Dr Rohit Ranjan
Consultant Neuro-Psychiatrist
Mental Well-being , Patna
Ex Consultant- NIMHANS Bengaluru

आजकल के तेज़ी से बदलते और अत्यधिक व्यस्त जीवन में, कई लोग विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन्हीं में से एक है एडीएचडी (Attention Deficit Hyperactivity Disorder), जिसे हिंदी में ध्यान और सक्रियता की कमी विकार कहा जाता है। यह एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, जो मुख्य रूप से बच्चों में देखी जाती है, लेकिन यह वयस्कों को भी प्रभावित कर सकती है।
ADHD क्या है?
एडीएचडी एक न्यूरो-डेवलपमेंटल विकार है, जिसमें व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है, और साथ ही अत्यधिक सक्रियता या नियंत्रण की कमी दिखाई देती है। इस विकार के लक्षणों में अत्यधिक चंचलता, ध्यान भटकना, कार्यों को पूरा करने में कठिनाई, और अनियंत्रित विचार आते हैं। हालांकि, यह विकार केवल स्कूल और कार्यस्थल पर ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत रिश्तों और मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डाल सकता है।
लक्षण और पहचान
ADHD के तीन प्रमुख लक्षण होते हैं:
ध्यान की कमी: व्यक्ति का ध्यान एक जगह पर टिक नहीं पाता, और वे आसानी से भटक जाते हैं।
अत्यधिक सक्रियता: व्यक्ति अत्यधिक उत्साहित और सक्रिय होते हैं, और लगातार हिलते-डुलते रहते हैं।
अवसरों के लिए प्रतिक्रिया में असमर्थता: निर्णय लेने में जल्दी और बिना सोचे समझे प्रतिक्रिया करते हैं, जिससे कई बार नुकसान होता है।
इन लक्षणों को पहचानकर समय पर इलाज शुरू किया जा सकता है।
ADHD के कारण
ADHD के कारणों में जीन (आनुवांशिकी), मस्तिष्क की संरचना और कार्यप्रणाली, और पर्यावरणीय कारक शामिल हो सकते हैं। शोध के अनुसार, यह विकार मस्तिष्क के उन हिस्सों में असंतुलन के कारण होता है जो ध्यान, कार्यों की योजना बनाना, और स्वयं नियंत्रण से जुड़े होते हैं।
इलाज और प्रबंधन
एडीएचडी का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन सही उपचार और रणनीतियाँ व्यक्ति की स्थिति में सुधार ला सकती हैं। इसमें प्रमुख उपचार के रूप में दवाइयाँ, मानसिक चिकित्सा (काउंसलिंग), और जीवनशैली में सुधार (जैसे समय प्रबंधन की तकनीकें) शामिल हो सकती हैं।
साथ ही, परिवार और दोस्तों का सहयोग भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह विकार व्यक्तियों को अपनी क्षमता के अनुसार जीने और सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है, बशर्ते कि सही मार्गदर्शन और समर्थन मिले।
समाज में जागरूकता की आवश्यकता
ADHD को लेकर समाज में अभी भी कई भ्रांतियाँ हैं। बच्चों को सिर्फ “आलसी” या “बदमाश” समझना इस विकार के प्रति नकारात्मक सोच को बढ़ावा देता है। हमें इस विकार के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए, ताकि प्रभावित व्यक्ति समाज में सहजता से अपनी जीवन यात्रा जारी रख सकें।
निष्कर्ष
एडीएचडी एक विकार है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि व्यक्ति किसी मामले में सक्षम नहीं हो सकता। सही पहचान, उपचार और समर्थन से प्रभावित व्यक्ति अपनी क्षमता को पहचान सकते हैं और अपनी जीवनशैली में सुधार ला सकते हैं। हमें इस विकार को समझने और प्रभावित व्यक्तियों को बिना किसी भेदभाव के समान अवसर देने की आवश्यकता है।
संदेश: ADHD कोई कमजोरी नहीं, बल्कि एक चुनौती है, जिसे सही तरीके से सामना किया जा सकता है।
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