योगी मंत्रिमंडल पर परिवारवाद की छाया
Bharat varta desk: उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा ने परिवारवादी राजनीति को मुद्दा बनाया था। खासतौर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चुनाव प्रचार में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव के परिवार के लोगों के सत्ता और पार्टी में भरमार होने की बात को खूब उछाला था। परिवारवाद को उन्होंने लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा बताया था और इसी आधार पर भाजपा ने अपने कई सांसदों और अन्य नेताओं के परिवार के लोगों का टिकट भी काटा था मगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मंत्रिमंडल परिवारवाद के आरोपों से अपने को बचा नहीं पाया। मंत्रिमंडल में कई ऐसे मंत्री हैं जो परिवारवाद के नमूने हैं।
इस मंत्रिमंडल में एक सदस्य संदीप सिंह पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पौत्र हैं। वे अतरौली से विधायक बन कर आए हैं। उनके पिता राजवीर सिंह भाजपा के सांसद रह चुके हैं। हरदोई के सांसद नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल को भी भाजपा ने मंत्री बनाया है। समाजवादी पार्टी से दो बार विधायक रह चुके नितिन चुनाव के कुछ दिन पहले पाला बदलकर भाजपा में आए थे उन्हें विधानसभा उपाध्यक्ष बनाया गया था।
योगी मंत्रिमंडल में एक अन्य मंत्री जितैन प्रसाद जितेंद्र के पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के दिग्गज नेता और सांसद व मंत्री रहे। चुनाव से पहले जितेंद्र को भाजपा ने अपने पाले में लाया था।
बीजेपी की पांच महिला मंत्रियों में से एक प्रतिभा शुक्ला के पति अनिल शुक्ला भी बीजेपी नेता हैं, जो कई पार्टियों से पाला बदल बीजेपी में पहुंचे हैं।
पति पत्नी दोनों मंत्री
बीजेपी के दो सहयोगी दलों अपना दल सोनेलाल और निषाद पार्टी को पारिवारिक पार्टी ही माना जाता है। अपना दल के कोटे से आशीष पटेल को मंत्री बनाया गया है, जो केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति हैं। वो अपना दल के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं।
निषाद पार्टी का परिवारवाद
वहीं निषाद पार्टी से संजय निषाद को मंत्री बनाया गया है। वे खुद निषाद पार्टी के प्रमुख भी हैं। अनिल राजभर के पिता रामजीत राजभर भी विधायक रहे हैं। अनिल राजभर ने शिवपुर सीट से ओमप्रकाश राजभर को चुनाव में हराया था।