साहित्य संसार

मीठी वाणी बोलिए, रेल अधिकारी दिलीप कुमार का कॉलम ‘अप्प दीपो भव’

अप्प दीपो भव-14


(कवि, लेखक, मोटिवेशनल स्पीकर दिलीप कुमार भारतीय रेल यातायात सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हैं)


कर्णप्रिय एवं मधुर बातें सुनना सबको पसंद है। जो भी जीव मीठी बोली बोलते हैं, उन्हें विशेष सम्मान मिलता है। एक दोहे में कवि कबीरदास कहते हैं-
कागा काको धन हरै, कोयल काको देत!
मीठा शब्द सुनाए के, जग अपनो कर लेत!!

कौवा किसी का धन नहीं चुराता। न ही कोयल किसी को कोई बड़ा धन देती है। फिर भी हम में से अधिकांश लोग कौवे को पसंद नहीं करते या कम पसंद करते हैं जबकि कोयल को सभी लोग प्यार करते हैं। आखिर ऐसा क्यों होता है? कौवा और कोयल में कोई भी जब हमारा धन नहीं चुराता और न ही हमें धन देता है, तब भी हम लोग कोयल को अधिक प्यार क्यों करते हैं? इसका उत्तर बहुत ही सरल है। कौवा और कोयल की वाणी में अंतर है। कोयल की वाणी में मिठास होती है। मीठी बोली सुनने से हमारा चित्त प्रसन्न हो जाता है। मीठी बोली से कोयल सब को अपना बना लेती है। इसके ठीक विपरीत कौवे की आवाज कर्कश होती है। आवाज की यह कर्कशता अधिकांश लोगों को अच्छी नहीं लगती। इस धारणा के बावजूद कि कौवे के रूप में हमारे पूर्वज हमारे पास आते हैं, समाज में कौवा वाणी में कर्कशता के कारण अपेक्षाकृत कम सम्मान पाता है।

मीठी वाणी में बहुत ही शक्ति होती है। मीठी वाणी बोल कर हम अनजान लोगों के बीच सम्मान और मित्रों के बीच विशेष मान पा सकते हैं। मीठी वाणी रूपी हथियार से अपने शत्रुओं को दिल जीत कर उन्हें अपना मित्र भी बना सकते हैं। मीठी बोली की महिमा देश, काल और परिस्थितियों से परे है। हर देश के लोगों को, हर युग के लोगों को और अलग-अलग परिस्थितियों में रह रहे लोगों को वाणी की मधुरता पसंद आती है।
सबको सहज करने वाले और सधुक्कड़ी स्वभाव वाले कबीर अपने एक और दोहे में वाणी की मधुरता से प्राप्त होने वाली शीतलता का बखान करते हैं-
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय!
औरन को सीतल करे, आपहुँ सीतल होय!!

मीठी बोली का बड़ा महत्व है। इसलिए बोलते समय हमें अपने मन से अहंकार, अभिमान और अहम की भावना का त्याग कर मीठा बोलना चाहिए। ऐसी बोली से दूसरों को शीतलता प्राप्त तो होती ही है, अपना मन भी शीतल हो जाता है। इस शीतलता में ही सुख की अनुभूति होती है। मीठी बोली वस्तुतः एक ऐसी औषधि है जिससे मन के विकारों का इलाज होता है। कड़वे बोल सुनने वाले को तो कष्ट पहुंचाते ही हैं, बोलने वाले के लिए भी कष्ट कारक होते हैं। कटु बोल के दीर्घकालिक परिणाम नकारात्मक होते हैं। यह मित्रों को शत्रु बना देता है और शत्रुओं को महाशत्रु। कटु बोल बने हुए काम को बिगाड़ देता है। आपसी रिश्तो में तनाव का सबसे बड़ा कारण कटु बोल ही होता है। विश्व की सभी संस्कृतियों में कटु वचनों से बचने की सलाह दी जाती रही है। कई बार तो कटु वचनों को सत्य से भी ऊपर रख दिया जाता है। संस्कृत के एक श्लोक का भाव है कि यदि सत्य बहुत ज्यादा अप्रिय हो तो उसे नहीं बोलना चाहिए।
सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम्!
प्रियं च नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन:!!

हमें सत्य बोलना चाहिए, प्रिय बोलना चाहिए। सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिए। प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिए; यही सनातन धर्म है।

Ravindra Nath Tiwari

तीन दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय। 17 साल हिंदुस्तान अखबार के साथ पत्रकारिता के बाद अब 'भारत वार्ता' में प्रधान संपादक।

Recent Posts

सोनपुर मेला में नीतू नवगीत ने लोकगीतों से बांधा समां

पटना से वैद्या बुलाई दा, कोयल बिना बगिया ना शोभे राजा सोनपुर : हरिहर क्षेत्र… Read More

23 hours ago

पीएमओ का नाम बदला,‘सेवा तीर्थ’कहलाएगा

Bharat varta Desk प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदल गया है. अब इसे ‘सेवा तीर्थ’ के… Read More

2 days ago

नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल : पटना में झलकी भारत की सांस्कृतिक-बौद्धिक विरासत

पटना, भारत वार्ता संवाददाता : बिहार की राजधानी पटना एक बार फिर साहित्य, संस्कृति और… Read More

3 days ago

प्रेम कुमार बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष होंगे

Bharat varta Desk गया के विधायक प्रेम कुमार बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष होंगे। ‌… Read More

3 days ago

बिहार में पांच आईएएस अधिकारी बदले, मिहिर कुमार सिंह होंगे नए विकास आयुक्त

Bharat varta Desk बिहार में एक बार फिर एनडीए सरकार बनने के बाद सीएम नीतीश… Read More

4 days ago

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका: पीके मिश्रा

-रायबरेली रेल कोच कारखाना के जीएम ने पूर्व रेलवे के इतिहास की दी महत्वपूर्ण जानकारी-हावड़ा… Read More

5 days ago