रांची भारत वार्ता संवाददाता-
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने एक बार फिर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पूर्व ओएसडी गोपाल जी तिवारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से अनुमति मांगी है। यह एसीबी का निगरानी विभाग को डेढ़ साल में तीसरा स्मार पत्र है। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की जांच का आदेश मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ही दिया था। डेढ़ साल पहले एसीबी की प्रारंभिक जांच में गोपालजी पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप की पुष्टि हुई थी। उसके बाद एसीबी ने मंत्रिमंडल निगरानी एवं सचिवालय विभाग से प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी थी।
21 करोड़ की काली कमाई करने का आरोप
गोपाल जी तिवारी पर पद का दुरुपयोग कर आय से 21.55 करोड़ रुपये अर्जित करने और काली कमाई को जमीन व फ्लैट में निवेश करने का मामला दर्ज होना है। लेकिन निगरानी विभाग एसीबी को इसके अनुमति नहीं दे रहा है। गोपाल जी अभी पथ निर्माण विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर तैनात हैं।
बता दें कि अधिवक्ता राजीव तिवारी ने मुख्यमंत्री को आवेदन देकर आरोप लगाया था कि गोपाल जी तिवारी के बेटे नीलाभ तिवारी की कंपनी मेसर्स किंग्सले डेवलपर में भ्रष्टाचार से अॢजत धन को निवेश किया गया है। इस कंपनी का दफ्तर अशोक नगर में है। एसीबी ने जांच में आरोपों को सही पाया है। उसने निगरानी विभाग को लिखा है कि गोपाल जी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं इसीलिए एफ आई आर दर्ज करने की अनुमति दी जाए। अब देखना यह है कि निगरानी विभाग क्या करता है?
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