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० जस्टिस पाठक के एक और फैसले पर अमल नहीं
Bharat varta Desk
झारखंड हाईकोर्ट ने अदालत के आदेश का पालन नहीं किए जाने पर शुक्रवार को नाराजगी जाहिर की और कहा कि यदि आदेश का पालन छह दिसंबर तक नहीं किया गया, तो उच्च शिक्षा सचिव एवं निदेशक के वेतन पर रोक लगा दी जाएगी। जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने यह निर्देश दिया है। यह मामला सिद्धो- कान्हो विश्वविद्यालय, दुमका से जुड़ा हुआ है। बरहरवा कॉलेज, साहिबगंज में लेक्चरर पद पर कार्यरत अनिल कुमार सरकार एवं अन्य ने अवमानना की याचिका दायर की है। प्रार्थियों की सेवा का समायोजन अग्रवाल कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सिदो-कान्हो विश्वविद्यालय ने किया था। लेकिन, प्रार्थियों को पंचम और छठे वेतनमान का लाभ नहीं दिया जा रहा था। इसके खिलाफ प्रार्थियों ने याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने वर्ष 2023 में याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को प्रार्थियों को दोनों वेतनमान का लाभ देने का निर्देश दिया था।
एकलपीठ के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने हाइकोर्ट की खंडपीठ में अपील की थी। सरकार की अपील को खंडपीठ ने वर्ष 2024 में खारिज कर दिया था। लेकिन, इसके बाद भी विश्वविद्यालय ने प्रार्थियों को पंचम एवं छठे वेतनमान का लाभ नहीं दिया गया। इसके बाद प्रार्थियों ने अवमानना याचिका दायर की। इस पर कोर्ट ने एकलपीठ के आदेश का पालन करने का निर्देश दिया। आदेश का पालन नहीं होने पर 6 दिसंबर के बाद उच्च शिक्षा सचिव एवं निदेशक के वेतन निकासी पर रोक लगाने का निर्देश दिया।
अनिल सरकार के मामले में जस्टिस पाठक के सख्त रुख की काफी चर्चा है और लोगों की नजर विश्वविद्यालय की ओर टिकी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट के सख्त आदेश के बाद भी विश्वविद्यालय प्रोफेसर सरकार को वेतनमान का लाभ देता है या नहीं। प्रोफेसर सरकार चांय जाति से आते हैं जो आर्थिक और शैक्षणिक रूप से काफी कमजोर रही है। इस जाति के लोग संगठन बनाकर एससी-एसटी का दर्जा देने के मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
प्रोफेसर सरकार चांय जाति समाज की अगुवाई भी करते हैं। वे भागलपुर विश्वविद्यालय से संस्कृत, एमए के गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं। लेक्चर होने वाले अपने समाज के पहले शख्स हैं। वह
प्राध्यापक पुरुषोत्तम के सबंध में जस्टिस पाठक के फैसले को नहीं मान रहा शिक्षा विभाग
एक मामला रामेश्वर ठाकुर जनजातीय महाविद्यालय, भतखोरिया, गोड्डा के प्राध्यापक पुरुषोत्तम मिश्रा का है। पुरुषोत्तम मिश्रा ने बताया कि मई 2024 में ही झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ एस एन पाठक की अदालत ने उनके संबंध में रिटायरमेंट की आयु सीमा 65 साल करने के लिए शिक्षा विभाग को निर्देश दिया था मगर आज तक विभाग ने फैसले पर अमल नहीं किया है। जबकि वे कॉलेज से लेकर सभी अधिकारियों को कोर्ट के फैसले की कपी के साथ आवेदन दे चुके हैं मगर किसी ने संज्ञान नहीं लिया है। अब वह फिर से कोर्ट जाने की तैयारी में हैं। वे अब अवमानना याचिका दायर करेंगे।
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