
Bharat Varta Desk : यूपी के परिवहन मंत्री दयाशंकर और स्वाती सिंह अपने तलाक को लेकर चर्चा में हैं। आइए जानते हैं दोनों के बीच कैसे शुरु हुआ प्यार, शादी की और तलाक हो गया।
पूर्व मंत्री स्वाती सिंह के बीच राहें अब अलग हो गई हैं। लखनऊ की फैमली कोर्ट ने तलाक की मंजूरी दे दी है। 30 सितंबर 2022 को स्वाती सिंह ने कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की थी, जिस पर दयाशंकर सिंह तारीख पर कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे थे। इसके बाद कोर्ट ने एकतरफा फैसला सुनाते हुए दोनों के तलाक पर अपनी मुहर लगा दी है। दोनों नेताओं के तलाक पर खूब चर्चा हो रही है।
कोर्ट से तलाक की मंजूरी मिलने के बाद मंत्री दयाशंकर सिंह ने मीडिया से कहा, “तलाक एकतरफा है। मैंने कभी तलाक की अर्जी नहीं दी। न मैं इस मामले में अदालत गया, लेकिन अब यह हो गया है तो मैं इस मसले पर अपनी तरफ से आगे नहीं बढूंगा। स्वाति सिंह की बढ़ी हुई राजनीतिक महत्वाकांक्षा इसके पीछे की वजह है।”
छात्र राजनीति के दौरान दोनों लोग मिले
दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह दोनों ABVP के सक्रिय कार्यकर्ता थे। ऐसा कहा जाता कि स्वाति सिंह इलाहाबाद में एमबीए की पढ़ाई कर रही थीं और दयाशंकर सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में अग्रिम पंक्ति के नेता थे। ABVP के कार्यक्रमों में दोनों का मेलजोल बढ़ा। दोनों बलिया के ही रहने वाले थे। इसलिए दोनों के रिश्ते में और मजबूती आई। परिवार की सहमति से दोनों ने शादी कर ली। बाद में स्वाति सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय में पीएचडी में दाखिला कराया और यहां से साथ पढ़ाई करने लगे।
स्वाती सिंह की राजनीति में एंट्री कैसे हुई?
साल 2016 की बात है, बीजेपी नेता दयाशंकर ने बसपा सुप्रीमों मायावती पर विवादित बयान दिया था। इसके बाद उनके इस बयान की आलोचना होने लगी। बसपा कारवाई करने की मांग उठनी लगी। इतना ही नहीं बीजेपी के कई नेता ने इस बयान को गलत बताया।
दयाशंकर के विरोध में बसपा के नेता नसीमुद्दीन सिद्दी अपने कुछ समर्थकों के साथ लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर विरोध-प्रदर्शन करने पहुंचे। नसीमुद्दीन सिद्दी उस समय बसपा के राष्ट्रीय महासचिव थे। नसीमुद्दीन सिद्दी प्रदर्शन के दौरान दयाशंकर वाली गलती दोहराते हुए उनकी मां, पत्नी और बेटी के लिए अपशब्द का प्रयोग किया। बस यहीं से स्वाति सिंह की राजनीति में एंट्री की शुरुआत होती है।
दयाशंकर की ढ़ाल बनी स्वाती सिंह
स्वाति सिंह ने नसीमुद्दीन सिद्दी के बयान पर आग बबूला हो गई और दयाशंकर सिंह की ढाल बन गई। स्वाती सिंह ने बसपा प्रमुख मायावती को अपने खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने की चुनौती दे डाली। दयाशंकर और नसीमुद्दीन की इस हरकत पर अलग-अलग तरीके से कार्रवाई हुई। एक तरफ जहां भाजपा ने दयाशंकर को 6 साल के लिए निलंबित कर दिया, तो वहीं दयाशंकर सिंह की मां की तरफ दर्ज कराई गई FIR की वजह से नसीमुद्दीन को जेल जाना पड़ा।
बीजेपी ने महिला कार्ड खेलते हुए दयाशंकर सिंह की जगह स्वाती सिंह को रिप्लेसमेंट किया। इतना ही नहीं स्वाती सिंह को आमलोगों की सहानुभूति मिली और बीजेपी ने उन्हें सीधे प्रदेश महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया। इसके बाद स्वाति सिंह को लखनऊ की सरोजनीनगर सीट से उम्मीदवार बना दिया, जहां बीजेपी तीन दशकों से जीत नहीं रही थी। स्वाती सिंह ने चुनाव लड़ा और जीत दर्ज करके योगी सरकार में महिला कल्याण विभाग की मंत्री बनीं।
मामला कैसे तलाक तक पहुंचा?
ऐसा नहीं है कि दया शंकर सिंह और स्वाती सिंह की बीच पहली बार विवाद हुआ और तलाक हो गया। साल 2012 में स्वाती सिंह ने तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी लेकिन 2017 में स्वाती सिंह विधानसभा का चुनाव लखनऊ के सरोजनी नगर से लड़ी और मंत्री बन गई। इसके बाद कोर्ट दाखिल तलाक की अर्जी पर स्वाती सिंह ने पैरवी नहीं की। साल 2018 में दोनों पक्ष कोर्ट में नहीं पहुंचने पर केस बंद हो गया।
साल 2022 विधानसभा चुनाव में स्वाती सिंह दोबारा से चुनाव लड़ना चाहती थी। वहीं उनके पति दयाशंकर सिंह भी चुनावी ताल ठोक रहे थे। बीजेपी से जुड़े जानकार बताते हैं कि स्वाती और दयाशंकर दोनों लखनऊ के सरोजनी नगर से टिकट चाहते थे। इसे लेकर दोनों के बीच जोर अजमाइश चल रही थी।
आखिर में बीजेपी ने स्वाती सिंह का टिकट काट दिया और दयाशंकर सिंह को बलिया से टिकट दिया। दयाशंकर सिंह बलिया से चुनाव लड़कर जीत दर्ज करके मंत्री बने। यहीं से एक बार फिर दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगी। 30 सितंबर 2022 को स्वाती सिंह ने दोबारा कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की। कोर्ट में उन्होंने यह भी कहा था कि वह पिछले चार साल से पति से अलग रह रहीं हैं। दोनों की तलाक पर कोर्ट की मुहर लग गई है।
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