Bharat Varta Desk : भाजपा के वरिष्ठ नेता सुनील ओझा का मेदांता अस्पताल, गुरुग्राम में उपचार के दौरान निधन हो गया है। तीन दिन पूर्व शनिवार को अचानक हृदय संबंधी समस्या के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया था।
सुनील ओझा मूल रूप से गुजरात के रहने वाले थे। वे गुजरात में भावनगर दक्षिणी सीट से दो बार विधायक भी रहे। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी नेताओं में से एक माने जाते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जीवन का पहला चुनाव गुजरात के मुख्यमंत्री का काम संभालने के बाद फरवरी, 2002 में लड़ा था। जब वजुभाई वाला की जगह पर पहली बार चुनावी राजनीति में उतरे थे तो राजकोट में उनके चुनाव के प्रभारी सुनील ओझा ही थे। बाद में जब पीएम मोदी ने 2014 में वाराणसी से चुनाव लड़ने का फैसला किया तो ओझा को वाराणसी भेजा गया। इसके बाद वे उत्तर प्रदेश के सह प्रभारी बनाए गए।उन्हें कुछ माह पहले ही बिहार प्रांत का भाजपा का सह प्रभारी बनाया गया था। ब्राह्मण समाज से आने वाले ओझा को जमीनी नेता माना जाता था। वे वाराणसी के पास मिर्जापुर में धार्मिक गतिविधियों के लिए गड़ौली धाम आश्रम का निर्माण करवा रहे थे। पिछले सप्ताह ही उन्होंने गड़ौली धाम में प्रसिद्ध कथावाचक रमेश ओझा जी का रामकथा का आयोजन कराया था।
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