
पटना भारत वार्ता संवाददाता: बिहार के विश्वविद्यालयों में घपले पर घपले उजागर हो रहे हैं। मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र प्रसाद के यहां रेड में करोड़ों रुपए का घपला उजागर हुआ। उनके यहां करोड़ों नगद बरामद हुए। खरीद घोटाले से कुलपति ने काफी पैसे बनाए हैं।
इस बार खरीद घोटाले का दूसरा मामला मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय में उजागर हुआ है। यह उजागर कोई और नहीं बल्कि यहां के कुलपति मोहम्मद खुदुश ने ही किया है । उन्होंने इसके बाबत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिख डाला है। पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके ऊपर राजभवन के नाम पर फर्जी और अधिक बिल के भुगतान के लिए दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने दो नंबर जारी किए हैं जिससे उन्हें लखनऊ से अतुल श्रीवास्तव नामक व्यक्ति लगातार फोन कर बिल भुगतान के लिए कह रहा है।
आज राजभवन में सम्मानित होने वाले कुलपति भी कटघरे में
कुलपति ने मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में उत्तर पुस्तिकाओं की खरीद के लिए हुए टेंडर के मामले में विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति रहे सुरेंद्र प्रताप सिंह की भूमिका की जांच कराई जाए। पहले लखनऊ के बीके ट्रेडर्स के यहां उत्तर पुस्तिकाओं की छपाई ₹7 प्रति कॉपी होती थी लेकिन सुरेंद्र प्रताप सिंह जब प्रभारी कुलपति बने तो उन्होंने इसे बढ़ाकर ₹16 प्रति कॉपी कर दी। यही नहीं एक साथ 1 लाख60 हजार कॉपी की छपाई का ऑर्डर दे दिया। जब मोहम्मद खुद्दुस कुलपति बने तो इसका 28 लाख का बिल भेजा गया। परीक्षा सामने थी इसलिए कॉपी की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 22 लाख का भुगतान एजेंसी को करना पड़ा। लेकिन नियमों का पालन नहीं होने के कारण ₹6 लाख का भुगतान कुलपति ने रोक दिया। इसी बिल को पास करने के लिए लखनऊ से अतुल श्रीवास्तव राजभवन के नाम से कुलपति पद दबाव बना रहा है।
कुलपति ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि विश्वविद्यालयों में लूट का सूट का बड़ा खेल चल रहा है जिसमें एक संगठित गिरोह सक्रिय है। इस पत्र के बाद शिक्षा जगत में हंगामा मचा हुआ है।
यहां यह भी बता दें कि अरबी फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति ने जिस प्रभारी कुलपति सुरेंद्र प्रसाद सिंह पर घपले का आरोप लगाया है वह अभी ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति हैं। आज उन्हें उत्कृष्ट कार्यों के लिए राजभवन सम्मानित करने वाला है। वे पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के भी प्रभारी कुलपति हैं।
दिल्ली की एक ही एजेंसी से बिना टेंडर सभी विश्वविद्यालयों में किताब खरीद
मगध विश्वविद्यालय में खरीद घोटाला उजागर होने के बाद निगरानी की नजर दूसरे विश्वविद्यालयों के घोटालों पर भी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक
राज्य के अलग-अलग विश्वविद्यालय ने करोड़ों रुपए की किताबें दिल्ली की जिस एजेंसी से खरीदी हैं उसका नाम इंडिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड है। यह कंपनी दिल्ली के दरियागंज मंडी में स्थित है और आश्चर्य की बात यह है कि सभी विश्वविद्यालयों ने किताब की खरीद टेंडर प्रक्रिया के बगैर इसी कंपनी से की है। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, तिलकामांझी विश्वविद्यालय द्वारा इस एजेंसी से की गई किताबों की खरीद की जा चल रही है। विश्व विद्यालय के प्राचार्य और शिक्षकों का कहना है ऐसी किताबें खरीदी गई है जिनकी कोई उपयोगिता नहीं है। वे सिर्फ अलमारियों की शोभा बढ़ा रही हैं। सिर्फ पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की ओर से इस एजेंसी से 5 करोड़ रुपए की किताब खरीदे जाने की सूचना है।
इस खरीद मामले में पूर्व कुलपति एससी जसवाल जांच के घेरे में है। आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय ने तो इतनी किताबें खरीद ली हैं कि इसे भाड़े के एक मकान में रखा गया है जिसके लिए विश्वविद्यालय को एक साल में ₹50 लाख किराया देना होगा।
Bharat varta Desk बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के सीएम फेस को लेकर गृह मंत्री… Read More
Bharat varta Desk 4 दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व उगते सूर्य को अर्घ्य देने… Read More
Bharat varta Desk दुनियाभर में छठ का महापर्व मनाया जा रहा है। खरना के साथ… Read More
Bharat varta Desk जस्टिस सूर्यकांत, CJI गवई के बाद सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर… Read More
Bharat varta Desk आज चार दिवसीय छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना है. शाम के… Read More
पटना / नई दिल्ली : लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के अवसर पर इस… Read More