शख्सियत

देश की आजादी के आंदोलन में अगुआ रहे वकील, बिहार के वकीलों की भी रही महती भूमिका

रूप कुमार, लीगल जर्नलिस्ट सह एडवोकेट भागलपुर का आलेख

स्वतंत्रता दिवस विशेषांक : बड़ी संख्या में अनेक प्रख्यात वकीलों ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया।  भारत को स्वतंत्रता दिलाने व आजादी मिलने के बाद देश को आकार देने में वकीलों ने महती भूमिका निभाई थी। इनमें डॉ बी.आर. अम्बेडकर, पंडित जवाहरलाल नेहरू, जी.बी. पंत, सरदार वल्लभ भाई पटेल, राजेंद्र प्रसाद, एम.ए. अयंगर, एन गोपालस्वामी अयंगर, अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर, दौलत राम, जी दुर्गाबाई और बी.एन. राव आदि वकील थे। यही कारण है कि संविधान की व्याख्या करते समय अधिवक्ताओं ने जीवन के अधिकार और स्वतंत्रता के अधिकार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आजादी मिलने के बाद देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बनाए गए। वे आजादी के आंदोलन के प्रमुख नायकों में से एक थे। देश व विधि के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए ही उनके जन्म दिन को देश में अधिवक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए चलाए गए स्वतंत्रता संग्राम में बिहार से जुड़े कई अधिवक्ताओं का भी योगदान रहा है। उस दौर में बिहार के अधिवक्ताओं ने भी आजादी के महासंग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। इनमें राजेंद्र बाबू का नाम सबसे ऊपर है।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद : भारत के प्रथम राष्ट्रपति और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पटना हाईकोर्ट बनने के बाद अपनी वकालत कलकत्ता से पटना ले आए। 1921 में वकालत छोड़ कर आजादी की लड़ाई में अपने आप को समर्पित कर दिया और महात्मा गांधी के हर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। राजेंद्र बाबू निचली अदालत से लेकर पटना हाईकोर्ट और अंग्रेजी राज के सर्वोच्च अपील वाली अदालत प्रीवी काउंसिल तक बहस करने वाले विरले वकीलों में से थे।

डॉ.सच्चिदानंद सिन्हा : बिहारसे संभवत: पहले बैरिस्टर जिन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सन 1896 से वकालत शुरू की। 20 वर्षों की वकालत के बाद वे पटना हाईकोर्ट में अपनी प्रैक्टिस ले आए। डॉ. सिन्हा का बिहार को नया प्रांत बनवाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा। उनके प्रयासों के कारण बिहार बंगाल से कट कर अलग प्रांत बना। पटना हाईकोर्ट की स्थापना में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

सरहसन इमाम अली इमाम : दोनों भाइयों ने पटना हाईकोर्ट के शुरुआती दौर को अपनी वकालत से गौरवान्वित किया। पहले विश्व युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय संघ के प्रारूप में लीग ऑफ नेशन्स गठित हुआ था। हिंदुस्तान की ओर से अली इमाम एकमात्र प्रतिनिधि थे, जिन्होंने लीग ऑफ नेशन्स की बैठक में भाग लिया।

पीआर दास : सबसे कम उम्र में हाईकोर्ट जज बनने वाले प्रियरंजन दास पटना हाईकोर्ट के पहले जज थे, जिन्होंने त्यागपत्र देकर फिर से उसी कोर्ट में वकालत शुरू की। पटना हाईकोर्ट के दायरे से बाहर निकल कर अन्य दूसरे हाईकोर्ट में बहस कर प्रसिद्धि हासिल करने वाले वे संभवत: पहले वकील थे। महात्मा गांधी हत्याकांड में विनायक सावरकर की ओर से बहस कर हत्या के आरोप से बरी कराया था।

लाल नारायण सिन्हा : हिंदुस्तानमें एकमात्र वकील जो हाईकोर्ट में एडवोकेट जनरल, सुप्रीम कोर्ट के सॉलीसिटर जनरल देश के अटार्नी जनरल के पदों पर आसीन हुए। गया के मुफस्सिल कोर्ट से वकालत शुरू करने वाले लाल नारायण 1980-81 में देश के अटार्नी जनरल (देश के वकीलों का सर्वोच्च स्थान) बने। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निधन के बाद इन्होंने अटार्नी जनरल के पद पर बने रहने से इनकार किया, तो तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें प्रधानमंत्री का मुख्य संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया। इनके पुत्र ललित मोहन शर्मा भारत के मुख्य न्यायाधीश हुए।

बीसी घोष : बसंतचंद्र घोष पटना हाईकोर्ट के महान संवैधानिक विशेषज्ञ अधिवक्ता थे। ये नेताजी सुभाषचंद्र बोस के फारवर्ड ब्लॉक आजाद हिंद फौज से भी जुड़े हुए पटना हाईकोर्ट के संभवत: इकलौते वकील थे। इनकी बहस और मेधा पर मुग्ध होकर सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया था। ये बिहार राज्य बार काउंसिल के संस्थापक सदस्यों में से थे और काउंसिल की स्थापना से लेकर 30 वर्षों तक सदस्य रहे। ये 1952 से 1966 तक बिहार विधान परिषद के भी सदस्य रहे।

बासुदेव प्रसाद: बासुदेवप्रसाद छात्र जीवन से स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े रहे और तिरंगा फहराने के दौरान सात छात्रों को गोली मारी गई तो हाईकोर्ट काम को बहिष्कार करवा कर शहीदों के समर्थन में वकीलों का आंदोलन खड़ा किया। पीआर दास के बाद देश के अन्य हाईकोर्ट में बहस करने वाले ये दूसरे वकील थे। इनके भाई राधामोहन प्रसाद हाईकोर्ट के जज हुए।

पीसी मानुक : पटना हाईकोर्ट के पहले सरकारी वकील। ये इसी हाईकोर्ट में बाद में जज हुए।

मजहरूल हक : पटना हाईकोर्ट के पहले मामले में बहस इन्होंने ही किया था। ये आपराधिक सिविल दोनों मामलों में निपुण थे।

Dr Rishikesh

Editor - Bharat Varta (National Monthly Magazine & Web Media Network)

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