धर्म/अघ्यात्म

झारखंड में वर्ल्ड क्लास पर्यटन स्थल -श्रृंखला-6

जानिए पलामू क्यों है पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र
प्रियरंजन रांची


रांची : पिछले दिनों झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नेतरहाट दौरे के दौरान कहा था कि झारखंड के पर्यटन स्थलों को विश्वस्तरीय बनाएंगे. झारखंड के हर जिले में ऐसे पर्यटन स्थलों की भरमार है जिनका सम्यक विकास किया जाए तो वे दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर खींच सकते हैं. हम एक-एक करके हर जिले के पर्यटन स स्थलों की जानकारी दे रहे हैं. इस श्रृंखला में झारखंड के इतिहास लेखक प्रिया रंजन से जानिए पलामू जिले के पर्यटन स्थलों के बारे में…
कबरा कला गाँव
पलामू में हुसैनाबाद प्रखण्ड के कबरा कला गाँव में हड़प्पा सभ्यता के अवशेष मिले हैं। कबरा कला में पुरापाषाण, नवपाषाण, ताम्र पाषाण तथा लौह पाषाण काल के भी अवशेष मिले हैं। एक ही स्थान से क्रमबद्ध तरीके से विभिन्न कालखण्डों का मिलना भारतीय इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है। इस गाँव में जो भी अवशेष प्राप्त हो रहे हैं, वे यह दर्शाते हैं कि इस गाँव का इतिहास प्राक् हड़प्पा और हड़प्पा कालीन सभ्यता से जुड़ा है।


शाहपुर किला
डाल्टेनगंज शहर के समीप उत्तरी कोयल के पश्चिमी तट पर चेरो राजा गोपाल राय ने 1772 ई. में शाहपुर किले का निर्माण कराया था। यह किला ईंटों से बना है। इसके बुर्ज पर तोप व बन्दूक के गोलियों के छिद्र बने हुए हैं। इस किले के निचली भाग में कर्मचारी एवं सेवक रहते थे। इसके दूसरी मंजिल पर शीश महल तथा तीसरी मंजिल पर सभाकक्ष है। इस किले के भीतर की दीवारों पर बेल-बूटों की नक्काशी है। इस किले के सामने ही शाहपुर घाट है। यहाँ एक मंदिर निर्मित है। वर्तमान में यह किला जीर्ण अवस्था में हैं। चेरो राजा के दीवान ठकुराई जयनाथ सिंह ने इस किले से अंग्रेजों पर आक्रमण किया था।

डाल्टेनगंज (मेदनीनगर)
यह पलामू प्रमण्डल एवं पलामू जिला का मुख्यालय शहर है। इस शहर की स्थापना 1861 ई. में प्रसिद्ध अंग्रेज मानवशास्त्री कोलोनेल एडवर्ड ट्यूट डाल्टन द्वारा किया गया था। डाल्टन को 1861 ई. में छोटानागपुर का जिला कमीश्नर नियुक्त किया गया था।
जपला
पलामू में सोन नदी के तट पर बसा हुआ इस ऐतिहासिक शहर में पुराने किले के भग्नावशेष मिले हैं। जपला मध्यकालीन खरवाऱ राजा प्रताप धवल राय की राजधानी थी।
पांकी
1967 ई. में पांकी के निकट सोरठ गांव में एक प्राचीन मूर्ति मिली थी। 1972 ई. में एक अन्य संगमरमर की मूर्ति मिली है। संभवतः ये मूर्तियाँ विष्णु और सूर्य की हैं.

डॉ सुरेंद्र

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