खुदाई में मिली है पालकालीन साढ़े छह फीट ऊंची प्राचीन मूर्ति
शिव शंकर सिंह पारिजात
भागलपुर: भागलपुर जिला मुख्यालय से करीब 24 किमी. पश्चिम में स्थित शाहकुंड प्रखंड के खेरही कस्बा के मिश्रा टोला में एक नाले की खुदाई के दौरान करीब साढ़े छह फीट ऊंची एक आदमकद प्राचीन मूर्ति मिली है। स्थानीय लोग इसे बुद्ध की मूर्ति बता रहे हैं, किंतु जानकारों के अनुसार यह यक्ष की मूर्ति है। मूर्तकला की विशिष्टताओं से युक्त इस मूर्ति के गले में कंठहार, सिर पर योद्धाओं के द्वारा धारण किये जानेवाले शिरस्त्राण तथा कमर में मेखला है जो इस सर्वतोभद्रिका मूर्ति के सौंदर्य को द्विगुणित कर रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि मोतीलाल मिश्रा की जमीन पर नाले की खुदाई के दौरान ढाई फीट के नीचे खुदाई करनेवालों की कुदाल मूर्ति के सिर से टकराई जिसके बाद सावधानी से खुदाई करने के बाद यह मूर्ति मिली।
मूर्तिकला के विश्लेषण के उपरांत प्राप्त मूर्ति के बारे में तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष डॉ0 बिहारीलाल चौधरी ने बताया कि यह पालकालीन विशेषताओं से युक्त है। इस हृष्ट-पुष्ट कायावाली मूर्ति में लिंग प्रदर्शित है जो तंत्रयान का प्रभाव लिये हुए प्रथमदृष्टया यह यक्ष की परिलक्षित होती है। डा0 चौधरी ने बताया कि मूर्ति के साथ पकी मिट्टी का बना एक बर्तन का अग्रभाग भी मिला है जो चीलम प्रतीत होता है जिसे तांत्रिक क्रियाओं में प्रयुक्त किया जाता है। विदित हो कि भागलपुर जिले के कहलगांव में प्राचीन विक्रमशिला बौद्ध महाविहार अवस्थित है जो तंत्रयान का एक प्रमुख केंद्र था। विदित हो कि दो वर्ष पूर्व भी खेरही ग्राम में दो प्राचीन मूर्तियां मिली थीं जिन्हें ग्रामीण संरक्षित किये हुए हैं।
खेरही पहाड़ी पर पहले भी मिले अवशेष: खेरही पहाड़ी पर पूर्व में प्राचीन शंखलिपि के साथ कई महत्वपूर्ण मूर्तियां एवं एकमुख शिवलिंग मिले हैं। यहाँ राजा शशांक की उप राजधानी भी थी जहाँ उनका स्कंधावर था। खेरही में केवल नरसिंह की पूर्व में एक प्राचीन कलात्मक मूर्ति भी मिली है जो अपने शिल्प-सौंदर्य में पूरे देश में अनूठा माना जाता है। खेरही (शाहकुंड) में प्राप्त हालिया मूर्ति का शिल्प-सौष्ठव में इस केवल नरसिंह की मूर्ति के साथ समानता देखी जा सकती है।एस एम कालेज के प्राचार्य इतिहासविद् प्रो0 रमन सिन्हा ने कहा है कि प्राचीन अंग क्षेत्र के भागलपुर के गुवारीडीह तथा बांका जिला के भदरिया के साथ शाहकुंड में जिस तरह पुरातात्विक अवशेष मिले हैं, जरुरी है कि इनकी शीघ्रातिशीघ्र खुदाई कराई जाय, ताकि इतिहास के नये पृष्ठ उद्भाषित हो सकें।
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