राजकीय माघी पूर्णिमा मेला शुरू, सफाहोड़ आदिवासियों की उपस्थिति ने समा बांधा

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नहीं पहुंचे मंत्री आलमगीर आलम

राजमहल: झारखंड के साहिबगंज जिले के राजमहल अनुमंडल मुख्यालय में राजकीय माघी पूर्णिमा मेला का उद्घाटन शनिवार को मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक अनंत कुमार ओझा, उपायुक्त रामनिवास यादव, एसपी अनुरंजन किस्पोट्टा, एसडीओ हरिवंश पंडित, एसडीपीओ अरविंद कुमार सिंह,नगर पंचायत अध्यक्ष केताबुद्दीन शेख, उपाध्यक्ष पार्थ कुमार दत्ता ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. पुरोहित राजेश पांडे के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विधायक व उपायुक्त को गंगा पूजन कराया गया. विधायक ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड-19 के लिए मेला विधिवत रूप से नहीं लग सका, लेकिन अंतिम क्षण में अनुमति प्राप्त होने पर प्रशासन के अथक प्रयास से हर संभव श्रद्धालुओं को सुविधा मुहैया कराया गया है. उन्होंने कहा कि माघी पूर्णिमा मेले से समाज की आस्था जोड़ी है. गंगा मोक्षदायिनी है. आदिवासी समाज के लोग पीढ़ियों से यहां गंगा स्नान करने आते हैं. माघी पूर्णिमा स्नान का महत्व इससे समझा जा सकता है कि यहां स्नान करने श्रद्धालु झारखंड के अलावे बिहार, बंगाल, उड़ीसा व नेपाल से भी पहुंचते हैं.उपायुक्त ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम कार्यक्रम में नहीं पहुंच सके लेकिन उनके माध्यम से श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी हैं. सभी गुरु बाबाओं को अंग वस्त्र देकर अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया.

सफाहोड़ आदिवासियों का यह खास मेला: वही माघी पूर्णिमा मेले में सफाहोड़ आदिवासियों सहित अन्य लगभग लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था कीजिये डुबकी लगाई है. इस मेले में बड़ी संख्या में सफाहोड़ आदिवासी शामिल होते हैं. इस मेले की पहचान इन आदिवासियों के कारण रही है. आदिवासियों का एक तबका हिंदू धर्म के नजदीक माना जाता है. यह सफेद वस्त्र में रहते हैं और विशिष्ट तरीके से गंगा ताला पूजन करते हैं.

नहीं लग पाई दुकानें: कोरोना महामारी के कारण मेला परिसर में दुकाने नहीं लग पाई इसके कारण श्रद्धालुओं को भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. भोजन सहित अन्य सामग्री के दुकाने नहीं रहने के कारण श्रद्धालु इधर-उधर घूमते देखे गए. वही मेला परिसर में प्रतिवर्ष दुकान लगाने वाले दुकानदार भी काफी मायूस दिखे. उनका कहना है कि इस मेले का वे लोग सालों भर इंतजार करते हैं. मेले में दुकान लगाने से उनकी अच्छी खासी कमाई हो जाती है. जिससे कई महीनों तक परिवार का भरण पोषण कर पाते हैं.

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