पटना। “यह मेरा अंतिम चुनाव है” – पूर्णिया के धमदाहा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा दिए गए भाषण के इस वाक्य का निहितार्थ निकालना आसान नहीं है। इस भाषण ने बिहार की सियासत में भूचाल ला दिया है। सियासी गलियारों में हलचल तेज हुई लेकिन कन्फ्यूजन के साथ। ऐसा कहा जा सकता है कि पूरी सियासत ही कन्फ्यूज्ड हो गई है। पहले तो जदयू के नेता व प्रवक्ता ही कन्फ्यूजन में कुछ भी स्पष्ट बयान नहीं दे पा रहे थे। हालांकि बाद में जदयू नेेताओं ने भाषण का आशय स्पष्ट करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री का मतलब अंतिम चुनाव प्रचार था। प्रदेश जदयू अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा है कि राजनीति में कोई व्यक्ति रिटायर नहीं होता, अंतिम चुनाव का मतलब अंतिम चुनाव प्रचार।
पक्ष और प्रतिपक्ष का नेता अलग-अलग ढंग से नीतीश के भाषण के निहितार्थ को बताने की कोशिश कर रहे हैं। मगर सच तो यह है कि कोई भी मुख्यमंत्री के नजदीक इस विषय पर उनकी राय जानने के लिए नहीं जा पाया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वभाव व व्यवहार को नजदीक से जानने वाले राजनीतिक और गैर-राजनीतिक लोगों का कहना है कि नीतीश के मन में क्या होता है यह कोई दूसरा नहीं जान पाता। उनके मन के फैसलों की जानकारी काफी करीबी माने जाने वाले लोगों को भी नहीं रहता है। वे अक्सर अपने फैसलों से लोगों को चौंकाते रहते हैं। भाजपा से वर्षों पुराना गठबंधन तोड़कर नीतीश कुमार ने सभी को चौंका दिया था।
एकाएक पद छोड़ने का इतिहास
राजनीतिक इतिहास गवाह है कि नीतीश कुमार ने पहले भी एकाएक कई पदों को छोड़ा है। केंद्र में रेल मंत्री रहते उन्होंने पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में जदयू के करारी हार के बाद वे अचानक मुख्यमंत्री का पद छोड़ देंगे और जीतन राम मांझी को इस पद पर बिठा देंगे, इसका अनुमान भी किसी ने नहीं लगाया था।
राजद से अलग होना
बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी थी, लेकिन राजद से नितीश अचानक अलग हुए। यह एक ऐसा फैसला था जिसका अंदाज़ा राजद के दिग्गजों को भी नहीं था।
जानकारों के अनुसार पार्टी के भीतर लोकसभा, राज्यसभा से लेकर विधानसभा और विधान परिषद में उम्मीदवार बनाने या किसी महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद पर किसी को नियुक्त करने के कई महत्वपूर्ण फैसलों में मुख्यमंत्री अपने काफी करीबियों को भी चौंकाते रहे हैं।
खास अंदाज में मुख्यमंत्री ने मेरा यह अंतिम चुनाव है का भाषण देकर लोगों को चौंकाया है। वे देश के चंद राजनीतिज्ञों में से हैं जिन्होंने सत्ता में अपने लिए कुछ नहीं किया है। यह बात वे अपनी भाषणों में भी करते रहे हैं। वे अक्सर कहते हैं – “पूरा बिहार मेरा परिवार है”।
बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के कई सभाओं में उनके खिलाफ प्रदर्शन भी हुए। इस पर वे भाषण के दौरान ही नाराज हो कर तिलमिलाते दिखे। एक तरफ यह भी चर्चा है कि इसी तिलमिलाहट ने नीतीश ने अपने राजनीतिक कैरियर के भविष्य को अपने मन में निर्धारित कर लिया है, वही मन की बात भाषण के दौरान ज़ुबान पर आ गई। वहीं दूसरी तरफ यह भी चर्चा है कि भाषण के दौरान मुख्यमंत्री की ज़ुबान फिसल गई और यह मीडिया में गलत निहितार्थ निकालकर खबर बन गया। राजनीति को जानने व समझने वाले तो यहां तक कह रहे कि भाषण के दौरान मुख्यमंत्री के ज़ुबान फिसलने की घटना को ही अब सत्ता पक्ष द्वारा रणनीति के तहत चुनाव में इमोशनल कार्ड खेलने के लिए सही बताया जा रहा, वहीं विपक्ष द्वारा इसे नीतीश कुमार को कमजोर मुख्यमंत्री साबित करने के लिए बैठे-बैठाए मुद्दा मिल गया। सभी अपने अनुसार मुख्यमंत्री के भाषण का निहितार्थ निकाल रहे हैं। सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई। लेकिन मुख्यमंत्री चुनाव प्रचार के इस भाषण के बाद पटना लौटते ही उर्स मुबारक के अवसर पर पटना हाईकोर्ट स्थित मज़ार पर चादरपोशी करने पहुंचे और किसी भी राजनीतिक बयान देने से बचते दिखे।
Bharat varta Desk उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ नैनीताल में तीन दिन के दौरे पर हैं। कुमाऊं… Read More
Bharat varta Desk प्सुल्तानगंज महेशी महा दलित टोला में कांग्रेस के सामाजिक न्याय जन चौपाल… Read More
Bharat varta Desk पटना हाईकोर्ट ने कई प्रिंसिपल जजों को बदल दिया है। कई जज… Read More
Bharat varta Desk बिहार चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज एक बार फिर राज्य… Read More
Bharat varta Desk शराब घोटाला मामले में एसीबी ने अब उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग… Read More
Bharat varta Desk तमिलनाडु से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां… Read More