प्रमुख बिंदु
राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, एडवोकेट्स चैंबर और मल्टीलेवल पार्किंग का किया शिलान्यास
कहा, महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से होगी न्यायपूर्ण समाज की स्थापना
प्रयागराज से अनुज
देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने न्याय व्यवस्था में महिला सशक्तीकरण पर बल देते हुए न्याय व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्र सहित देश की न्याय व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाकर ही न्यायपूर्ण समाज की स्थापना की जा सकती है। संविधान के समावेशी आदर्शों को प्राप्त करने के लिए भी न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना आवश्यक है।
वह शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मैदान में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय और मल्टीलेवल पार्किंग व एडवोकेट्स चैंबर्स के शिलान्यास समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि सामान्यतया महिलाओं में न्याय प्रकृति का अंश अधिकतम होता है। भले ही इसके कुछ अपवाद भी होते हैं लेकिन महिलाओं में हर किसी को न्याय देने की प्रवृत्ति मानसिकता व संस्कार होते हैं। मायका हो, ससुराल हो, पति हो या संतान हो, कामकाजी महिलाएं सबके बीच संतुलन बनाते हुए भी अपने कार्यक्षेत्र में उत्कृष्टता के उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। इसलिए सही मायने में न्यायपूर्ण समाज की स्थापना तभी संभव होगी, जब न्याय व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी मजबूत होगी।
उन्होंने कहा कि यह गौरव की बात है कि इसी उच्च न्यायालय में वर्ष 1921 में भारत की पहली महिला वकील सुश्री पूर्णिलिया सोराबजी को नामित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। वह महिला सशक्तीकरण की दिशा में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का भविष्योन्मुखी निर्णय था। उन्होंने कहा कि पिछले महीने ही न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी का एक नया इतिहास रचा गया। मैंने उच्चतम न्यायालय में तीन महिला न्यायाधीशों सहित नौ न्यायाधीशों की नियुक्ति को स्वीकृति प्रदान की। आज उच्चतम न्यायालय में नियुक्त कुल 33 न्यायाधीशों में चार महिला न्यायाधीशों की उपस्थिति न्यायपालिका के इतिहास में अब तक की सर्वाधिक संख्या है। इन नियुक्तियों में भविष्य में एक महिला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इतिहास की दृष्टि से इलाहाबाद हाईकोर्ट भारत में स्थापित किया गया चौथा हाईकोर्ट है। महत्व की दृष्टि से यह हाईकोर्ट देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में न्याय प्रदान करने की जिम्मेदारी निभाता है। न्यायाधीशों की संख्या की दृष्टि से यह देश का सबसे बड़ा हाईकोर्ट है। परंतु इन सभी तथ्यों से एक बात और भी महत्वपूर्ण है इस हाईकोर्ट की वह परंपरा जिसमें महामना मदन मोहन मालवीय, मोतीलाल नेहरू, सर तेज बहादुर सप्रू, राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन और कैलाशनाथ काटजू जैसे प्रखर व राष्ट्रप्रेमी अधिवक्ताओं ने इसी परिसर से भारतीय इतिहास के अनेक गौरवशाली अध्याय लिखे। इस हाईकोर्ट के बार व बेंच के प्रबुद्ध सदस्यों ने समाज व देश को वैचारिक नेतृत्व भी प्रदान किया। उन्होंने कहा कि मुझे आशा है कि इस हाईकोर्ट में भी महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी होगी। इससे पूर्व देश के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमना, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने विचार व्यक्त किए। इलाहाबाद हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी ने राष्ट्रपति सहित अन्य अतिथियों का स्वागत किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।