जनता के पैसे से पेरिस में मौज करने वाले तीन आईएएस अफसर फंसे
Bharat varta des चंडीगढ़ प्रशासन में तीन IAS अधिकारियों पर आरोप है कि काम के नाम पर पेरिस में हद फिजूलखर्ची की, खुद अप्रूव भी कर दी. इस बात की जानकारी ऑडिट रिपोर्ट में सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, चंडीगढ़ प्रशासन में अपने कार्यकाल के दौरान 2015 में पेरिस की यात्रा पर गए तीन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों ने विदेशी दौरे पर 6.71 लाख रुपये अतिरिक्त खर्च डाले. होटल भी बदले. इतना ही नहीं निचले स्तर के अधिकारी के लिए निर्धारित बैठक में अधिक समय तक रुके.
चंडीगढ़ के चीफ आर्किटेक के लिए था बैठक
ऑडिट रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि निमंत्रण चंडीगढ़ के चीफ आर्किटेक्ट के लिए था, लेकिन इसमें तीन वरिष्ठ आईएएस पहुंच गए. साल 2022 में इसी मामले में एक RTI रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि 15-17 जून, 2015 को चंडीगढ़ डिजाइन करने वाले आर्किटेक्ट ली कोर्बुज़िए (Le Corbusier) के काम पर पेरिस में एक बैठक हुई थी. इसमें हिस्सा लेने के लिए चंडीगढ़ प्रशासक के तत्कालीन सलाहकार विजय देव को 6.5 लाख रुपये, गृह सचिव अनुराग अग्रवाल को 5.6 लाख रुपये और पर्सनल सेक्रेटरी विक्रम देव दत्त को 5.7 लाख रुपये मंजूर किए गए थे.
लग्जरी प्रॉपर्टी में शिफ्ट हो गए थे IAS अफसर
हालांकि, तीनों आईएएस अधिकारी पेरिस पहुंचने के बाद होटल के बदले एक लग्जरी प्रॉपर्टी में शिफ्ट हो गए. यहां खूब पैसे उड़ाए. 12 से 18 जून 2015 तक पेरिस प्रवास के दौरान इन्होंने करीब 25 लाख रुपये उड़ा डाले.यह राशि मंजूर किए गए खर्च राशि से करीब 40 फीसदी अधिक था. यह बैठक 15 जून, 2015 को पोइसी के विला सेवॉय में चंडीगढ़ डिजाइन करने वाले आर्किटेक्ट ली कोर्बुज़िए की मृत्यु की 50वीं वर्षगाठ के अवसर पर आयोजित की गई थी. इसके लिए चंडीगढ़ प्रशासन को फ्रांस से निमंत्रण प्राप्त हुआ था.
ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि इन तीनों आईएएस अधिकारियों ने इस बैठक के लिए सात दिवसीय दौरा किया था. रिपोर्ट के अनुसार, विजय देव और विक्रम देव दत्त ने एक-दूसरे की विदेश यात्रा को मंजूरी दे दी. इतना ही नहीं विजय देव ने अनुराग अग्रवाल की यात्रा को भी मंजूरी दे दी. चंडीगढ़ प्रशासन को सौंपी गई रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, “मूल रूप से निमंत्रण मुख्य वास्तुकार यूटी चंडीगढ़ के लिए था, हालांकि, यह दौरा सचिव स्तर के अधिकारियों द्वारा किया गया था. यात्रा में भागीदारी के संबंध में विदेश मंत्रालय से कोई प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं किया गया था.”