मिथिलांचल की नारी शक्ति को सबसे अधिक पद्म सम्मान, (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष )
मुजफ्फरपुर से प्रभात कुमार
बिहार में पद्म सम्मान के मामले में महिलाओं का एकक्षत्र बोल वाला है। अब तक 15 पद्म पुरस्कार महिलाओं ने हासिल की है। इसमें मिथिलांचल की सर्वाधिक महिलाएं पद्म पुरस्कार से सम्मानित हुई है। इसकी विंध्यवासिनी देवी से लेकर गोदावरी दत्ता तक लंबी फेहरिस्त है। अब तक 1974 से लेकर 15 महिलाएं पद्म पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी है ।
इसमें मुजफ्फरपुर की दो महिलाएं हैं। सरैया की किसान चाची और कांटी थी कांटी की मृदुला सिन्हा जो गोवा की राज्यपाल भी रह चुकी है। समस्तीपुर की शारदा सिन्हा को दो पद्म सम्मान मिल चुका है। वह पहली बार पद्म श्री से सम्मानित हुई थी। जबकि इस बार पद्म भूषण से सम्मानित हुई है।
सबसे पहले विंध्यवासिनी देवी को सम्मान
बिहार की महिलाओं में सबसे पहले सन् 1974 में बिहार कोकिला स्व. विंध्यवासिनी देवी को लोक गायन के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए पद्मश्री दिया गया था। सन् 1975 में मधुबनी के जितवारपुर की रहने वाली जगदम्बा देवी को सबसे पहले मिथिला चित्रकला के लिये पद्मश्री मिला। उसके बाद सीता देवी (जितवारपुर, मधुबनी) को, 1981 तो गंगा देवी (रसीदपुर, मधुबनी) को, सन् 1984 में पद्मश्री से नवाजा गया।
फिर छठ गीतों के लिए दुनियाभर में पर्याय बन चुकी मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा को 2015 में पद्मश्री और 2018 में पद्मभूषण से सम्मानित किया। वंचित समाज के बीच शिक्षा और जागृति फैलाने के लिये सिस्टर सुधा के नाम से ख्यात सुधा वर्गीस 2006 को यह सम्मान दिया गया। साहित्य के क्षेत्र में मैथिली व हिन्दी की लेखिका उषा किरण खान व डॉ. शांति जैन पद्म अवार्ड को यह सम्मान दिया गया। चर्चित स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शांति जैन, किसान चाची राजकुमारी देवी और चनपटिया की विधायक भागीरथी देवी ने भी पद्म अवार्ड दिया गया। इसी साल पद्मश्री के लिए चुना गया है। गोवा की राज्यपाल चर्चित लेखिका मृदुला सिन्हा को मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया ।, वहीं दुलारी देवी मिथिला चित्रकला में मिला।मिथिला चित्रकला के लिए ही 2011 में महासुंदरी देवी (रांटी, मधुबनी, 2017 में बौआ देवी (जितवारपुर, मधुबनी) और 2017 गोदावरी दत्ता (रांटी, मधुबनी) को पद्मश्री से नवाजा गया है।