प्राचीन अंग की राजधानी चम्पा के विस्तार का पुराविदों को है अनुमान
शिव शंकर सिंह पारिजात
भागलपुर। भागलपुर जिला के नवगछिया अनुमंडल अंतर्गत बीहपुर प्रखंड के जयरामपुर के निकट कोशी नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित गुवारीडीह के प्राचीन टिल्हे से बड़ी संख्या में तकरीबन 5 हजार वर्ष पुराने ताम्र पाषाणकालीन युग तथा 2500 वर्ष पुराने बुद्धकालीन पुरावशेष मिले हैं। इस दिसम्बर माह में कोशी नदी के जल-स्तर के घटने से नदी की धार से कटकर गुवारीडीह टीले से निकले इन सामग्रियों में पक्की ईंटों की बनी दीवारों की संरचना सहित बहुतायत में एनबीपीडब्ल्यू संस्कृति से जुड़े अनेकों रंगों वाले मृदभांड, कृषि कार्य में प्रयुक्त होनेवाले लौह-उपकरण एवं औजार, मवेशियों के जीवाश्म, मानवनिर्मित पाषाण उपकरण तथा औजार सहित विभिन्न संस्कृति वाले मृदभांड भी प्राप्त हुए हैं।
विदित हो कि आज से 10 माह पूर्व भी गुवारीडीह टिल्हे के तल से इसी तरह बड़ी संख्या में पुरावशेषों की प्राप्ति हुई थी जिसका मुआयना तिलकामांझी विश्वविद्यालय के पीजी प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष डॉ. बिहारीलाल चौधरी के नेतृत्व में पुराविदों के एक दल ने किया था। जिसमें अंग क्षेत्र के शोधकर्ता पूर्व उप जनसम्पर्क निदेशक शिव शंकर सिंह पारिजात, एस एम कालेज के प्राचार्य इतिहासकार डॉ. रमन सिन्हा के साथ पीजी पुरातत्व विभाग के डॉ. पवन शेखर, डॉ. दिनेश कुमार व छात्र अविनाश और छात्रा रिंकी शामिल थे।
गुवारीडीह पुरास्थल के शोध एवं विश्लेषण में पिछले दस महीनों से लगे पीजी पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष डॉ. बिहारीलाल चौधरी स्थल पर पायी गई पक्की ईंट निर्मित दीवारों की संरचना को देखकर कहते हैं कि ये यहां पर नगर-अधिवास होने के द्योतक हैं। यहां पर मिले पुरा सामग्रियों के आधार पर उनका अनुमान है कि यह स्थल ताम्र-पाषाणिक काल का अवशेष हो सकता है जो कि 5 हजार वर्ष पुराना है।
गुवारीडीह में बड़ी संख्या में प्राप्त एनबीपीडब्ल्यू के आधार पर विभागाध्यक्ष डॉ. चौधरी का अनुमान है कि यह स्थल अंग जनपद (भागलपुर प्रक्षेत्र) की राजधानी चम्पा का विस्तार रहा होगा जो कि 2500 पुराना बुद्धकालीन होगा।
डॉ. चौधरी अपने अनुमान की पुष्टि में बताते हैं कि वर्ष 1960 में पटना विश्वविद्यालय के प्रख्यात पुराविद् प्रो. बीपी सिन्हा को चम्पा की खुदाई में इसी तरह के एनबीपीडब्ल्यू मिले थे जिसके आधार पर कहा जा सकता है कि चम्पा और गुवारीडीह के बीच राजनीतिक और व्यापारिक संबंध रहे होंगे। यहां उत्खनन कराने से सारे तथ्य उजागर हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि एक वर्ष पूर्व उन्होंने इसे हेतु राज्य के पुरातत्व विभाग से अनुरोध किया था, पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
अंगक्षेत्र के इतिहास के जानकार शिव शंकर सिंह पारिजात ने कहा कि एक माह पूर्व बांका जिले के भदरिया में निकले पुरावशेषों संरक्षण-उत्खनन पर जिस तरह राज्य सरकार रूचि ले रही है, उसी तरह भागलपुर के गुवारीडीह के मुतल्लिक भी कार्रवाई करनी चाहिये क्योंकि पुराविदों के अनुसार भदरिया की तरह गुवारीडीह भी चम्पा-संस्कृति का विस्तार है।
Bharat varta Desk सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने जेपीएससी-2 के पांच… Read More
Bharat varta Desk झारखंड पुलिस के लिए चुनौती बने कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू को पुलिस… Read More
Bharat varta Desk बिहार में एक बार फिर बड़े पैमाने पर प्रशासनिक अधिकारियों का ट्रांसफर… Read More
Bharat Varta Desk : राष्ट्रीय सगठन ने आज रांची में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया। रांची… Read More
गंदगी के खिलाफ जारी है जंग, स्वच्छता के हैं चार रंग पटना, भारत वार्ता संवाददाता… Read More
Bharat varta Desk ह अपराधियों ने हजारीबाग के कटकमदाग थाना क्षेत्र अंतर्गत फतह में एनटीपीसी के… Read More