बड़ी खबर

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को लगाई फटकार, कहा-भ्रष्टाचार कानून का दुरुपयोग दहेज कानून जैसा हो रहा

Bharat varta Desk

उच्चतम न्यायालय ने एक आरोपी को जेल में रखने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम का प्रयोग करने पर प्रवर्तन निदेशालय को फटकार लगाई है और इसके साथ ही सवाल किया है कि क्या दहेज कानून की तरह इस प्रावधान का भी ‘दुरुपयोग’ किया जा रहा है?

छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी अधिकारी को दी जमानत
मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने बुधवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि अगर शिकायत पर संज्ञान लेने वाले अदालती आदेश को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की तरफ से रद्द कर दिया गया था, तो आरोपी को हिरासत में कैसे रखा गया।

PMLA को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल
पीठ ने पूछा, ‘पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) की अवधारणा यह नहीं हो सकती कि व्यक्ति को जेल में रहना चाहिए। यदि संज्ञान रद्द होने के बाद भी व्यक्ति को जेल में रखने की प्रवृत्ति है, तो क्या कहा जा सकता है? देखिए 498ए मामलों में क्या हुआ, पीएमएलए का भी इसी तरह दुरुपयोग किया जा रहा है?’ भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए विवाहित महिलाओं को उनके पतियों और उनके रिश्तेदारों की तरफ से क्रूरता से बचाती है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जताई निराशा
सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत देने का विरोध करते हुए कहा कि तकनीकी आधार पर बदमाश बच नहीं सकते। राजू ने कहा कि मंजूरी के अभाव में संज्ञान रद्द किया गया था और यह जमानत के लिए अप्रासंगिक था। मामले में निराशा व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा, ‘यह चौंकाने वाला है कि ईडी को पता है कि संज्ञान रद्द कर दिया गया था, फिर भी इसे दबा दिया गया। हमें अधिकारियों को तलब करना चाहिए। ईडी को साफ-साफ बताना चाहिए।’ शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, ‘हम किस तरह के संकेत दे रहे हैं? संज्ञान लेने का आदेश रद्द कर दिया गया है और व्यक्ति हिरासत में है।’

आरोपी को शराब घोटाले के सिलसिले में नहीं मिली थी जमानत


शीर्ष अदालत पूर्व आबकारी अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें राज्य में हाई-प्रोफाइल शराब घोटाले के सिलसिले में उन्हें जमानत देने से इनकार किया गया था। अरुण पति त्रिपाठी, जो प्रतिनियुक्ति पर छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड के विशेष सचिव और प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यरत थे, को ईडी की जांच के बाद गिरफ्तार किया गया था। ईडी ने आर्थिक अपराध शाखा, रायपुर का भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की कई धाराओं के तहत दर्ज एक पूर्व निर्धारित अपराध के आधार पर जांच शुरू की।

Ravindra Nath Tiwari

तीन दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय। 17 साल हिंदुस्तान अखबार के साथ पत्रकारिता के बाद अब 'भारत वार्ता' में प्रधान संपादक।

Recent Posts

सोनपुर मेला में नीतू नवगीत ने लोकगीतों से बांधा समां

पटना से वैद्या बुलाई दा, कोयल बिना बगिया ना शोभे राजा सोनपुर : हरिहर क्षेत्र… Read More

57 minutes ago

पीएमओ का नाम बदला,‘सेवा तीर्थ’कहलाएगा

Bharat varta Desk प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदल गया है. अब इसे ‘सेवा तीर्थ’ के… Read More

1 day ago

नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल : पटना में झलकी भारत की सांस्कृतिक-बौद्धिक विरासत

पटना, भारत वार्ता संवाददाता : बिहार की राजधानी पटना एक बार फिर साहित्य, संस्कृति और… Read More

2 days ago

प्रेम कुमार बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष होंगे

Bharat varta Desk गया के विधायक प्रेम कुमार बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष होंगे। ‌… Read More

2 days ago

बिहार में पांच आईएएस अधिकारी बदले, मिहिर कुमार सिंह होंगे नए विकास आयुक्त

Bharat varta Desk बिहार में एक बार फिर एनडीए सरकार बनने के बाद सीएम नीतीश… Read More

3 days ago

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका: पीके मिश्रा

-रायबरेली रेल कोच कारखाना के जीएम ने पूर्व रेलवे के इतिहास की दी महत्वपूर्ण जानकारी-हावड़ा… Read More

4 days ago