
Bharat varta desk: भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने शनिवार को रांची में एक कार्यक्रम में वर्तमान न्यायपालिका के सामने आने वाले मुद्दों को लेकर कहा कि देश में कई मीडिया संगठन “कंगारू कोर्ट चला रहे हैं। ऐसे में उन मुद्दों पर अनुभवी न्यायाधीशों को भी फैसला करना मुश्किल होता है। रांची में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा कि न्याय प्रदान करने से जुड़े मुद्दों पर गैर-सूचित और एजेंडा संचालित बहस लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रही है। चीफ जस्टिस ने मीडिया ट्रायल, न्यायपालिका की भूमिका और न्यायाधीशों के सामनेआने वाली चुनौतियों पर बेबाक टिप्पणी की। उन्होंने मीडिया संगठनों को आड़े हाथों लिया और जमकर धोया।
उन्होंने आगे कहा कि अपनी जिम्मेदारियों से आगे बढ़कर आप हमारे लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहे हैं। प्रिंट मीडिया में अभी भी कुछ हद तक जवाबदेही है मगर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कोई जिम्मेदारी नहीं दिख रही है।
उन्होंने कहा कि राजनेताओं, नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों और अन्य जन प्रतिनिधियों को अक्सर उनकी नौकरी की संवेदनशीलता के कारण सेवानिवृत्ति के बाद भी सुरक्षा प्रदान की जाती है। विडंबना यह है कि न्यायाधीशों को समान सुरक्षा नहीं दी जाती। वहीं उन्होंने कहा कि न्यायिक रिक्तियों को न भरना और बुनियादी ढांचे में सुधार नहीं करना देश में लंबित मामलों के मुख्य कारण हैं।
उन्होंने आगे कहा कि यदि हम एक जीवंत लोकतंत्र चाहते हैं, तो हमें अपनी न्यायपालिका को मजबूत करने और अपने न्यायाधीशों को सशक्त बनाने की आवश्यकता है। इन दिनों, हम न्यायाधीशों पर शारीरिक हमलों की संख्या में वृद्धि हुई है।
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