बीता खरमास अब नेता करेंगे मंगल -खरमंगल, मंत्रिमंडल विस्तार से ले पार्टी तोड़ने- बचाने को तेज होगी कवायद

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राजनीतिक दलों के दावों पर सबकी टिकी निगाहें


पटना, विशेष प्रतिनिधि: मकर संक्रांति के साथ खरमास खत्म हो गया, अब बिहार की सियासत की निगाहें उन नेताओं की ओर है जो खरमास के बाद बड़ी राजनीतिक घटनाओं को अंजाम देने का दावा कर रहे थे . खरमास में शुभ काम वर्जित रहते हैं. इसलिए मंत्रिमंडल विस्तार से लेकर विधान परिषद सदस्यों का निर्वाचन और मनोनयन जैसे शुभ काम खरमास बाद संपादित किए जाने की संभावना जताई जा रही थी वहीं दूसरी ओर पार्टी तोड़ने और सरकार गिराने की जैसे दावे भी किए जा रहे थे. हर दल के नेता दूसरे दल के विधायकों को खरमास बाद तोड़ने का दावा कर चुके हैं. हालांकि इसी बीच खरमास के ठीक पहले इंडिगो के स्टेशन मैनेजर रूपेश सिंह की हत्या ने माहौल बदल दिया है मगर खरमास बीतने के साथ सियासी गतिविधियां तेज होंगी ,इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. यहां हम नेताओं के उन दावों की चर्चा करेंगे जिन्हें खरमास बाद पूरी होने की बात कही गई थी.

1.मंत्रिमंडल विस्तार
एनडीए सरकार गठन के 2 महीने बाद भी अभी तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाया है. मात्र 14 मंत्रियों के हवाले करीब 35 मंत्रियों के विभाग हैं. यह बता रही है कि भाजपा और जदयू में सहमति नहीं बनने के कारण मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो रहा है.पिछले दिनों बिहार भाजपा के प्रभारी भूपेंद्र यादव और उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद व रेणु देवी के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के बीच अलग-अलग बैठकों के बाद यह चर्चा जोरों पर पर चली थी कि खरमास के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह का बयान आया था कि जल्दी समय पर मंत्रिमंडल विस्तार हो जाएगा .एनडीए के घटक दल हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष वह पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के संबंध में जो ट्वीट किया था उसमें संकेत दिया कि खरमास के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. यहां यह भी बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा था कि मंत्रिमंडल विस्तार के संबंध में भाजपा की राय अभी नहीं आई है. खरमास बीतने के साथ सबकी निगाह इस ओर है कि अब कितनी जल्दी मंत्रिमंडल का विस्तार होता है.

  1. एमएलसी चुनाव और मनोनयन

इसी महीने में विधान परिषद की दो सीटों पर उपचुनाव भी होने हैं. सुशील कुमार मोदी के राज्यसभा सदस्य और विनोद नारायण झा के विधायक बनने के बाद दोनों की सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है. इन पर वीआईपी के नेता और मंत्री मुकेश सहनी और मंत्री अशोक चौधरी को उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना है. इसके साथ विधान परिषद की 12 सीटों पर मनोनयन को लेकर भी एनडीए के दलों में सरगर्मी बढ़ेगी.

  1. राजद की टूट
    राजगीर में भाजपा के प्रशिक्षण शिविर के दौरान बिहार भाजपा के प्रभारी भूपेंद्र यादव ने राजद को चेतावनी देते हुए कहा कि खरमास के बाद अपने को बचा ले. राजद को तोड़ने का दावा करते हो उन्होंने कहा था कि राजद के विधायक परिवारवाद से मुक्त होना चाहते हैं. भूपेंद्र के बयान पर जनता दल यू के वरिष्ठ नेता और सांसद ललन सिंह ने नहले पर दहला मारा था. उन्होंने कहा था कि भूपेंद्र यादव चाहेंगे तो पूरा राजद ही भाजपा में मर्ज कर जाएगा.
  2. टूट जाएंगे जदयू विधायक और गिर जाएगी सरकार

उधर राजद की ओर से यह दावे किए जा रहे हैं कि खरमास के बाद जदयू विधायक टूटेंगे और नीतीश सरकार गिर जाएगी. प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के भाई और विधायक तेज प्रताप यादव ने उत्तर प्रदेश के विंध्याचल धाम में में पूजा-अर्चना के बाद यह दावा किया कि नीतीश सरकार जल्द ही गिर जाएगी और महागठबंधन दल सरकार बना लेंगे. राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने तो यहां तक दावा कर दिया था कि हम चाहे तो खरमास में ही सरकार गिरा देंगे. लेकिन 14 जनवरी के बीत जाने का इंतजार किया जा रहा है . उधर दूसरी ओर कांग्रेस के नेता और पूर्व सांसद कीर्ति आजाद ने तो यहां तक कह दिया कि जदयू के 15 विधायक महागठबंधन में आ जाएंगे.

  1. कांग्रेस के टूट की संभावना

खरमास के दौरान कांग्रेस के पूर्व विधायक भरत सिंह ने यह दावा कर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ाया कि कांग्रेस के 11 विधायक टूट कर जदयू की ओर जाने वाले हैं. खरमास का इंतजार किया जा रहा है. कांग्रेस के विधायकों के टूटने की चर्चा एक महीने से राजनीतिक गलियारों में चल रही है. हालांकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष इसे खारिज कर चुके हैं.

  1. भाजपा से अलग हो सकते नीतीश

राजद और कांग्रेस के नेता लगातार यह कह रहे हैं कि भाजपा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को परेशान कर रही है. लगातार उन पर दबाव बना रही है. अपनी पार्टी के अधिक मंत्री और जदयू से कम मंत्री बनाना चाहती है. इसलिए वे केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की माताजी के निधन के बाद उनके घर नहीं गए. जदयू के राष्ट्रीय और राज्य कार्यकारिणी की बैठक में मुख्यमंत्री समेत कई नेताओं ने भाजपा के प्रति अपनी नाराजगी का इजहार किया. विपक्ष के कई नेता लगातार दावा कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के साथ बहुत दिनों तक नहीं चलने वाले हैं.
राजद और कांग्रेस की ओर से यह संभावना जताई गई थी कि खरमास के बाद ऐसी स्थिति उत्पन्न होने वाली है जिसके परिणामस्वरूप राज्य मध्यावधि चुनाव की ओर जा सकता है.

8.भाजपा -जदयू का दावा- स्थाई हैं हम

सभी तरह की अटकलों के बीच भाजपा और जदयू के वरिष्ठ नेता सरकार पर खतरे की किसी भी संभावना को खारिज कर रहे हैं. राजगीर में जहां बिहार भाजपा के प्रभारी भूपेंद्र यादव ने कहा कि सरकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में 5 साल तक राज्य के विकास के लिए कृत संकल्प है वहीं दूसरी ओर जदयू के प्रेस कॉन्फ्रेंस में सांसद और लोकसभा में पार्टी के नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि लोग नीतीश कुमार के बारे में इधर-उधर जाने की बात कह रहे हैं. वे कहीं नहीं जाने वाले हैं. जदयू मजबूती से एनडीए के साथ है और सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा करेगी.

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