पार्टी देखते ही देखते न जाने कब भयंकर भ्रष्टाचार, धांधली, छल-कपट और कुशासन का प्रयाय बन गई. जिस आम आदमी पार्टी ने एक दशक पूर्व भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ प्रशासन आदि दिल्ली की जनता को देने का आश्वासन दिया था वही आम आदमी पार्टी शराब घोटाले से लेकर शीश महल बनाने तक न जाने कितने भ्रष्टाचार के आरोप में फंसती चली गई. इस भ्रष्टाचार को राजनीति के जरिए झूठा बताने का प्रयास आप नेता केजरीवाल ने लगातार किया. यही नहीं उन्होंने तो तमाम केंद्रीय सरकारी एजेंसीयों को ही गलत साबित करने का प्रयास किया और जनता के बीच जाकर न्याय मांगने की बात कही लेकिन अब दिल्ली की जनता ने भी आप के खिलाफ जनादेश देकर उसके भ्रष्टाचारी होने को प्रमाणित कर दिया है.

जहां तक बात सामाजिक न्याय की रही, तो वैसे तो आम आदमी पार्टी सामाजिक न्याय पर बहुत स्पष्ट शुरू से नहीं रही लेकिन फिर भी समय-समय पर राजेंद्र पाल गौतम और राजकुमार आनंद जैसे एक-दो मंत्री आदि बनाकर और कुछ जन कल्याणकारी नीतियां बनाकर दिल्ली की जनता के साथ सामाजिक न्याय करने का प्रयास किया लेकिन उन मंत्रियों को भी अपने मंत्रिमंडल से निकालकर, टिकट बंटवारे से लेकर राज्यसभा भेजने तक आम आदमी पार्टी ने सामाजिक समीकरणों की अनदेखी की जिसका परिणाम रहा कि तमाम सामाजिक समूह आम आदमी पार्टी से धीरे-धीरे छिटकते चले गए. वहीं भारतीय जनता पार्टी ने टिकट बंटवारे से लेकर छोटे-छोटे दलों से गठबंधन करके और मोहन यादव, नायब सिंह सैनी, शिवराज सिंह चौहान, केशव प्रसाद मौर्य जैसे तमाम दिग्गज दलित-पिछड़े समुदाय के नेताओं को दिल्ली विधानसभा चुनाव में उतारकर दलित पिछड़े मतदाताओं के बीच स्पष्ट संदेश देने का प्रयास किया कि यह सरकार उनकी बनने जा रही है.

जब पूरे देश में सामाजिक न्याय के लिए जाति जनगणना मुख्य विषय बन चुका हो तब केजरीवाल ने इस पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया वहीं भारतीय जनता पार्टी ने जदयू को एक सीट देकर जाति जनगणना पर भी अपना मौन समर्थन व्यक्त कर दिया. विदित हो कि जाति जनगणना और पिछड़ों और अति पिछड़ों की राजनीति को लेकर जेडीयू पिछले तीन दशक से मुखर रही है और उसने ही देश में पहली बार बिहार में जाति जनगणना कराकर सामाजिक न्याय करने का स्पष्ट संदेश दे चुकी है. भारतीय जनता पार्टी ने जदयू को सीट देकर सामाजिक न्याय की राजनीति को साधने का प्रयास किया. वहीं केजरीवाल इसमें बिल्कुल असफल रहे. इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने न सिर्फ अपनी पार्टी में तमाम सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए टिकट का बंटवारा किया बल्कि जदयू को बुराड़ी से और लोजपा को देवली से एक-एक सीट देकर पिछड़े-दलित राजनीति को साधने का रणनीतिक प्रयास किया. चुनाव परिणाम में भले ही यह छोटी पार्टियां सफल न दिखाई दे रहीं हों लेकिन इसके संदेश उनके समाज के बीच बहुत असरदार होता है जिसका स्पष्ट फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिलता दिखा.

दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पूर्व कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा आम आदमी पार्टी के नवरत्नों का नाम गिनाकर अपने ही इंडी गठबंधन के साथी दल आम आदमी पार्टी को सामाजिक न्याय विरोधी करार देकर कांग्रेस ने सामाजिक न्याय की राजनीति का कार्ड खेलने का प्रयास किया लेकिन ड्यूवर्जर सिद्धांत के चलते इसका फायदा कांग्रेस को तो नहीं हुआ लेकिन दिल्ली के दलित-पिछड़े मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी के बरक्स भारतीय जनता पार्टी को सामाजिक न्याय की राजनीतिक के विकल्प के रूप में देखा जिसका परिणाम रहा कि भारतीय जनता पार्टी ने 27 साल बाद दिल्ली में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है. इस इतनी बड़ी जीत के पीछे यह बिल्कुल दावा नहीं किया जा सकता है कि यह सिर्फ़ दलित पिछड़ों के ही कारण संभव हुआ है लेकिन इस परिणाम के पीछे आम आदमी पार्टी की सामाजिक न्याय विरोधी राजनीति बहुत बड़े पैमाने पर जिम्मेदार रही है जिसके चलते दिल्ली के दलित पिछड़ों ने भारतीय जनता पार्टी को सामाजिक न्याय की राजनीति के विकल्प के रूप में चुना. इसलिए इसे सामाजिक न्याय विरोधी राजनीति की हार और सामाजिक न्याय की राजनीति के विजय के रूप में देखा जाना चाहिए.

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Dr Rishikesh

Editor - Bharat Varta (National Monthly Magazine & Web Media Network)

Recent Posts

सुल्तानगंज से कांग्रेस ने ललन कुमार को उम्मीदवार बनाया

Bharat varta Desk भागलपुर जिले के सुल्तानगंज विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने ललन कुमार को… Read More

7 hours ago

सुल्तानगंज से ललन कुमार कांग्रेस के उम्मीदवार

Bharat varta Deskभागलपुर जिले के सुल्तानगंज विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने ललन कुमार को उम्मीदवार… Read More

8 hours ago

भाजपा की दूसरी सूची जारी, मैथिली ठाकुर और आनंद मिश्रा को भी टिकट

Bharatt varta Desk बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने प्रत्याशियों की… Read More

12 hours ago

नहीं रहे ‘महाभारत’ टीवी सीरियल के ‘कर्ण’ पंकज धीर

Bharat varta Desk टीवी और बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता पंकज धीर अब इस दुनिया में… Read More

13 hours ago

सीबीआई ने एनएचआई के अधिकारी को 10 लाख रिश्वत लेते गिरफ्तार

Bharat varta Desk CBI ने नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) के कार्यकारी निदेशक और क्षेत्रीय… Read More

14 hours ago

जनता दल यू की पहली सूची जारी

Bharat varta Desk बिहार चुनाव को लेकर जेडीयू (JDU) उम्मीदवारों की पहली सूची सामने आ… Read More

16 hours ago