शिव शंकर पारिजात
बांका। बांका जिला के रजौन प्रखंड के भदरिया गांव के निकट चान्दन नदी में प्राचीन संरचनाओं के अवशेष मिले हैं। छठ पर्व हेतु घाट निर्माण हेतु खुदाई के दौरान स्थानीय उत्साही निवासी आलोक प्रेमी के द्वारा इस स्थल की खोज की गयी।
बौद्ध ग्रंथों में भदरिया गांव का उल्लेख भद्दिय के नाम से मिलता है जहाँ भगवान बुद्ध के चरण पड़े थे। भदरिया के ग्रामीण इस बात को लेकर सदैव गौरवान्वित रहे हैं। भदरिया में हाल में मिले प्राचीन भवनों के इन अवशेषों तथा बसावट के प्रमाण मिलने से जहां बौद्ध एवं अन्य प्राचीन ग्रंथों में वर्णित भद्दिय ग्राम (भदरिया का प्राचीन नाम) के ऐतिहासिक-पुरातात्विक साक्ष्य उद्भाषित होते हैं, वहीं भदरिया के ग्रमीणों की वर्षों की भगवान बुद्ध के प्रति संजोयी आस्था को नया आयाम मिला है।
बौद्ध ग्रंथों में वर्णित है कि भद्दिय अर्थात भदरिया एक उन्नत ग्राम था जहां मेण्डक एक बड़े श्रेष्ठी याने व्यपारी थे। बौद्ध ग्रंथों में यह भी वर्णित है कि वैशाली के बाद भगवान बुद्ध चारिका करते हुए लगभग 1200 भिक्षुओं के साथ भद्दिय (भदरिया) आये थे। इस बात की भी चर्चा है कि श्रेष्ठी मेण्डक ने भद्दिय आगमन पर भगवान बुद्ध के स्वागत के लिये अपनी सात वर्षीय पोती विशाखा को भेजा था जो आगे चलकर बुद्ध की एक प्रमुख शिष्या के रूप में विख्यात हुई। विशाखा के पिता का नाम धनंजय तथा माता का नाम सुमना था।
बौद्ध ग्रंथों में भद्दिय अर्थात भदरिया में कुशल व्यवसायी मेण्डक के निवास की चर्चा होने से यह सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि भद्दिय एक व्यापारिक केंद्र रहा होगा तथा यहाँ एक अच्छी-खासी जनसंख्या की बसावट रही होगी। हाल में भदरिया में मिले प्राचीन भवनों के अवशेषों से इस मान्यता को बल मिलता है। भवनों के अवशेषों तथा ईंटों के आकार से अनुमान लगाया जा सकता है कि ये 2500 वर्षों के आसपास के होंगे जो परवर्ती विस्तृत खुदाई और शोध-अध्ययन के बाद स्पष्ट होंगे।
जिस चान्दन नदी से उक्त अवशेष मिले हैं, वो आगे भागलपुर जिला में प्रवेश करने के बाद चम्पा नदी कहलाती है जिसके तट पर अंग जनपद की राजधानी चम्पा अवस्थित थी। बांका जिले के इतिहासविद् उदय शंकर बताते हैं कि भदरिया के आसपास मृदभांड एवं अन्य प्राचीन अवशेष मिलते रहे हैं जो इसकी प्राचीनता को दर्शाता है।
यह गौरतलब है कि भदरिया के ग्रामीण वर्षों से भगवान बुद्ध के चरणचिह्न की स्थापना कर उसकी पूजा करते रहे हैं तथा वे बुद्ध के भदरिया आगमन की स्मृति में प्रति वर्ष समारोह भी आयोजित करते हैं। भदरिया में प्राप्त इन पुरावशेषों से यहाँ के ग्रामीणों की आस्था को आधार मिला है। बिहार सरकार के पुरातत्व विभाग एवं एएसआई को इसपर तत्काल संज्ञान लेना चाहिए।
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