NewsNLive Desk: पटना हाईकोर्ट के जज ने जांच रिपोर्ट में लिखा था कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति मेवालाल चौधरी ने सहायक प्राध्यापकों की बहाली में भारी घपला किया है। इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया था मगर सत्ता और सरकार उन पर इस कदर मेहरबान रही कि स्थानीय पुलिस द्वारा न सिर्फ इस केस को दबा दिया गया बल्कि उन्हें सत्तासीन कर दिया गया। मेवालाल पुलिस, कानून व कोर्ट से लेकर राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति तक कोई भारी पड़े।
यहां बता दें कि वर्तमान में राष्ट्रपति के पद पर आसीन रामनाथ कोविंद ने बिहार का राज्यपाल रहते नियुक्ति घोटाले की जांच के लिए पटना हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज सैयद महफूज आलम की एक सदस्य कमेटी का गठन किया था। करीब 3 महीने तक जांच के बाद जज ने जो रिपोर्ट दिया उसमें नियुक्ति में भारी गड़बड़ी की बात साबित हुई थी।
जज के समक्ष उपस्थित नहीं हुए मेवालाल
जानकारी के अनुसार जज ने जांच के दौरान करीब 3 दर्जन से अधिक लोगों को बुलाया था। उनसब से सभी पहलुओं पर बात की। इसमें सबौर कृषि विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों से लेकर दूसरे विश्वविद्यालयों से जुड़े लोग भी शामिल थे। उन्होंने मेवालाल को भी उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने को कहा था मगर जानकारों के अनुसार मेवालाल सत्ता के अहंकार में इतने अधिक डूबे थे कि कई बार तारीख तय होने के बाद भी जज के सामने में नहीं आए।
निगरानी और पुलिस अधिकारी भी घेरे में
इस केस को दबाने में निगरानी से लेकर पुलिस अधिकारी भी घेरे में है। जानकारों का कहना है कि नियुक्ति घोटाले के संबंध में सबौर थाने में दर्ज केस में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसरों को जेल भेजने के बाद भागलपुर के पुलिस अफसरों ने इस केस को फाइलों में दफना दिया। वहीं दूसरी ओर भवन निर्माण के घोटाला के केस को निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में जमींदोज कर दिया गया।
मोदी से लेकर एनडीए के सभी नेताओं ने चुप्पी साधी
घपला उजागर होने के बाद भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी ने उस समय राज्यपाल से मिलकर नियुक्ति की जांच कराने और मेवालाल पर कार्रवाई करने की मांग की थी। उन्होंने मेवा लाल की गिरफ्तारी की भी आवाज उठाई थी मगर अभी उन्होंने चुप्पी साध रखी है। आश्चर्य की बात है कि मेवालाल को शिक्षा मंत्री बनाए जाने पर पूरे देश में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल उठ रहे हैं। नीतीश सरकार और एनडीए की फजीहत हो रही है मगर सभी नेता चुप्पी साधे हुए हैं। इससे साबित हो रहा है सरकार व सत्ता में मेवा लाल की जड़ें कितनी गहरी है।
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