बड़ी खबर

मंदिरों का गांव मलूटी से लेकर कई पर्यटन केंद्र हैं उपराजधानी दुमका में

झारखंड में विश्व स्तरीय पर्यटन
श्रृंखला-9
प्रियरंजन

रांची : हेमंत सरकार का 29 दिसंबर को एक साल पूरा होने वाला है। इस दिन सरकार राज्य की नई पर्यटन नीति की घोषणा करने वाली है।मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य के पर्यटन स्थलों को वर्ल्ड क्लास का बनाएंगे। झारखंड की उपराजधानी दुमका जिले में एक से एक ऐसे दर्शनीय स्थल हैं जिन्हें संरक्षित, संवर्धित और विकसित कर विश्वस्तरीय पर्यटन केंद्र बनाया जा सकता है. यहां मंदिरों का गांव मलूटी भी है जिसे देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं। आइए हम इतिहास लेखक प्रियरंजन से जाने दुमका के प्रमुख पर्यटन केंद्रों के बारे में…

 मलूटी

मलूटी पश्चिम बंगाल की सीमा पर बसा दुमका जिले का एक गाँव है। यहाँ 108 मंदिरों का समूह था। वर्तमान में यहाँ 70-80 मंदिर सुरक्षित है। यहाँ सर्वाधिक 54 मंदिर शिव भगवान के हैं। इसे भारत सरकार ने विशिष्ट धर्मस्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। इस मंदिर को 2015 ई. के गणतंत्र दिवस समारोह, नई दिल्ली की झाँकी में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है।

मौलीक्षा मंदिर
मलूटी गाँव में आदिशक्ति पीठ मौलीक्षा देवी का मंदिर स्थित है। यह बौद्ध काल से ही तांत्रिक सिद्धि का एक बड़ा केन्द्र रहा है। इस मंदिर का निर्माण ननकर राजाओं ने 17वीं शताब्दी में कराया था। यह मंदिर बंगला शैली में निर्मित है। ननकर राज्य के संस्थापक बसंत राय थे। इन्होंने पहले वीरभूम के मयूरेश्वर तथा बाद में डमरा को अपनी राजधानी बनाया था। राजनगर के शासक खाजा कमाल खाँ तथा बसंत राय के बीच कई बार संघर्ष हुआ था। इसमें बसंत राय को पराजित होने पर अपना राज्य छोड़ना पड़ा था। वे 1680 ई. में मलूटी आकर बस गये थे। बसंत राय तथा उसके परिवार ने ही मलूटी में 108 मंदिर बनवाये थे। ननकर राजा मौलिक्षा देवी (दुर्गा) को अपना कुल देवी मानते थे। मौलिक्षा मंदिर से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर बंगाल के वीरभूम जिला में प्रसिद्ध तारा पीठ स्थित है।

नोनीहाट का राजमहल
दुमका जिला के रामगढ़ एवं जरमुंडी अंचल में नोनीहाट स्थित है। यह ऐतिहासिक खेतोरी राज्य हंडवा की राजधानी थी। जमींदारी उन्मूलन के पहले हंडवा का राजघराना अपने कुशल प्रशासन के लिए प्रसिद्ध था। यह राजमहल धोबैया नदी के मैदान में लगवा पहाड़ी के नीचे स्थित है। इसका निर्माण रानी केशोवती ने करवाई थी।

सात तोला माराङ बुरू धोरोम गढ़

यह स्थान दुमका जिले के मसालिया झुंझको गाँव में स्थित है। इस मेले की उत्पति का संबंध 1855-56 ई. के संथाल विद्रोह से है। संथाल परम्परा के अनुसार संथाल परगना क्षेत्र में अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं शोषण के खिलाफ संथालों ने दिषोम की आजादी के लिए युद्ध किया था। चुनू मुर्मू के चार वीर सपूतों सिद्धो, कान्हू, चाँद, भैरव एवं दो पुत्रियों फूलो एवं झानो ने संथाल हूल का नेतृत्व किया था। संथाल परम्परा के अनुसार संथाल हूल के समय में अनेक बार सात तोला माराङ बुरू के देवी-देवताओं ने अंग्रेजी सेना से सिद्धो-कान्हू की रक्षा की थी। इस की याद में वर्ष  में दो बार इस स्थान पर 24 गाँव के लोगों द्वारा पूजा पाठ एवं मेले का आयोजन किया जाता है।
डॉ सुरेंद्र

Recent Posts

सीबीआई ने जेपीएससी के पांच अफसरों को छोड़ा था, स्पेशल जज ने जांच का दिया आदेश

Bharat varta Desk सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने जेपीएससी-2 के पांच… Read More

3 days ago

एनकाउंटर में मारा गया तीन राज्यों में वांटेड गैंगस्टर अमन साहू, पुलिस से हथियार छीनकर भाग रहा था

Bharat varta Desk झारखंड पुलिस के लिए चुनौती बने कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू को पुलिस… Read More

4 days ago

बिहार में 108 एएसपी और डीएसपी समेत 2 आईपीएस अधिकारियों का ट्रांसफर

Bharat varta Desk बिहार में एक बार फिर बड़े पैमाने पर प्रशासनिक अधिकारियों का ट्रांसफर… Read More

6 days ago

डॉ एसएन पाठक बोले- महिला अधिकारों की रक्षा सरकारों की सर्वोच्च प्राथमिकता हो

Bharat Varta Desk : राष्ट्रीय सगठन ने आज रांची में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया। रांची… Read More

6 days ago

पटना नगर स्वच्छता जागरूकता टीम द्वारा जेडी विमेंस कॉलेज में महिला दिवस सह स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

गंदगी के खिलाफ जारी है जंग, स्वच्छता के हैं चार रंग पटना, भारत वार्ता संवाददाता… Read More

6 days ago

एनटीपीसी के डीजीएम की गोली मारकर हत्या

Bharat varta Desk ह अपराधियों ने हजारीबाग के कटकमदाग थाना क्षेत्र अंतर्गत फतह में एनटीपीसी के… Read More

7 days ago